शांतिकुंज ने निकाली विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर जन जागरण रैली
हरिद्वार 31 मई। विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर शांतिकुंज परिवार ने जन जागरण रैली निकाली। इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना है। इस रैली में शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्ता सहित विभिन्न साधना व प्रशिक्षण शिविरों में आये प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। तंबाकू भगाओ-देश बचाओ, पान बीड़ी और शराब-स्वास्थ्य को करते खराब, नशा नाश की जड़ है भाई जैसे विभिन्न नारे लगाये गये।
अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि किसी भी रूप में तंबाकू का अधिक सेवन क्षय रोग, हृदय रोग, उदर रोग, नेत्रों की खराबी सहित अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। पैरों की नसों से लेकर मस्तिष्क तक को भारी नुकसान पहुंचाता है। इस समय युवाओं को तंबाकू जैसी खतरनाक नशे के सेवन से बचना है, तभी हमारा देश विकसित व सभ्य देश बन पायेगा। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक शैक्षणिक संस्थानों में हुए रिचर्स से पता चला है कि भयानक कैंसर रोग का एक बड़ा कारण धूम्रपान ही है। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि भूटान सहित अनेक देशों में तंबाकू का प्रयोग निषिद्ध है, भारत को इन देशों से सीख लेना चाहिए। श्रद्धेया दीदी ने कहा कि दुर्व्यसन मनुष्य के वास्तविक प्राणघातक शत्रु हैं। इनमें मादक पदार्थ प्रधान हैं। तंबाकू, चरस, भाँग, अफीम, शराब आदि नशीली चीजें एक से एक बढ़कर हानिकारक हैं।
शांतिकुंज के संस्थापक युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इस कई दशक पूर्व ही दुर्व्यसन मुक्त भारत की परिकल्पना की थी और अपने शिष्यों को इस दिशा में कार्य करने के लिए सदैव प्रेरित करते रहे। वर्तमान समय में श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी व श्रद्धेया शैलदीदी ने मार्गदर्शन एवं युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।
शांतिकुंज में दो दिवसीय शिक्षक गरिमा शिविर का समापन
हरिद्वार 31 मई। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दो दिवसीय शिक्षक गरिमा शिविर का आज समापन हो गया। इस शिविर में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र राज्य के शिक्षक व शिक्षिकाएँ शामिल रहे।
शिविर के समापन समारोह को संबोधित करते हुए शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि प्राचीनकाल में जिस तरह गुुरुओं ने अपने आचरण व व्यवहार से शिष्यों को संस्कृति को पढ़ाने और उन्हें संस्कार देने का कार्य किया करते थे। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने भी अपने शिष्यों को तैयार किया है, उसी तरह आज शिक्षकों को शिक्षण के साथ अपने आचरण व व्यवहार से विद्यार्थियों को तैयार करना चाहिए। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शरद पारधी ने अध्यापकोंं को युग निर्माता बताया।
समापन अवसर पर मध्यप्रदेश के सीमा नामदेव, चंद्रमोहन गौड़, ज्योति दीक्षित, राजेश कुमार त्रिवेदी, रविशंकर पारखे तथा महाराष्ट्र के रजनी लुंगसे, हनुमंत गौर गोरखनाथ शिंदे, प्रसन्न बुलढाणा, नीता संतोष, गणेश पिंडरी आदि को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। दो दिवसीय इस शिविर में कुल दस सत्र हुए, जिसमें श्री वीरेन्द्र तिवारी, श्री योगेन्द्र गिरि, श्री
रामयश तिवारी, श्रीमती शशिकला साहू, श्री अभय सक्सेना आदि ने भी संबोधित किया।