स्वदेशी संदेश यात्रा


  • स्वदेशी संदेश यात्रा 


स्वदेशी जागरण मंच की स्वदेशी संदेश यात्रा में केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आदि प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया,। दक्षिण भारत के कार्यकर्ताओं में विशेष उत्साह देखा गया। रैली में मल्टी नेशनल, एंटी नेशनल, जय स्वदेशी जय जय स्वदेशी, वंदे मातम्, हर घर में स्वदेशी अपनाऐगे, देश महान बनाऐगे के नारे गूँजते रहे  स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा, राष्ट्रीय संगठक कशमीरी लाल, सतीश कुमार, राजीव शर्मा ने स्वदेशी संदेश यात्रा को प्रेम नगर आश्रम से नगर भर्मण के लिए रवाना किया जगह -जगह देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों का अभिनन्दन फूलों की वर्षा कर किया। प्रेम नगर आश्रम से रैली ऋषि कुल तक जा कर पुनः प्रेम नगर आश्रम में समाप्त हो गई। प्रेम नगर आश्रम में  स्वदेशी सभा का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज रहे।


खुद पे यकीन


  • खुद पे यकीन

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  • दिव्यांग सम्मान उत्सव का आयोजन 1 दिसंबर को:
    विश्व दिव्यांग दिवस के उपलक्ष्य पर अभिप्रेरणा

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  • फाउंडेशन, हरिद्वार 1 दिसंबर 2019 को दिव्यांग सम्मान उत्सव का आयोजन कर रहा हैं, 
    यह एक ऐसा मंच हैं, जिसमे हरिद्वार ज़िले के दिव्यांगजन अपनी कमजोरी को ताकत बनाते हुए अपनी दिव्यशक्ति से अवगत कराएंगे,
    इस मंच पर उन दिव्यांगजन को सम्मानित किया जाएगा, जो दिव्यांग होते हुए भी विभिन्न क्षेत्रों में समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, साथ ही इस मंच पर अभिप्रेरणा फाउंडेशन के छोटे छोटे बच्चों द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा!
    अभिप्रेरणा फाउंडेशन हरिद्वार विगत 12 वर्ष से दिव्यांगता, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र मे कार्य करती आ रही हैं, और साथ ही समाज मे दिव्यांगजनो को मुख्यधारा से जोड़ने हेतु ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन प्रत्येक वर्ष करती आ रही हैं, संस्था समाज के सभी बुद्धिजीवी, समाजसेवी और वर्ग एवम कार्यक्षेत्र मे कार्यरत हरिद्वारवासियो का इस 1 दिसंबर 2019 
    दिन रविवार
    सुबह 10:30 बजे
    होटल फ़्लोरा, शिवालिक नगर, भेल, हरिद्वार
    "अभिनंदन हैं आप सभी का"


स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा का शुभारंभ


  • स्वदेशी से ही विकसित होगा राष्ट्र :-अरूण ओझा 
    प्रेम नगर आश्रम में आरम्भ हुई स्वदेशी जागरण मंच की 14वीं राष्ट्रीय सभा 

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  • हरिद्वार 29 नवम्बर  स्वदेशी जागरण मंच की 14वीं राष्ट्रीय सभा का शुभारंभ प्रेम नगर आश्रम में स्वदेशी उत्पादो को अपनाने के आह्वान साथ हुआ,स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा ने देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि स्वदेशी की भावना और स्वदेशी उत्पादो को अपनाने से ही राष्ट्र विकसित होगा और हम विदेशी कंपनियों के षडयत्रो से देश की अर्थव्यवस्था को बचा सकते हैं। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पंतजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वदेशी संस्कृति हैं जिससे हमे विदेशी कंपनियों की विध्वंसकारी सोच से बचाना है। उन्हों ने कहा कि 28 वर्ष की यात्रा  में स्वदेशी जागरण मंच ने देश का मार्गदर्शन किया है और देश में स्वदेशी की भावना को जाग्रत कर लघु, कुटीर उद्योगों को संरक्षण प्रदान किया है। विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुऐ अमूल डेरी के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने देश में श्वेत क्रांति के जनक डा0 वर्गिज कुरियन को स्मरण करते हुए कहा कि अखण्ड भारत के निर्माता सरदार बल्लभ भाई पटेल ने जिस अमूल डेरी की 73 वर्ष पूर्व स्थापना की थी वह अमूल डेरी सहकारी क्षेत्र में स्वदेशी की भावना का अनूपम उद्धारण हैं और विदेशी कंपनियों को टक्कर देने वाली स्वदेशी सहकारी कम्पनी हैं। जो डेरी उत्पादो में देश की पहचान बनी हुई है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए गुरूकुल कांगडी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो0 रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि स्वभाषा, स्वसंस्कृति, स्वदेशी का प्रतीक है और हरिद्वार के गुरूकुल  ,आयुर्वेद संस्थान स्वदेशी आंदोलन के प्राचीन समय से ही अभिन्न अंग रहे है। हरिद्वार मेंस्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा का आयोजन हमारे लिए सौभाग्य का विषय है, इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधि हरिद्वार में गुरूकुल कांगडी फार्मेसी, पंतजलि योग पीठ जैसी स्वदेशी प्रतिष्ठानों और कम्पनीयो का अवलोकन करेंगे। उद्धाटन सत्र में आऐ हुए प्रतिनिधियों, अतिथियो का स्वागत विनोद चौधरी ने तथा सहयोग प्रदान करने वालो का आभार व्यवस्था समन्वयक राम कुमार चौधरी ने किया। उद्धाटन समारोह का संचालन स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संयोजक डा0 राजीव कुमार शर्मा ने किया तथा राष्ट्रीय संगठक कशमीरी लाल, सतीश कुमार, सुरेन्द्र सिंह स्वामी रूपेन्द्र महाराज   राज्य मंत्री विनोद आर्य,विधायक आदेश चौहान, अश्विनी महाजन, पूर्व मंत्री मोहन सिंह गाँववासी, कृष्ण कुमार शर्मा, डा0 भगवती प्रसाद, सरोज मित्रा, राज कुमार चतुर्वेदी, आन्दा शंकर, शीला भारतीय, अलका सैनी, बलराज सिंह, कमलजीत सिंह सहमति विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
    स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संयोजक राजीव शर्मा ने स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना और उद्देश्यो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1991 दतोपंत ढैंगडी जी ने देश को विदेशी कंपनियों की लूट से बचाने के लिए और देशवासीयो में स्वदेशी के प्रति अलख जगाने के लिए स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना की थी जो 28 वर्षो की यात्रा में देश भर में आंदोलन का रूप ले चुका है और निरंतर देश में स्वदेशी की भावना को जाग्रत कर रहा है।
     लघु भारत बना प्रेम नगर आश्रम 


स्वदेशी जागरण मंच की 14वीं राष्ट्रीय सभा में उ0प्र0,म0प्र0,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, बंगाल आदि राज्यों से सैकड़ों प्रतिनिधि तीन दिवसीय आयोजन में प्रतिभाग कर रहे है, जिसके चलते प्रेम नगर आश्रम लघु भारत के रूप में नजर आ रहा है,।


व्यर्थ की चिन्ता न करे

 


 


कल की चिंता में आज व्यर्थ में  न गवाऐ


मैंने एक फूल से कहा कल तुम मुरझा जाओगे  फिर क्यों मुस्कुराते हो?
व्यर्थ में यह ताजगी किसलिए लुटाते हो?
फूल चुप रहा -इतने में एक तितली आई
पल भर आनंद लिया,  उड गई, 
एक भौंरा आया गान सुनाया, सुगंध बटोरी,
और आगे बढ गया,
एक मधुमक्खी आई पल भर भिनभिनाई
पराग समेटा, और झूमती गाती चली गई, 


खेलते हुए एक बालक ने
स्पर्श सुख लिया, रूप-लावण्य निहारा,
मुस्कुराया और खेलने लग गया|


तब फूल बोला-
 || मित्र ||
क्षण भर को ही सही 
मेरे जीवन ने कितनों को सुख दिया 


क्या तुमने भी कभी ऐसा किया?


कल की चिन्ता में 
आज के आनंद में विराम क्यो करूँ!


माटी ने जो रूप,  रंग, रस, गंध दिए
उसे बदनाम क्यो करूँ!


मैं हँसता हूँ 
क्योंकि हँसना मुझे आता है, 


मैं खिलता हूँ 
क्योंकि खिलना मुझे सुहाता है, 


मैं मुरझा गया तो क्या
कल फिर एक नया फूल खिलेगा 
न कभी मुस्कान रुकी हैं, 
न......ही || सुगंध ||


जीवन तो एक सिलसिला है
इसी तरह चलेगा |


 "जो आपको मिला है उस में खुश रहिये और प्रभु का शुक्रिया कीजिए क्योंकि आप जो जीवन जी रहे हैं वो जीवन कई लोगों ने देखा तक नहीं है । "


खुश रहिये, मुस्कुराते रहिये और अपनों को भी खुश रखिए


स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा

 


 


 


 



  1. स्वदेशी आंदोलन को गति देगी राष्ट्रीय सभा :-अजय पतकी


शुक्रवार से प्रेम नगर आश्रम में आयोजित हो रही हैं स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा 


हरिद्वार  28 नवम्बर  प्रेम नगर आश्रम में स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा को लेकर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अजय पतकी, अखिल भारतीय भारतीय प्रचार प्रमुख दीपक शर्मा प्रदीप, क्षेत्रीय संयोजक राजीव शर्मा ने आयोजन और स्वदेशी जागरण मंच के उद्देश्यो, गतिविधियों तथा राष्ट्रीय सभा के कार्यक्रमों के विषय में जानकारी प्रदान की। स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अजय पतकी ने बताया कि 1991मे गठित स्वदेशी जागरण मंच एक आंदोलन हैं जो देशवासीयो में स्वदेशी उत्पादो को अपनाने की भावना पैदा कर देश को स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करता है उन्हों ने कहा कि हरिद्वार में होने वाले इस आयोजन से स्वदेशी आंदोलन को गति मिलेगी और देश भर से आऐ प्रतिनिधि देश के आर्थिक विकास, रोजगार सर्जन की सम्भावनाओ, वैश्विकरण के बाद उद्धोग, बाजार की स्थिति जैसे मुद्दों पर मंथन करके प्रस्ताव पारित करेंगे।अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख दीपक शर्मा प्रदीप एवं क्षेत्रीय संयोजक राजीव शर्मा ने आयोजन के विषय में जानकारी प्रदान की और राष्ट्रीय सभा में शामिल होने वाले वशिष्ट लोगो के विषय में जानकारी प्राप्त की, 29 नवम्बर से 1दिसम्बर तक होने वाली राष्ट्रीय सभा के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए क्षेत्रीय संयोजक  राजीव शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को राष्ट्रीय सभा का शुभारंभ प्रातः बजे होगा और शाम को उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य प्रदर्शनी का उद्घाटन करेगी, 30 नवम्बर को स्वदेशी संदेश यात्रा और स्वदेशी सभा का आयोजन किया गया है 1दिसम्बर को समापन होगा उन्हों ने बताया कि राष्ट्रीय सभा में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरूण ओझा, राष्ट्रीय संगठक कशमीरी लाल सहित सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र की विशिष्ट  हस्तिया शामिल होगी।


मानवता

एक 6 वर्ष का लडका अपनी 4 वर्ष की छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था।
अचानक से उसे लगा की,उसकी बहन पीछे रह गयी है।
वह रुका, पीछे मुडकर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खडी कोई चीज निहार रही है।
लडका पीछे आता है और बहन से पुछता है, "कुछ चाहिये तुम्हे ?" लडकी एक गुड़िया की तरफ उंगली उठाकर दिखाती है।
बच्चा उसका हाथ पकडता है, एक जिम्मेदार बडे भाई की तरह अपनी बहन को वह गुड़िया देता है। बहन बहुत खुश हो गयी है।
दुकानदार यह सब देख रहा था, बच्चे का व्यवहार देखकर आश्चर्यचकित भी हुआ ....
अब वह बच्चा बहन के साथ काउंटर पर आया और दुकानदार से पुछा, "सर, कितनी कीमत है इस गुड़िया की ?"
दुकानदार एक शांत व्यक्ती है, उसने जीवन के कई उतार चढाव देखे होते है। उन्होने बडे प्यार और अपनत्व से बच्चे से पुछा, "बताओ बेटे, आप क्या दे सकते हो?"
बच्चा अपनी जेब से वो सारी सीपें बाहर निकालकर दुकानदार को देता है जो उसने थोडी देर पहले बहन के साथ समुंदर किनारे से चुन चुन कर लायी थी।
दुकानदार वो सब लेकर युं गिनता है जैसे पैसे गिन रहा हो।
सीपें गिनकर वो बच्चे की तरफ देखने लगा तो बच्चा बोला,"सर कुछ कम है क्या?"
दुकानदार :-" नही नही, ये तो इस गुड़िया की कीमत से ज्यादा है, ज्यादा मै वापिस देता हूं" यह कहकर उसने 4 सीपें रख ली और बाकी की बच्चे को वापिस दे दी।
बच्चा बडी खुशी से वो सीपें जेब मे रखकर बहन को साथ लेकर चला गया।
यह सब उस दुकान का नौकर देख रहा था, उसने आश्चर्य से मालिक से पुछा, " मालिक ! इतनी महंगी गुड़िया आपने केवल 4 सिपों के बदले मे दे दी ?"
दुकानदार हंसते हुये बोला,
"हमारे लिये ये केवल सीप है पर उस 6साल के बच्चे के लिये अतिशय मूल्यवान है। और अब इस उम्र मे वो नही जानता की पैसे क्या होते है ?
पर जब वह बडा होगा ना...
और जब उसे याद आयेगा कि उसने सिपों के बदले बहन को गुड़िया खरीदकर दी थी, तब ऊसे मेरी याद जरुर आयेगी, वह सोचेगा कि,,,,,,
"यह विश्व अच्छे मनुष्यों से भरा हुआ है।"
यही बात उसके अंदर सकारात्मक दृष्टीकोण बढाने मे मदद करेगी और वो भी अच्छा इंन्सान बनने के लिये प्रेरित होगा।।


स्वदेशी

 


 


 


 


 


 


 



  1. स्वदेशी जागरण मंच की 14वीं राष्ट्रीय सभा 29 नवम्बर से
    हरिद्वार, 27 नवम्बर। देश में स्वदेशी के आन्दोलन को जनआन्दोलन बनाने वाली राष्ट्रीय स्वदेशी जागरण मंच की 14वीं राष्ट्रीय सभा का आयोजन दिनांक 29 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक हरिद्वार स्थित प्रेमनगर आश्रम में होने जा रहा है। जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा, राष्ट्रीय संघटक कश्मीरी लाल सहित उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, पतंजली के आचार्य बालकृष्ण शास्त्री और उतराखंड के मंत्री सतपाल महराज जैसे विशिष्ट अतिथि लेंगे। उक्त जानकारी राष्ट्रीय संघटक कश्मीरी लाल ने प्रदान करते हुए बताया कि इस आयोजन में संपूर्ण भारत से स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे।
    प्रेमनगर आश्रम में होने वाले इस आयोजन के सूत्रधार सतीश कुमार ने बताया कि 29 नवंबर को प्रात 10 बजे राष्ट्रीय सभा का शुभारभ होगा। प्रथम सत्र में राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा, राष्ट्रीय संघटक कश्मीरी लाल, पंतजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण, आर.एस. सोढ़ी का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री करेंगे। स्वदेशी जागरण मंच के उत्तर प्रदेश और उतराखंड प्रान्त के क्षेत्रीय संयोजक राजीव शर्मा ने बताया कि 29 नवंबर को ही सायंकाल में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य प्रदर्शनी का उद्घाटन करेगी तथा 30 नवंबर को स्वदेशी संदेश यात्रा के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधि स्वदेशी वस्तुएं अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर को ही सायंकाल स्वदेशी सभा का आयोजन किया जायेगा जिसके मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज रहेंगे।
    इस आयोजन में सुरेद्र सिंह, रामकुमार चौधरी, राजकुमार सैनी, दीपक कैनथल, अरुण पवार, डॉ. अरविंद कुमार मिश्र, डॉ. मीनाकक्षी, प्रवीण पुरोहित, प्रिंस यादव, योगेश विद्यार्थी सहित प्रांत स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।


अवैध निर्माण सीज


  • अवैध निर्माण सीज

  • हरकी पौड़ी पुलिस चौकी से चंद कदम दूर जाट धर्मशाला के सामने श्री साई गंगा शौपिंग माल के बराबर में उप कुंभ मेला अधिकारी सरदार हरवीर सिंह ने अवैध रूप से बन रहे होटल के निर्माण को रूकवाया और रात 9बजे पुनः अवैध निर्माण की सूचना पर छापा मार कर मिक्सिंग मशीन और दूसरे उपकरणों, मजदूरों को काम करते पाया, इस पर उप कुंभ मेला अधिकारी ने अवैध निर्माण को सीज कर मशीन जब्त कर ली


गौरव गोयल को बँधाई

 


 


 


 


श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर का आशीर्वाद गौरव गोयल को हुआ फलीभूत, निर्दलीय चुनाव लडके बने रूडकी नगर निगम के मेयर


हरिद्वार 25 नवम्बर  रूडकी की राजनीति में बड़ा फेर बदल कर निर्दलीय चुनाव लडके के गौरव गोयल ने जहाँ बडे बडे आकाओ को आईना दिखाया है वही लोकतंत्र में जनता जनार्दन है यह भी साबित किया है। चुनाव प्रचार के दौरान विनम्र स्वभाव के धनी जो उनकी जीत का आधार बना ने राम नगर जा कर श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास से उनके आवास राम नगर जा कर आशीर्वाद लिया था। श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास ने गौरव गोयल को माता की चुन्नी, प्रसाद तथा अपनी शुभकामनाएं देकर विजयी भवः का आशीर्वाद प्रदान किया था और कल मतगणना में जँहा जनता का प्यार  गौरव गोयल को मिला वही श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर का आशीर्वाद भी फलीभूत हुआ। श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास ने गौरव गोयल की जीत को जनता जनार्दन की जीत बताते हुए प्रसन्नता प्रकट करते हुए विश्वास जताया कि गौरव गोयल रूडकी का चहुंमुखी विकास करेंगे और रूडकी का वैभव बरकरार रखेगे, गौरव गोयल को समाजसेवी संजय वर्मा, गगन नामदेव, अनीता वर्मा, राहुल खत्री,  रूडकी के वरिष्ठ समाजसेवी अनील लोहानी, अश्विनी दीक्षित, विरेन्द्र शर्मा, गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट के पदाधिकारीयो, उत्तराखंड किसान मजदूर उत्थान परिषद, शरणय फाउंडेशन, प्रगत भारत संस्था के पदाधिकारीयो ने प्रसन्नता प्रकट करते हुए बँधाई दी.


मनोनयन


  • किसान मजदूरों के हितो की होगी रक्षा : अनीता वर्मा

  • समाजसेवी अनीता वर्मा को अध्यक्ष और सुदीप बनर्जी को महामंत्री मनोनीत किया गया

  • हरिद्वार, 23 नवंबर। श्यामपुर कांगड़ी स्थित स्वामी विवेकानंद एकेडमी स्थित प्रांगण में किसानों व मजदूरों के उत्थान वेलफेयर को लेकर वरिष्ठ किसान नेता दलजीत सिंह मान की अध्यक्षता में बैठक आहुत की गई। इस अवसर पर बैठक में सर्वसम्मति से किसान मजदूर उत्थान परिषद का गठन किया गया जिसमें सर्वसम्मति से अध्यक्ष अनीता वर्मा, महामंत्री सुदीप बनर्जी, कोषाध्यक्ष सुनील सैनी, सदस्य जय भगवान कश्यप, धर्मपाल, विकास कुमार पुंडीर, हरजीत सिंह, विनोद रावत, हरिप्रकाश नेगी व विधि सलाहकार एडवोकेट आकांक्षा पुंडीर तथा संरक्षक पूर्व कृषि उत्पादन मंडी समिति अध्यक्ष संजय चोपड़ा,  महंत रोहित गिरी, धर्मगुरु भास्कर आनंद गिरि, श्रीमहत विनोद गिरी महाराज के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता संजय वर्मा को चुना गया।
    इस अवसर पर किसान मजदूर उत्थान परिषद के संरक्षक संजय चोपड़ा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं व मजदूरों के हितों के लिए न्यायसंगत रूप से किय गये कार्यों को लाभ किसानों तक पहुंचाया जायेगा। शीघ्र ही मजदूर उत्थान परिषद द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में भव्य आयोजन कर खुले मंच के माध्यम से किसान भाइयों के रचनात्मक सुझावों को सरकार में शासन प्रशासन तक पहुंचाया जाएगा और किसान मजदूरों को संगठित कर उनकी हर समस्या के निदान के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेंगे।
    इस मौके पर किसान मजदूर उत्थान परिषद की नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमती अनीता वर्मा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आये दिन मजदूर महिलाओं व किसान भाइयों की समस्या बढ़ती जा रही है। किसान मजदूर के उत्थान के लिए परिषद द्वारा जो जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है उसको निष्पक्ष रुप से उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए हर प्रकार के संघर्ष किए जाएंगे। उन्होंने कहा किसान मजदूरों को राष्ट्रीय स्तर पर चलाई जा रही मनरेगा योजनाओं को शुद्ध रूप से क्रियान्वित कराने के लिए कार्य निरंतर जारी रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा राज्य सरकार के संरक्षण में किसानों को जागरूक करने के लिए साल वर्ष में दो बार खरीफ और रबी की बुवाई के बारे में जागरूक किया जाता है लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण उचित समय पर संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जिसके कारण किसानों का खेती से विश्वास उठता जा रहा है किसानों में नई आशा की किरण जगायी जागयी और उनकी हर समस्या के निदान के लिए कदम उठाए जाएंगे।
    इस अवसर पर किसान मजदूर उत्थान परिषद की प्रथम बैठक में सम्मिलित हुए किसान में मजदूरों के प्रतिनिधियों में मीनाक्षी भट्ट,  आरती सैनी, मंजू कश्यप, कविता नेगी, मुन्नी देवी, सुमित्रा देवी, गोपाल कृष्ण, पुरुषोत्तम रावत, राजेश कश्यप, गोपालदत्त रतूड़ी, कमलेश कांडपाल, अमरीश कश्यप, आकाश जवाड़ी, प्रवीण भट्ट आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे


दृढ इच्छा

दृढ इच्छा शक्ति (एस के कुलश्रेष्ठ) 


        [यह जापान में घटी, एक सच्ची घटना है ।]


➖     अपने घर का नवीनीकरण करने के लिये, 
एक जापानी अपने मकान की दीवारों को तोड़ रहा था । 
जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती हैं, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं ।


        जब वह लकड़ी की दीवारों को चीर-तोड़ रहा था, तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली, बाहर से उसके पैर पर ठुकी कील के कारण, एक ही जगह पर जमी पड़ी है ।


        जब उसने यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई पर साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया । जब उसने आगे जाँच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पाँच साल पहले ठोंका गई थी !


        एक छिपकली इस स्थिति में पाँच साल तक जीवित थी ! दीवार के अँधेरे पार्टीशन के बीच, बिना हिले-डुले ? यह अविश्वसनीय, असंभव और चौंका देने वाला था !


        उसकी समझ से यह परे था कि एक छिपकली, जिसका एक पैर, एक ही स्थान पर पिछले पाँच साल से कील के कारण चिपका हुआ था और जो अपनी जगह से एक इंच भी न हिली थी, वह कैसे जीवित रह सकती है ?


        अब उसने यह देखने के लिये कि वह छिपकली अब तक क्या करती रही है और कैसे अपने भोजन की जरुरत को पूरा करती रही है, अपना काम रोक दिया ।


        थोड़ी ही देर बाद, पता नहीं कहाँ से, एक दूसरी छिपकली प्रकट हुई, वह अपने मुँह में भोजन दबाये हुये थी - उस फँसी हुई छिपकली को खिलाने के लिये ! उफ़्फ़ ! वह सन्न रह गया ! यह दृश्य उसके दिल को अंदर तक छू गया !


        एक छिपकली, जिसका एक पैर कील से ठुका हुआ था, को, एक दूसरी छिपकली पिछले पाँच साल से भोजन खिला रही थी !


        अद्भुत ! दूसरी छिपकली ने अपने साथी के बचने की उम्मीद नहीं छोड़ी थी, वह पहली छिपकली को पिछले पाँच साल से भोजन करवा रही थी ।


        अजीब है, एक छोटा-सा जंतु तो यह कर सकता है, पर हम मनुष्य जैसे प्राणी, जिसे बुद्धि में सर्वश्रेष्ठ होने का आशीर्वाद मिला हुआ है, नहीं कर सकता !


     *कृपया अपने प्रिय लोगों को कभी न छोड़ें ! लोगों को उनकी तकलीफ़ के समय अपनी पीठ न दिखायें ! अपने आप को महाज्ञानी या सर्वश्रेष्ठ समझने की भूल न करें ! आज आप सौभाग्यशाली हो सकते हैं पर कल तो अनिश्चित ही है और कल चीज़ें बदल भी सकती हैं !*


       प्रकृति ने हमारी अंगुलियों के बीच शायद जगह भी इसीलिये दी है ताकि हम किसी दूसरे का हाथ थाम सकें !


     *आप आज किसी का साथ दीजिये, कल कोई-न-कोई दूसरा आपको साथ दे देगा !*


     *धर्म चाहे जो भी हो बस अच्छे इंसान बनो, हिसाब हमारे कर्म का होगा धर्म का नहीं ।*


*👬🤝Help each others 🤝👬*


प्रकृति के नियम


  • ☝🏽प्रक्रति के नियम 


खाना जो हम खाते हैं, 24 घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए,
 वरना हम बीमार हो जायेंगे ।


पानी जो हम पीते हैं, 04 घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए
 वरना हम बीमार हो जायेंगे ।


हवा जो हम सांस लेते हैं, कुछ सेकंड में ही वापस बाहर निकल जानी चाहिए, 
वरना हम मर ही जायेंगे ।


लेकिन नकारात्मक बातें, जैसे कि:---- घृणा,  गुस्सा,  ईर्षा, असुरक्षा .... आदि आदि,
 जिनको हम अपने अंदर दिन, महीने और  सालों  तक  रखे  रहते हैं ।


यदि इन नकारात्मक विचारों को समय-समय पर अपने अंदर से नहीं निकालेंगे तो एक दिन निश्चित ही हम मानसिक रोगी बन जायेंगे ....!!!


आओ सोचें कि हमे क्या करना है???



🙏🏽☝🏽🙏🏽(एस के कुलश्रेष्ठ)


आरती


  • ओम जय जगदीश हरे (एस के कुलश्रेष्ठ) 


*"ओम् जय जगदीश हरे", आरती आज हर हिन्दू घर में गाई जाती है! इस आरती की तर्ज पर अन्य देवी देवताओं की आरतियाँ बन चुकी है और गाई जाती है!*


*परंतु इस मूल आरती के रचयिता के बारे में काफी कम लोगों को पता है!*


*इस आरती के रचयिता थे पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी.*


*पं. श्रद्धाराम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले जालंधर में स्थित फिल्लौर शहर में हुआ था.*


*वे सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे!*


*उनका विवाह सिख महिला महताब कौर के साथ हुआ था.*


*बचपन से ही उन्हें ज्यौतिष और साहित्य के विषय में गहरी रूचि थी.*


*उन्होनें वैसे तो किसी प्रकार की शिक्षा हासिल नहीं की थी परंतु उन्होंने सात साल की उम्र तक गुरुमुखी में पढाई की और दस साल की उम्र तक वे संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी भाषाओं तथा ज्योतिष की विधा में पारंगत हो चुके थे!*


*उन्होने पंजाबी (गुरूमुखी) में 'सिक्खां दे राज दी विथियाँ' और 'पंजाबी बातचीत' जैसी पुस्तकें लिखीं.*


*'सिक्खां दे राज दी विथियाँ' उनकी पहली पुस्तक थी. इस पुस्तक में उन्होनें सिख धर्म की स्थापना और इसकी नीतियों के बारे में बहुत सारगर्भित रूप से बताया था!*


*यह पुस्तक लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय साबित हुई थी और अंग्रेज सरकार ने तब होने वाली आईसीएस (जिसका भारतीय नाम अब आईएएस हो गया है) परीक्षा के कोर्स में इस पुस्तक को शामिल किया था.*


*पं. श्रद्धाराम शर्मा गुरूमुखी और पंजाबी के अच्छे जानकार थे और उन्होनें अपनी पहली पुस्तक गुरूमुखी में ही लिखी थी, परंतु वे मानते थे कि हिन्दी के माध्यम से ही अपनी बात को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाया जा सकता है!*


*हिन्दी के जाने माने लेखक और साहित्यकार पं. रामचंद्र शुक्ल ने पं. श्रद्धाराम शर्मा और भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिन्दी के पहले दो लेखकों में माना है!*


*उन्होनें १८७७ में भाग्यवती नामक एक उपन्यास लिखा था जो हिन्दी में था. माना जाता है कि यह हिन्दी का पहला उपन्यास है.*


*इस उपन्यास का प्रकाशन १८८८ में हुआ था. इसके प्रकाशन से पहले ही पं. श्रद्धाराम का निधन हो गया परंतु उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने काफी कष्ट सहन करके भी इस उपन्यास का प्रकाशन करावाया था!*


*वैसे पं. श्रद्धाराम शर्मा धार्मिक कथाओं और आख्यानों के लिए काफी प्रसिद्ध थे.*


*वे महाभारत का उदाहरण देते हुए अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जनजागरण का ऐसा वातावरण तैयार कर देते थे, कि उनका आख्यान सुनकर प्रत्यैक व्यक्ति के भीतर देशभक्ति की भावना भर जाती!*


*इससे अंग्रेज सरकार की नींद उड़ने लगी और उसने १८६५ में पं. श्रद्धाराम को फुल्लौरी से निष्कासित कर दिया और आसपास के गाँवों तक में उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी!*


*लेकिन उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों का पठन विद्यालयों में हो रहा था और वह जारी रहा.


*निष्कासन का उन पर कोई असर नहीं हुआ, बल्कि उनकी लोकप्रियता और बढ गई.*


निष्कासन के दौरान उन्होनें कई पुस्तकें लिखी और लोगों के सम्पर्क में रहे. 


*पं. श्रद्धाराम ने अपने व्याख्यानों से* लोगों में अंग्रेज सरकार के खिलाफ क्रांति की मशाल ही नहीं जलाई *बल्कि साक्षरता के लिए भी ज़बर्दस्त काम किया.*


*1870 में उन्होने एक ऐसी आरती लिखी जो भविष्य में घर घर में गाई जानी थी. वह आरती थी - ऑम जय जगदीश हरे...*


*पं. शर्मा जहाँ कहीं व्याख्यान देने जाते ओम जय जगदीश आरती गाकर सुनाते.* 


उनकी यह आरती लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगी और फिर तो आज कई पीढियाँ गुजर जाने के बाद भी यह आरती गाई जाती रही है और कालजई हो गई है. 


*इस आरती का उपयोग प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक मनोज कुमार ने अपनी एक फिल्म में किया था* और इसलिए कई लोग इस आरती के साथ मनोज कुमार का नाम जोड़ देते हैं.


पं. शर्मा सदैव प्रचार और आत्म प्रशंसा से दूर रहे थे. शायद यह भी एक वजह हो कि उनकी रचनाओं को चाव से पढने वाले लोग भी उनके जीवन और उनके कार्यों से परिचित नहीं हैं. 


*24 जून 1881 को लाहौर में पं. श्रद्धाराम शर्मा ने आखिरी सांस ली.*


*ॐ जय जगदीश हरे,*
*स्वामी जय जगदीश हरे |*
*भक्त जनों के संकट,*
*दास जनों के संकट,*
*क्षण में दूर करे |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*जो ध्यावे फल पावे,*
*दुःखबिन से मन का,*
*स्वामी दुःखबिन से मन का |*
*सुख सम्पति घर आवे,*
*सुख सम्पति घर आवे,*
*कष्ट मिटे तन का |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*मात पिता तुम मेरे,*
*शरण गहूं किसकी,*
*स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |*
*तुम बिन और न दूजा,*
*तुम बिन और न दूजा,*
*आस करूं मैं जिसकी |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*तुम पूरण परमात्मा,*
*तुम अन्तर्यामी,*
*स्वामी तुम अन्तर्यामी।*
*पारब्रह्म परमेश्वर,*
*पारब्रह्म परमेश्वर,*
*तुम सब के स्वामी |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*तुम करुणा के सागर,*
*तुम पालनकर्ता,*
*स्वामी तुम पालनकर्ता |*
*मैं मूरख फलकामी*
*मैं सेवक तुम स्वामी,*
*कृपा करो भर्ता |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*तुम हो एक अगोचर,*
*सबके प्राणपति,*
*स्वामी सबके प्राणपति |*
*किस विधि मिलूं दयामय,*
*किस विधि मिलूं दयामय,*
*तुमको मैं कुमति |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,*
*ठाकुर तुम मेरे,*
*स्वामी रक्षक तुम मेरे |*
*अपने हाथ उठाओ,*
*अपने शरण लगाओ*
*द्वार पड़ा तेरे |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*विषय-विकार मिटाओ,*
*पाप हरो देवा,*
*स्वामी पाप हरो देवा |*
*श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,*
*श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,*
*सन्तन की सेवा |*


*ॐ जय जगदीश हरे ||🙏*


*प्रेम 💕 की खुशबू बनकर बिखरते रहे !


जेपी पाण्डे की स्मृति में हो चौक का नामकरण


  • जे0 पी0 पाण्डे की स्मृति में बने चौराहा 


हरिद्वार 22 नवंबर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के केंद्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय जेपी पांडे को याद करते हुए नगर निगम तिराह पर फायर ब्रिगेड  स्टेशन के पास पूर्व कृषि उत्पादन मंडी समिति अध्यक्ष संजय चोपड़ा के संयोजन में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई ,सभा के माध्यम से स्वर्गीय पांडे को याद करते हुए उनकी याद में श्रद्धा सुमन अर्पित किए व भाऊ भीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा के उपरांत नगर निगम आयुक्त के कार्यालय पर एक प्रतिनिधि मंडल मुख्य नगर आयुक्त की अनुपस्थिति में अपर मुख्य नगर आयुक्त महेंद्र यादव से मिलकर संयुक्त रूप से सामाजिक संगठनों की ओर से प्रस्ताव दिए गए आंदोलनकारी नेता जेपी पांडे की याद में नगर निगम तिराहे का नाम जेपी पांडे की मूर्ति लगाकर जेपी पांडे तिराहा व चोक घोषित किया जाए ताकि जेपी पांडे की याद वे उनके किए गए रचनात्मक कार्यों स्वर्गीय पांडे के किए गए  जनहीत के लंबे संघर्ष को समाजिक रूप से धोराता जाता रहे ।
इस अवसर पर पूर्व कृषि उत्पादन मंडी समिति अध्यक्ष भाजपा नेता संजय चोपड़ा ने कहा  जेपी पांडे के किए गए संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता  स्वर्गीय पांडे का स्वभाव एक नेक नरम दिल और सुध बुध के ज्ञयाता थे । अधिकारियों से अपनी मांगे मनवाने की  महारत कला से परिपूर्ण थे उत्तराखंड आंदोलन में  अपनी अग्रिम भूमिका में रहते हुए आंदोलनकारी शहीदों के दर्द को समझते थे हमारी नगर निगम प्रशासन से मांग है कि नगर निगम का मुख्य तिहरा क नाम जेपी पांडे चौक घोषित कर जेपी पांडे की मूर्ति लगाकर  स्वर्गीय जेपी पांडे द्वारा  जनहित में वह राज्य हित में किए गए संघर्ष को सामाजिक रूप से दर्शया जाता रहे । उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत रूप से जेपी पांडे जी से मेरे अच्छे संबंध थे उन्होंने हमेशा निर्बल झोपड़पट्टी असंगठित क्षेत्र के मजदूर संगठित क्षेत्र के मजदूरों साइकिल रिक्शा चालकों जैसे निचले पायदान पर बैठे व्यक्तियों की आवाज बुलंद कर उनको सामाजिक रूप से न्याय दिलाने के लिए आए दिन संघर्ष किया जाना भुलाया नहीं जा सकता उन्होंने यह भी  कहा की यदि नगर निगम प्रशासन मूर्ति  लगाने की अनुमति देती है तो स्वर्गीय जेपी पांडे की मूर्ति हम अपने खर्चे पर लगाने को तैयार है नगर निगम में मुख्य नगर आयुक्त की अनुपस्थिति में अपर मुख्य नगर अधिकारी महेंद्र यादव से मिलते प्रतिनिधिमंडल में भूपेंद्र राजपूत ,महेंद्र सैनी ,विक्रम चौधरी ,सतीश प्रजापति हरिकिशन लोधी, हंसराज अरोड़ा छोटे लाल शर्मा ,प्रभात चौधरी ,ओम प्रकाश भाटिया आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे ।


मतदान


  • पूज्य लाल माता वैष्णो देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास ने रूडकी नगर निगम के चुनाव में वार्ड न0 25 से मूलराज  इंटर कालेज में अपने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए वोट दिया


जनसेवा


  1. महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट ने स्वामी नित्यानन्द सरस्वती विद्धा मंदिर के बच्चों को वितरित किये गर्म कपड़े 



गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की प्रेरणा से शिक्षिकाओ और बच्चों को उपहार स्वरूप भेंट किये गये गर्म वस्त्र


हरिद्वार 22 नवम्बर महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट भूपतवाला के सेवा प्रकल्प के अन्तर्गत उत्तरी हरिद्वार के विभिन्न स्कूलो में गर्म कपड़े बाँटने के अभियान की शुरुआत स्वामी अजरानंद अंधविद्धालय से विगत दिनों की गई थी शुक्रवार को गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की प्रेरणा से स्वामी नित्यानन्द सरस्वती विद्धा मंदिर के दो सौ छात्र -छात्राओं एवं शिक्षिकाओ को उपहार स्वरूप गर्म वस्त्र भेंट किये गये। इस अवसर पर महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के ट्रस्टी संतोष बंसल ने बताया कि प्रति वर्ष जनहित के कार्यो के अन्तर्गत ट्रस्ट के द्वारा इस प्रकार का आयोजन किया जाता है। गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के, प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि समाजसेवी संस्थाओ का परमार्थ  के लिए किया गया कार्य अन्य लोगों के लिए प्रेरणा लेने का आधार बनता है जिससे समाज में बदलाव आता है। पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के सेवा कार्यो की प्रशंसा करते हुए प्रबन्धक जग पाल सिंह मित्तल, ट्रस्टी संतोष बंसल, प्रबंधक रवि प्रकाश मिश्रा का अभिनन्दन करते हुए कहा कि विद्धा भारतीय  के स्कूल बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार शिक्षित करते है और महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट, गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट जैसे सामाजिक संस्थाए इन विद्धालयो को मदद दे कर मानवीय कार्य करते हैं। इस अवसर पर समाजसेवी संजय वर्मा, गगन नामदेव, विरेन्द्र शर्मा, एडवोकेट आकांक्षा पुंडीर, शिक्षिकाओ प्रियंका अरोड़ा, दीपशिखा चौहान, आदि ने बच्चों को गर्म कपड़े वितरित किये तथा अतिथियो के प्रति आभार प्रकट किया।


अपराजिता


  • शिक्षित बेटी ही है सबलसमाज का आधार 

  •  

  • अमर उजाला फाउंडेशन, महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट ने आयोजित किया अपराजिता कार्यक्रम 

  •  

  • हरिद्वार 22 नवम्बर  गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट के संयोजन में स्वामी नित्यानन्द सरस्वती विद्धा मंदिर अमर उजाला फाउंडेशन की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढाओ के अन्तर्गत महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट भूपतवाला के सहयोग से अपराजिता हंड्रेड मिलयन स्माईल अभियान के अन्तर्गत भूपतवाला के स्वामी नित्यानन्द सरस्वती विद्धा मंदिर में बालिकाओ को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के ट्रस्टी संतोष बंसल तथा संचालन प्रबंधक रवि प्रकाश मिश्रा ने किया। बेटी बचाओ बेटी पढाओ विषय पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने कहा कि शिक्षित बेटी ही सबल समाज का आधार है उसका स्वस्थ और सेहतमंद होना आवश्यक है उन्हों ने कहा कि अमर उजाला फाउंडेशन की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढाओ से जँहा समाज में बदलाव आ रहा है वही सामाजिक संस्थाए भी अपराजिता अभियान में शामिल हों कर अपना योगदान दे रही है। पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने अपराजिता अभियान को समाज की आवश्यकता बताते हुए अमर उजाला फाउंडेशन को बँधाई देते हुए कहा कि अमर उजाला समाचार पत्र जहाँ मीडिया में विश्वसनीयता का प्रतीक है वही अमर उजाला फाउंडेशन समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के ट्रस्टी संतोष बंसल ने कहा कि बेटियों को समान अवसर मिलने चाहिए शिक्षा आगे बढ़ने का हथियार है जिसमें बेटीयां अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रही हैं। विद्धलाय के प्रधानाचार्य अशोक कुमार चौहान, ने अपने विद्धलाय में अपराजिता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आयोजको का आभार प्रकट किया। विद्धलाय की वरिष्ठ शिक्षिका प्रियंका अरोड़ा के संयोजन में छात्राओ के मध्य भाषण, निबंध, गीत, कविता  की प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय विजेताओ को पुरस्कृत किया गया,विद्धालय की शिक्षिका अकिंता डबराल, दिव्यानी पांडे, कविता पंत, दीपशिखा चौहान, पवन कुमारी,समाजसेवी गगन नामदेव, संजय वर्मा, एडवोकेट आकांक्षा पुंडीर, पलक वर्मा, विकास पुंडीर, विरेन्द्र शर्मा आदि ने पुरस्कार दे कर सम्मानित किया।


गोविंद कृपा


  • गोविंद अकारण ही भक्तो पर कृपा करते हैं 


*बीकू नाम का लड़का रेलगाड़ी में साफ सफाई करके उससे जो पैसे मिलते उससे अपने घर का गुजारा करता था!*
 *उसके घर में एक बूढ़ी मां एक छोटी बहन और बीमार पिता थे!*
 *1 दिन रेल गाड़ी की सीट के नीचे से सफाई करते करते उसको एक पर्स मिला पर्स को पकड़ते ही उसके हाथ कांपने लगे उसको लगा कि इसमें बहुत सारे पैसे होंगे उसने जल्दी से परस उठाया और अपनी निकर की जेब में डाल लिया वह इस इंतजार में था कि कब गाड़ी रुके और कब मैं इस पर्स  को खोल कर देखूं  कि इस में कितने पैसे हैं और उन पैसों से में अपने घर के लिए कुछ राशन बीमार पिता के लिए दवाई लेकर जाऊं।*


 *स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही वह जल्दी से गाड़ी से उतरा और कहीं एकांत में जाकर जल्दी-जल्दी उस पर उस को खोल कर देखने लगा पर्स को देखते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि पर्स बिल्कुल खाली था उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया!*


 *पर्स की पिछली जेब में अचानक उसको किसी भगवान की तस्वीर नजर आई तस्वीर को देखते ही जैसे उसके शरीर में हलचल सी होने लगी और उसकी आंखों से दो मोटे मोटे आंसू निकल कर उस तस्वीर के चरणों में गिर पड़े!*


 *यह आंसु पर्स में कुछ ना मिलने के कारण थे या उस तस्वीर में मिले भगवान को देखकर थे! बहुत हिम्मत  कर के वो वहां से उठा और थके हुए कदमों से चलने को तैयार हुआ चलते चलते वह सोचने लगा कि आज तो घर में खाने को कुछ नहीं है मां भी भूखी है बहन की पेट में  भी अन्न का एक दाना नहीं गया बीमार पिता को भी दवाई खाने से पहले कुछ खाना था यही सोचते सोचते गली की नुक्कड़ पर किसी की शादी हो रही थी, शादी में बचा हुआ खाना वहां का सेठ लोगों को बांट रहा था तो भी को भी लाइन में लग गया तो उसको भी   2-3लिफाफे भर कर खाने के लिए मिले!*


 *उसकी तो खुशी का जैसे ठिकाना ही नहीं था घर जाते ही उसने यह खाना अपनी मां को दिया और कहा कि मां देखो आज मैं कितना खाना लाया हूं मां कहती है बेटा ला तेरी बहन  भुख के कारण सुबह से रो रही है और मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया और तेरे बीमार पिता को भी कुछ चाहिए खाने के लिए !*


 *भीकू हैरान था कि जो सेठ उसको देख कर नाक मुंह सिकोड़ता है आज उसने मुझे खाने को क्यों दे दिया तभी उसने जेब में से पर्स निकाल कर और इस तस्वीर को देखा और उसका धन्यवाद किया कि शायद आज आपके कारण ही मुझे खाना मिला है ।*
*मां ने कहा कि यह खाना तो कल पूरा दिन चल जाएगा अगले दिन भी को फिर काम के लिए निकला स्टेशन पर पहुंचते ही वह गाड़ी में चढ़ने लगा अभी एक भी बीमार और बूढ़ी औरत उसको कहने लगी कि उसके लिए टिकट ले आओ मेरे पैर में चोट लगी है बीकू बोला हां हां मां जी मैं ला दूंगा!*
 *उसने उसको 500 का नोट दिया और भी झट से टिकट लेने के लिए चला गया तभी गाड़ी की सीटी बज गई और गाड़ी चलने के लिए तैयार थी तो बीकू भागा भागा!*


 *रेल गाड़ी की खिड़की से से ही उस बूढ़ी औरत को टिकट पकड़ा आता है लेकिन बाकी पैसे उसके हाथ में ही रह जाते हैं तो बूढ़ी औरत उसको खिड़की से इशारा करती है बाकी तू रख ले बाकी ₹275 बचे थे बीकू  हैरानी से हाथ में पकड़ के पैसों को देखता रहा! तब तक गाड़ी जा चुकी थी वह गाड़ी में ना चढ़कर घर की तरफ चल पड़ा और रास्ते में उसने एक हफ्ते का उन पैसों से राशन ले लिया और मां को देखकर बोला देखो मां आज तो खूब कमाई हुई यह एक हफ्ते का पूरा राशन है मां यह देखकर बहुत खुश हुई तभी उसने जेब में से फिर वही भगवान को निकाल कर देखा और कहा कि यह सब चमत्कार आपके कारण ही हो रहा है !*


*मैं नहीं जानता कि आप कौन हो तभी उसने जे में से तस्वीर को निकाल कर अपनी मां को दिखाया और कहा की मां यह कौन से भगवान है?*


 *मां ने उसकी तरफ नहीं देखा क्योंकि वह तो इतना राशन देखकर बहुत खुश हो रही थी बीकू ने देखा कि मा नहीं देख रही तो उसने पर्स  अपनी जेब में ही रख लिया फिर एक दिन जब वो रेल गाड़ी में सवार होकर जा रहा था और सफाई की सीटों के नीचे सफाई कर रहा था तभी आठ 10 लोग वही तस्वीर वही तस्वीर को लेकर जोर जोर से हरे कृष्णा का जाप करें हैं!*


 *बीकू उस तस्वीर को देखकर हैरान हो गया और सीट पर बैठी एक बूढ़ी औरत को हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता से बोला कि माताजी यह कौन है और आप यह क्या भजन कर रहे हो?*
 *मुझे भी बताओ तो उसकी तो वह औरत कहती कि यह बांके बिहारी जी है! यह वृंदावन में रहते हैं, जो भी इन की शरण में जाता है बांके बिहारी उसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं!*


 *यह वृंदावन के मालिक ही समझ लो बीकू जेब में से उस तस्वीर को निकालकर उस माताजी को दिखाता है कि यह बांके बिहारी जी हैं तो वह कहती हां हां बेटा यह बांके बिहारी जी हैं !यह वृंदावन में रहते हैं तो बीकू की आंखों में फ़िर आंसू आ गए वह कहता कि मैंने भी वृंदावन जाना है, की क्या मुझे लेकर जाओगे,तो माता जी कहते हैं यह गाड़ी वृंदावन ही जा रही है चलो तू मेरे साथ ही चलो बीकू को आप पीछे अपनी मां और बहन की खाने की कोई चिंता नहीं थी,क्योंकि बिहारी जी ने तब तक लिए तो उनका इंतजाम कर ही दिया था बीकू माताजी और 8-10 लोगों के साथ चल पड़ा वृंदावन पहुंचते ही वह लोग अपने रस्ते चल पड़े बीकू को कुछ भी नहीं पता था कि वह कहां जाए बिहारी जी कहां रहते हैं तो वह लोगों को बिहारी जी की तस्वीर को दिखाता हुआ कहता है कि यह बिहारी जी कहां रहते हैं,तो वृंदावन के लोग उस पर हंसते हुए कहते हैं कि यह वृंदावन उनका ही है!*


 *यह हरजगह रहते हैं फिर वह कहता कि उनका घर कहां है तब एक सज्जन पुरुष बीकू को मिला और कहने लगा कि चलो मैं तुझे बिहारी जी के पास लेकर जाता हूं तब उसको बिहारी जी के मंदिर लेकर आ मंदिर में बहुत भीड़ थी बीकू को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था वह दूर से ही जी को देखकर निहाल हो गया।*


 *उसकी आंखों में झर झर आंसू बहने लगे आंसू के कारण उसकी उसकी आंखों में बिहारी जी की छवि धुंधली धुंधली आने लगी तभी मंदिर की लाइट चली गई आंखों में धुंधलापन के कारण और लाइट लाइट ना होने के कारण भी को को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था तभी उसको अपने पास एक तेज रोशनी नजर आई और उसको लगा कि उसका हाथ कोई खींच रहा है।*
 *जब उसने ध्यान से देखा एक छोटा सा बालक उसको खींच कर कह रहा है- बीकू तूम आओ मेरे साथ।*


 *वह बालक उसको एक कोने में ले जाकर कहता है कि अब आए हो मैं तो कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं! बीकू कहता तुम कौन हो? घबराहट के कारण भी कुछ से बोला भी नहीं जा रहा था, मैं वही हूं जिसको तू अपनी जेब में लेकर घूम रहे हो!*


 *तेरा मेरा नाता तो उसी दिन से बन गया था जब तूने मेरी तस्वीर को देखकर अपने आसुओ से मेरे पैरोको धोया था,तबसे तू मेरी शरण में है, और मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं!*


 *आज तुम आए हो अब ना मैं तुम्हें जाने दूंगा बीकू से कुछ भी ना बोला गया और मन में सोचने लगा कि मैं यहां रह जाऊंगा तो मेरे माता-पिता और छोटी बहन का क्या होगा?*


 *बिहारी जी उसके मन की मंशा को समझ गए और कहने लगे तू उनकी चिंता मत कर! वहां पर एक सेठको जिस बस्तीें मे तेरे माता-पिता रहते हैं, मंदिर बनाना था,उन्होंने उस झोपड़ी  के बदले तेरे माता-पिता को एक पक्का घर बना कर दे दिया है, और साथ में खाने पीने का भी पूरा प्रबंध है, तो उनकी चिंता मत कर अब तू यहीं रह !*


*अब से तू मेरा सखा है ।वह कहता मैं यहां कहां रहूंगा तो बिहारी जी बोले आज से तू बाहर माला फूलों की दुकान लगाया करेगा, और आज से मैं तेरे हाथ के बने फूलों की माला ही पहनुंगा ।*


*आज से तू मेरी शरण में है। मेरी शरण में जो एक बार आ जाता है, मैं उसका साथ नहीं छोड़ता। बीकु को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था,और वह आंखों में आंसू की धारा बहाता हुआ बिहारी जी का पांव में गिर पड़ा।*


 *जब उसने ऊपर उठकर देखा तो बिहारी जी वहां नहीं थे वह तो मंदिर में विराजमान थे! बिहारी जी की अपने ऊपर ऐसी कृपा देखकर बीकू धन्य धन्य हो उठा,और बिहारी जी को एकटक निहारता रहा और मन में बोलता रहा बांके बिहारी लाल की जय हो!!*
    🙏🏻 *जय जय श्री राधे*🙏🏻(संजय वर्मा)
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<no title>स्वच्छता ही सेवा


  • स्वच्छता में ही है ईश्वर का वास:- एन एस नयाल 

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  • रीजनल आऊटरीच ब्यूरों ने रूडकी के वासुदेव सरस्वती विद्धा मंदिर इंटर कालेज में आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम 
    मुख्य अतिथि संजय वर्मा, विशिष्ट अतिथि अनीता वर्मा ने प्रतियोगिता के विजेताओ को किया पुरस्कृत। 


रूडकी 20 नवम्बर  भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के रीजनल आऊटरीच ब्यूरों देहरादून के संयोजन में गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट के सहयोग से ब्रह्मपुर रूडकी स्थिति वासुदेव मैथिल सरस्वती विद्धा मंदिर इंटर कालेज में स्वच्छता, सिगंल यूज प्लास्टिक  उन्मूलन, बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर बच्चों के बीच निबंध, भाषण, प्रशनोत्तरी, जागरूकता रैली आदि का आयोजन किया गया। देहरादून से आऐ सर्व शक्तिमान सांस्कृतिक दल ने नुकड नाटक, गीत, संगीत के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर बच्चों को जागरूक किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्धलाय के प्रधानाचार्य कमल किशोर, मुख्य अतिथि संजय वर्मा, क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस नयाल ने  दीप प्रज्वलित कर किया,बच्चो ने सरस्वती वंदना, स्वागतम गीत गा कर अतिथियो का स्वागत किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस नयाल ने कहा कि स्वच्छता में ही ईश्वर का वास है और स्वच्छता ही समाज की प्रथम सेवा है उन्हों ने बच्चों को भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना की जानकारी देत हुए स्वच्छता को दैनिक जीवन में उतारने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि समाजसेवी संजय वर्मा ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पाप है और बेटी ही आने वाला कल हैं बेटी बचेगी तो समाज बचेगा उन्हों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ, बेटी पढाओ को वर्तमान समय की आवश्यकता बताते हुए उनको शिक्षित करने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग न करने के लिए बच्चों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में बच्चों ने भाषण, निबंध, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेकर पुरस्कार जीते, विद्धलाय के प्रधानाचार्य कमल किशोर, शिक्षक मुकेश कुमार, राजीव शर्मा, सीमा रानी, नीर कुमार, मंजू सैनी, तानिया मित्तल, अंकुर जैन आदि ने कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग प्रदान किया। प्रतियोगिता के विजेताओ को मुख्य अतिथि संजय वर्मा के साथ शिक्षक प्रमोद कुमार, आरती, नितिका सैनी, बबीता शर्मा  ,भारती धीमान आदि ने पुरस्कार दे कर सम्मानित किया।


मतदान अवश्य करे


  • लोक तंत्र को मजबूत करने के लिए अपने वोट का प्रयोग जरूर करे:-भक्त दुर्गा दास 

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  • रूडकी 19 नवम्बर श्री सिद्ध पीठ लाल माता वैष्णो देवी मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा दास ने रूडकी नगर निगम के होने वाले चुनाव में ईमानदार, प्रत्याशीयो को चुनने की अपील करते हुए 22नवम्बर को मतदाताओ से मतदान करने का आह्वान करते हुए कहा कि रूडकी के विकास के लिए निष्पक्ष हो कर योग्य प्रत्याशीयो का चुनाव करने के लिए मतदान अवश्य करे। शहर हित में यह आपका कर्त्तव्य भी  है और कानून से मिला सबसे बड़ा अधिकार भी है। भक्त दुर्गा दास ने कहा कि रूडकी प्राचीन समय से ही भारत का आधुनिक शहर रहा है जिसकी ख्याति सात समन्दर पार तक है और वर्तमान में भी उच्च शिक्षा के लिए जाना जाता है  उन्हों ने मतदाताओ से अपील करते हुए कहा कि कहीं आप का गलत निर्णय और उदासीनता शहर को सालो पीछे न धकेल दे।किसी ने क्या खूब कहा है 'लम्हो ने खता की और सदियों ने सजा पाई'। इसलिए मतदान अवश्य करे और अपना फर्ज निभाऐ।


जय बदरी विशाल


  • जय बदरी विशाल 


 


बदरीनाथ धाम, जिसे बदरीनारायण धाम भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यहां जो मंदिर है वह भगवान विष्णु के रूप श्री बदरीनाथ को समर्पित है। यह हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है। ऋषिकेश से यह २९४ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।


बदरीनाथ उत्तर दिशा में हिमालय की उपत्यका में अवस्थित हिन्दुओं का मुख्य धाम माना जाता है। मंदिर में नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है। यह भारत के चार धामों में प्रमुख तीर्थ-स्थल है। 


प्रत्येक हिन्दू की यह कामना होती है कि वह बदरीनाथ का दर्शन एक बार अवश्य ही करे। यहाँ पर शीत के कारण अलकनन्दा में स्नान करना अत्यन्त ही कठिन है। अलकनन्दा के तो दर्शन ही किये जाते हैं। यात्री तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहाँ वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।


बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई, चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। कहा जाता है कि यह मूर्ति देवताओं ने नारदकुण्ड से निकालकर स्थापित की थी। सिद्ध, ऋषि, मुनि इसके प्रधान अर्चक थे। जब बौद्धों का प्राबल्य हुआ तब उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति मानकर पूजा आरम्भ की। शंकराचार्य की प्रचार-यात्रा के समय बौद्ध तिब्बत भागते हुए मूर्ति को अलकनन्दा में फेंक गए।


शंकराचार्य ने अलकनन्दा से पुन: बाहर निकालकर उसकी स्थापना की। तदनन्तर मूर्ति पुन: स्थानान्तरित हो गयी और तीसरी बार तप्तकुण्ड से निकालकर रामानुजाचार्य ने इसकी स्थापना की।


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह १२ धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बदरीनाथ, भगवान विष्णु का वास बना।


भगवान विष्णु की प्रतिमा वाला वर्तमान मंदिर ३१३३ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और माना जाता है कि आदि शंकराचार्य, आठवीं शताब्दी के दार्शनिक संत ने इसका निर्माण कराया था।


इसके पश्चिम में २७ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बदरीनाथ शिखर कि ऊँचाई ७१३८ मीटर है। बदरीनाथ में एक मंदिर है, जिसमें बदरीनाथ या विष्णु की वेदी है। यह २००० वर्ष से भी अधिक समय से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान रहा है।


पौराणिक कथाओं और यहाँ की लोक कथाओं के अनुसार यहाँ नीलकंठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतरण किया। यह स्थान पहले शिव भूमि (केदार भूमि) के रूप में व्यवस्थित था। भगवान विष्णुजी अपने ध्यानयोग हेतु स्थान खोज रहे थे और उन्हें अलकनंदा नदी के समीप यह स्थान बहुत भा गया। 


उन्होंने वर्तमान चरणपादुका स्थल पर (नीलकंठ पर्वत के समीप) ऋषि गंगा और अलकनंदा नदी के संगम के समीप बाल रूप में अवतरण किया और क्रंदन करने लगे। उनका रुदन सुन कर माता पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा। फिर माता पार्वती और शिवजी स्वयं उस बालक के समीप उपस्थित हो गए। 


माता ने पूछा कि बालक तुम्हें क्या चहिये? तो बालक ने ध्यानयोग करने हेतु वह स्थान मांग लिया। इस तरह से रूप बदल कर भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती से यह स्थान अपने ध्यानयोग हेतु प्राप्त कर लिया। यही पवित्र स्थान आज बदरीविशाल के नाम से सर्वविदित है।


जब भगवान विष्णु योगध्यान मुद्रा में तपस्या में बैठे थे तो बहुत अधिक हिमपात होने लगा। भगवान विष्णु हिम में पूरी तरह डूब चुके थे। उनकी इस दशा को देख कर माता लक्ष्मी का हृदय द्रवित हो उठा और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के समीप खड़े हो कर एक बेर (बदरी) के वृक्ष का रूप ले लिया और समस्त हिम को अपने ऊपर सहने लगीं। 


माता लक्ष्मीजी भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने की कठोर तपस्या में जुट गयीं। कई वर्षों बाद जब भगवान विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तो देखा कि लक्ष्मीजी हिम से ढकी पड़ी हैं। तो उन्होंने माता लक्ष्मी के तप को देख कर कहा कि हे देवी! 


तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है सो आज से इस धाम पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जायेगा और क्योंकि तुमने मेरी रक्षा बदरी वृक्ष के रूप में की है सो आज से मुझे बदरी के नाथ-बदरीनाथ के नाम से जाना जायेगा। इस तरह से भगवान विष्णु का नाम बदरीनाथ पड़ा।


जहाँ भगवान बदरीनाथ ने तप किया था, वही पवित्र-स्थल आज तप्त-कुण्ड के नाम से विश्व-विख्यात है और उनके तप के रूप में आज भी उस कुण्ड में हर मौसम में गर्म पानी उपलब्ध रहता है।


बदरीनाथ में तथा इसके समीप अन्य दर्शनीय स्थल हैं-


अलकनंदा के तट पर स्थित तप्त-कुंड
धार्मिक अनुष्टानों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक समतल चबूतरा- ब्रह्म कपाल।


पौराणिक कथाओं में उल्लिखित सांप (साँपों का जोड़ा) शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड–शेषनेत्र।


चरणपादुका:- जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं; (यहीं भगवान विष्णु ने बालरूप में अवतरण किया था।)


बदरीनाथ से नज़र आने वाला बर्फ़ से ढंका ऊँचा शिखर नीलकंठ।


माता मूर्ति मंदिर:- जिन्हें बदरीनाथ भगवान जी की माता के रूप में पूजा जाता है।


माणा गाँव- इसे भारत का अंतिम गाँव भी कहा जाता है।


वेद व्यास गुफा, गणेश गुफा: यहीं वेदों और उपनिषदों का लेखन कार्य हुआ था।


भीम पुल:- भीम ने सरस्वती नदी को पार करने हेतु एक भारी चट्टान को नदी के ऊपर रखा था जिसे भीम पुल के नाम से जाना जाता है।


वसु धारा:- यहाँ अष्ट-वसुओं ने तपस्या की थी। ये जगह माणा से ८ किलोमीटर दूर है। कहते हैं की जिसके ऊपर इसकी बूंदे पड़ जाती हैं उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वह पाप रहित हो जाता है।


लक्ष्मी वन:- यह वन लक्ष्मी माता के वन के नाम से प्रसिद्ध है।


सतोपंथ (स्वर्गारोहिणी):- कहा जाता है कि इसी स्थान से राजा युधिष्ठिर ने संदेह कर, स्वर्ग को प्रस्थान किया था।


अलकापुरी:- अलकनंदा नदी का उद्गम स्थान। इसे धन के देवता कुबेर का भी निवास स्थान माना जाता है।


सरस्वती नदी:- पूरे भारत में केवल माणा गाँव में ही यह नदी प्रकट रूप में है।


भगवान विष्णु के तप से उनकी जंघा से एक अप्सरा उत्पन्न हुई जो उर्वशी नाम से विख्यात हुई। बदरीनाथ कस्बे के समीप ही बामणी गाँव में उनका मंदिर है।


एक विचित्र सी बात है।.. जब भी आप बदरीनाथ जी के दर्शन करें तो उस पर्वत (नारायण पर्वत) की चोटी की ओर देखेंगे तो पाएंगे की मंदिर के ऊपर पर्वत की चोटी शेषनाग के रूप में अवस्थित है और शेष नाग के प्राकृतिक फन स्पष्ट देखे जा सकते हैं।


बोलिए बद्री विशाल भगवान की जय!
🙏🏼🙏🏼🌹👌🏼🎉🎊🌹🙏🏼🙏🏼(संजय वर्मा )


गुरु नानक जयंती


  • सद्भावना के प्रतीक है गुरू नानक देव महाराज :-एन एस नयाल
    सूचना प्रसारण मंत्रालय रीजनल आऊटरीच ब्यूरों ने आयोजित किया गुरु नानक देव जंयती वर्ष में कार्यक्रम। 
    गुरु नानक एकेडमी ज्वालापुर, सरस्वती विद्धा मंदिर इंटर कालेज के बच्चों के साथ आयोजित किया गया कार्यक्रम। 
    हरिद्वार 18 नवम्बर  भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के रीजनल आऊटरीच ब्यूरों देहरादून के तत्वावधान में गुरू नानक देव की 550वीं जयंती वर्ष में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस नयाल के  संयोजन में ज्वालापुर के गुरु नानक एकेडमी स्कूल और सरस्वती विद्धा मंदिर इंटर कालेज  के बच्चों के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि समाजसेवीअनीता वर्मा रही और अध्यक्षता गुरु नानक एकेडमी की प्रधानाचार्या वनिता शर्मा ने की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुरू नानक देव जी ने हमे मानवता और भाईचारे का पाठ पढाया जिसकी वर्तमान समय में अति आवश्यकता है, उन्हों ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखण्डता के लिए देश में सम्प्रदायिक सद्भावना का होना आवश्यक है। रीजनल आऊटरीच ब्यूरों देहरादून के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एन एस नयाल ने कहा कि गुरु नानक देव सद्भावना के प्रतिक थे उनकी शिक्षाऐ और उपदेश सदैव प्रासंगिक रहेगें।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गुरू नानक एकडमी स्कूल की प्रधानाचार्या वनिता शर्मा ने बच्चों से मिलजुल कर रहने का अहवाहन करते हुए गुरू नानक देव जी की शिक्षाओ को जीवन में उतारने को कहा। रीजनल आऊटरीच ब्यूरों के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उज्जवल सपने सांस्कृतिक दल ने राजकमल के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये तथा बच्चों को स्वच्छता के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए नुकड नाटक प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में बच्चों के बीच निबंध, भाषण प्रश्नोत्तरी की प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें हरजीत कौर, अन्जलि यादव, गरिमा राजपूत, ऋषभ, मन्नत, अभिनव, आदि ने पुरस्कार जीते सरस्वती विद्धा मंदिर के शिक्षक भानुप्रताप चौहान, कमलजीत कौर, ममता सोलंकी, संजय वर्मा, रिम्पी प्रसाद आदि ने बच्चों को पुरस्कृत कर उनका उत्साहवर्धन किया।


पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समापन

भगवान के निर्वाण महोत्सव के साथ सम्पन्न हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 
क्षमामूर्ति आचार्य विशदसागर महाराज की अगुवाई में निकली श्रीजी की शोभायात्रा


हरिद्वार 18 नवम्बर श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर ज्वालापुर के तत्वावधान में पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अन्तिम दिन क्षमामूर्ति आचार्य विशदसागर महाराज की अगुवाई में आयोजन स्थल से श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर ज्वालापुर तक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें झांकियो, बैड बाजो का समा़वेश हुआ, धार्मिक गीतो, बैड बाजो की धुनो पर श्रद्धालुजनो ने नृत्य कर भक्ति भाव प्रकट किया। इसे पूर्व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन आचार्य विशदसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में भगवान का एक हजार आठ कलशो से अभिषेक किया गया और भगवान की प्रतिमा को पुनः दिगम्बर जैन मंदिर ज्वालापुर पहुँचाया गया
आयोजन के अन्तिम दिन क्षमामूर्ति आचार्य विशदसागर महाराज ने श्रोताओं को भगवान आदिनाथ और महावीर भगवान की निर्वाण कथा श्रवण कर भगवान की शिक्षाओ, और आदर्शो को जीवन में उतारने का आह्वान किया, तथा इस आयोजन में सहयोग प्रदान करने वालो को आशीर्वाद प्रदान किया आयोजन समिति ने सहयोग प्रदान करने वालो को प्रतीक चिन्ह भेंट कर आभार प्रकट किया  इस अवसर पर सतीश जैन, निर्मल जैन, आर के जैन, बालेश जैन, सुधीर जैन, अनिल जैन,कैशव दास जैन, विपिन जैन आदि ने अतिथियो का स्वागत किया।


विचित्र संसार


  • दुनिया में मनुष्य वही देखता है जो उसे चाहिए 


एक फकीर अपने एक साथी के साथ एक बाजार से गुजरता था। पास ही की पहाड़ी पर खड़े चर्च की संध्या की प्रार्थना की घंटियां बजने लगीं। उस फकीर ने कहा, सुनते हो उस युवक को कितना मधुर रव है! कैसा प्यारा संगीत है! पहाड़ पर खड़े चर्च की घंटियों की आवाज सुनी? उस युवक ने कहा, इस बाजार के शोरगुल में कहां का पहाड़, कहां का चर्च, कहां की घंटियां! मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ता। यहां इतना शोरगुल मचा है, सांझ का वक्त है, लोग अपनी दुकानें उठा रहे हैं, ग्राहक आखिरी खरीद फरोख्त कर रहे हैं, बेचने वाले भी कोशिश में हैं कि कुछ कम दाम में ही सही, जल्दी बिक जाए, जो भी बिक जाए बिक जाए। सूरज ढलने ढलने को है। लोगों को अपना सामान बांधना है। लोगों को अपनी गाड़ियां तैयार करनी हैं। लोगों को भागना है अपने घरों की तरफ। यहां इतना शोरगुल मचा है! घोड़े हिनहिना रहे हैं, बैल आवाज कर रहे हैं, गाड़ियां जोती जा रही हैं। घुड़सवार हैं, आदमी हैं, भीड़ भाड़ है। कहां की घंटियां? इतनी भीड़ भाड़ में, इतने शोरगुल में मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ता।


उस फकीर ने अपनी जेब से एक रुपया निकाला। पुरानी कहानी है। नगद, चांदी का रुपया! जोर से उसे पास के ही पत्थर पर पटक दिया। सड़क के किनारे लगा पत्थर, खननखन की आवाज! और एक भीड़ इकट्ठी हो गई। सौ दो सौ आदमी एकदम दौड़ पड़े। कहा कि किसी का रुपया गिरा। उस फकीर ने उस युवक को कहा, देखते हो! घोड़े हिनहिना रहे हैं, गाड़ियां सजाई जा रही हैं, खरीद फरोख्त का आखिरी वक्त, सांझ हो रही है, बिसाती अपना फैलाव संवार रहे हैं; लेकिन रुपये की खननखन दो सौ आदमियों ने सुन ली! और चर्च की घंटियां गूंज रही हैं, किसी को सुनाई नहीं पड़ता!


रुपये पर जिसका मन अटका हो वह रुपये को सुन लेगा। हम वही सुनते हैं जहां हमारा मन लगा है। हम वही गुनते हैं जहां हमारा मन लगा है। हम वही देखते हैं…रास्ता तो वही होता है, लेकिन हर गुजरने वाला अलग अलग चीजें देखता है। मोची रास्ते के किनारे बैठा हुआ तुम्हारे चेहरे नहीं देखता, तुम्हारे जूते देखता है। चेहरों से उसे क्या लेना देना! उसका प्रयोजन जूतों से है। लोग वही देखते हैं जहां उनकी वासना है, जहां उनकी आकांक्षा है, अभीप्सा है।इस संसार में आदमी अपने मतलब की ही वस्तु ढूँढता है। (संजय वर्मा) 



अखाडो का इतिहास


  1. सनातन हिन्दू धर्म में अखाडो का इतिहास (संजय वर्मा )



1श्री निरंजनी अखाड़ा:- यह अखाड़ा ८२६ ईस्वी में गुजरात के मांडवी में स्थापित हुआ था। इनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकस्वामी हैं। इनमें दिगम्बर, साधु, महन्त व महामंडलेश्वर होते हैं। इनकी शाखाएं इलाहाबाद, उज्जैन, हरिद्वार, त्र्यंबकेश्वर व उदयपुर में हैं।


२. श्री जूनादत्त या जूना अखाड़ा:- यह अखाड़ा ११४५ में उत्तराखण्ड के कर्णप्रयाग में स्थापित हुआ। इसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार दत्तात्रेय हैं। इसका केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर माना जाता है। हरिद्वार में मायादेवी मंदिर के पास इनका आश्रम है। इस अखाड़े के नागा साधु जब शाही स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ते हैं तो मेले में आए श्रद्धालुओं समेत पूरी दुनिया की सांसें उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए रुक जाती हैं।


३. श्री महानिर्वाण अखाड़ा:- यह अखाड़ा ६७१ ईस्वी में स्थापित हुआ था, कुछ लोगों का मत है कि इसका जन्म बिहार-झारखण्ड के बैजनाथ धाम में हुआ था, जबकि कुछ इसका जन्म स्थान हरिद्वार में नील धारा के पास मानते हैं। इनके ईष्ट देव कपिल महामुनि हैं। इनकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर और कनखल में हैं। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि १२६० में महंत भगवानंद गिरी के नेतृत्व में २२ हजार नागा साधुओं ने कनखल स्थित मंदिर को आक्रमणकारी सेना के कब्जे से छुड़ाया था।


४. श्री अटल अखाड़ा:- यह अखाड़ा ५६९ ईस्वी में गोंडवाना क्षेत्र में स्थापित किया गया। इनके ईष्ट देव भगवान गणेश हैं। यह सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक माना जाता है। इसकी मुख्य पीठ पाटन में है लेकिन आश्रम कनखल, हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन व त्र्यंबकेश्वर में भी हैं।


५. श्री आह्वान अखाड़ा:- यह अखाड़ा ६४६ में स्थापित हुआ और १६०३ में पुनर्संयोजित किया गया। इनके ईष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन हैं। इस अखाड़े का केंद्र स्थान काशी है। इसका आश्रम ऋषिकेश में भी है। स्वामी अनूपगिरी और उमराव गिरी इस अखाड़े के प्रमुख संतों में से हैं।


6. श्री आनंद अखाड़ा:- यह अखाड़ा ८५५ ईस्वी में मध्यप्रदेश के बेरार में स्थापित हुआ था। इसका केंद्र वाराणसी में है। इसकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन में भी हैं।


७. श्री पंचाग्नि अखाड़ा:- इस अखाड़े की स्थापना ११३६ में हुई थी। इनकी इष्ट देव गायत्री हैं और इनका प्रधान केंद्र काशी है। इनके सदस्यों में चारों पीठ के शंकराचार्य, ब्रहमचारी, साधु व महामंडलेश्वर शामिल हैं। परंपरानुसार इनकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन व त्र्यंबकेश्वर में हैं।


८. श्री नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा:- यह अखाड़ा ईस्वी ८६६ में अहिल्या-गोदावरी संगम पर स्थापित हुआ। इनके संस्थापक पीर शिवनाथजी हैं। इनका मुख्य दैवत गोरखनाथ है और इनमें बारह पंथ हैं। यह संप्रदाय योगिनी कौल नाम से प्रसिद्ध है और इनकी त्र्यंबकेश्वर शाखा त्र्यंबकंमठिका नाम से प्रसिद्ध है।


९. श्री वैष्णव अखाड़ा:- यह बालानंद अखाड़ा ईस्वी १५९५ में दारागंज में श्री मध्यमुरारी में स्थापित हुआ। समय के साथ इनमें निर्मोही, निर्वाणी, खाकी आदि तीन संप्रदाय बने। इनका अखाड़ा त्र्यंबकेश्वर में मारुति मंदिर के पास था। १८४८ तक शाही स्नान त्र्यंबकेश्वर में ही हुआ करता थाए परंतु १८४८ में शैव व वैष्णव साधुओं में पहले स्नान कौन करे इस मुद्दे पर झगड़े हुए। श्रीमंत पेशवाजी ने यह झगड़ा मिटाया। उस समय उन्होंने त्र्यंबकेश्वर के नजदीक चक्रतीर्था पर स्नान किया। १९३२ से ये नासिक में स्नान करने लगे। आज भी यह स्नान नासिक में ही होता है।


१०. श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा:- यह अखाड़ा १९१० में स्थापित हुआ। इस संप्रदाय के संस्थापक श्री चंद्रआचार्य उदासीन हैं। इनमें सांप्रदायिक भेद हैं। इनमें उदासीन साधु, मंहत व महामंडलेश्वरों की संख्या ज्यादा है। उनकी शाखाएं शाखा प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, भदैनी, कनखल, साहेबगंज, मुलतान, नेपाल व मद्रास में है।


११. श्री उदासीन नया अखाड़ा:- यह अखाड़ा १७१० में स्थापित हुआ। इसे बड़ा उदासीन अखाड़ा के कुछ सांधुओं ने विभक्त होकर स्थापित किया। इनके प्रवर्तक मंहत सुधीरदासजी थे। इनकी शाखाएं प्रयागए हरिद्वार, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर में हैं।


१२. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा:- यह अखाड़ा १७८४ में स्थापित हुआ। १७८४ में हरिद्वार कुंभ मेले के समय एक बड़ी सभा में विचार विनिमय करके श्री दुर्गासिंह महाराज ने इसकी स्थापना की। इनकी ईष्ट पुस्तक श्री गुरुग्रन्थ साहिब है। इनमें सांप्रदायिक साधु, मंहत व महामंडलेश्वरों की संख्या बहुत है। इनकी शाखाएं प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं।


१३. निर्मोही अखाड़ा:- निर्मोही अखाड़े की स्थापना १७२० में रामानंदाचार्य ने की थी। इस अखाड़े के मठ और मंदिर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बिहार में हैं। पुराने समय में इसके अनुयायियों को तीरंदाजी और तलवारबाजी की शिक्षा भी दिलाई जाती थी


मैडिकल कैम्प


  • अपेक्षा और उपेक्षा ही दुःख, क्रोध का कारण है: आचार्य विश सागर

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  • पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिदिन हो रहा है अनुष्ठानों का आयोजन

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  • सोमवार को आयोजन लेगा विश्राम

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  • हरिद्वार, 17 नवम्बर। श्री चन्द्र प्रभ दिगम्बर जैन मंदिर के तत्वावधान में विगत चार दिनों से आयोजित हो रहे श्रीमज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चतुर्थ दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया प्रातः काल से ही भगवान का अभिषेक शांतिधारा, नित्य पूजा, दीक्षा कल्याणक पूजन एवं हवन आदि का आयोजन किया गय। अनुष्ठान के इन्द्र मण्डल ओपी जैन, विमल कुमार जैन, पदम कुमार जैन, अनिल जैन, अशोक जैन, सतीश जैन, अभिषेक जैन, एसके जैन एवं मगनमाला जैन ने पूजन एवं हवन में विशेष रूप से प्रतिभाग किया। क्षममूर्ति विशद सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि किसी से अपेक्षा और हमारे द्वारा किसी की गयी उपेक्षा ही क्रोध, ईष्या और दुःख का कारण है जो पाप है। उन्होंने संसार के मोह चक्र से बचने का सूत्र देते हुए कहा कि न किसी से अपेक्षा रखे और न ही किसी की उपेक्षा करे। आप चाहे किसी भी सीमा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं यदि नीतिपूर्वक आचरण करोंगे तो आपके कुल का नाम रोशन होगा और अन्याय, मिथ्या भाषण, लोभ, काम, क्रोध दुर्गति के कारक बनेंगे। क्षमामूर्ति विशद सागर जी महाराज ने श्रीपंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की विश्राम बेला में जैन धर्मावाम्बियों को धर्म के मार्ग का अनुसरण करने का उपदेश देते हुए कहा कि मृत्यु अटल सत्य हैं पल-पल गुजर रहा है इस कारण धर्म का आश्रय लेकर जीवन में परोपकार, क्षमाशीलता, अहिंसा, दया, करूणा, वात्सल्य, मैत्री भाव का आश्रय लेकर जीवन को सफल बनाने का प्रयत्न करें। कार्यक्रम के सूत्रधार सतीश जैन ने बताया कि सोमवार को कैलाश पर्वत पर प्रभु आदिनाथ का निर्वाण, निर्वाण कल्याणक पूजन, विश्व शांति महायज्ञ की पूर्णाहूति के साथ मण्डल ध्वज विसर्जन, पात्रों तथा अतिथियों का सम्मान एवं भव्य रथयात्रा द्वारा श्रीजी को पण्डाल से मंदिर ले जाने की प्रक्रिया वैदी में जिनबिम्ब स्थापना, कलशारोहण एवं शिखर पर ध्वज स्थापना जिनवाणी मंदिर की स्थापना के उपक्रम आयोजित किये जायेंगे। आयोजन कमेटी के प्रवक्ता आरके जैन ने बताया कि पांच दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की विश्रामबेला में जैन धर्म के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, समाजसेवियों एवं राजनेताओं का आगमन होगा। आज के समारोह में मुख्य रूप से अंशुल जैन, समर्थ जैन, अनिल जैन, संदीप जैन, ईश्वर जैन, रामगोपालदास जैन, विश्वास जैन, नितेश जैन सहित जैन समाज के विशिष्ट लोग उपस्थित रहे।
    नरसिंह भवन ट्रस्ट ने वितरित किये निःशुल्क चश्मे
    नरसिंह भवन धर्मशाला के संचालक राजेन्द्र राय के संयोजन में जरूरतमंदों को वितरित किये गये निःशुल्क चश्मे
    हरिद्वार, 17 नवम्बर। विगत 6 नवम्बर को नरसिंह भवन ट्रस्ट के द्वारा निःशुल्क नेत्र जांच एवं मेडिकल शिविर का आयोजन किया गया था जिसमें मोतियाबिन्द के 152 मरीजों का गंगा माता आई हॉस्पिटल में निशुल्क ऑपरेशन ट्रस्ट के द्वारा कराया गया था तथा अन्य लोगों को रविवार को निःशुल्क नजर के चश्मे वितरित किये गये। नरसिंह भवन धर्मशाला के संचालक राजेन्द्र राय एवं प्रबंधक ओंकार राय के संयोजन में 125 लोगों को नजर के तथा काले चश्मे वितरित किये गये। इस अवसर पर राजेन्द्र राय ने कहा कि नरसिंह भवन ट्रस्ट निरन्तर समाजसेवा के प्रकल्प आयोजित करता रहता है। वर्ष में तीन बार मेडिकल कैम्प, स्कूलों में ड्रेस वितरण तथा अन्न क्षेत्र का संचालन करता है। इसी श्रृंखला में विगत 6 नवम्बर को विशाल मेडिकल शिविर लगाया गया था जिसमें 500 से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाया गया। चश्मा वितरण समारोह में समाजसेवी अनिता वर्मा, गंगाशरण चंदेरिया, डॉ. संजय सिंह, कमलाकान्त उपाध्याय, सरोज कुमार, संजय वर्मा सहित नरसिंह भवन ट्रस्ट के कर्मचारी उपस्थित रहे। 



मानव मात्र की सेवा ही है ईश्वर पूजा: सतपाल ब्रह्मचारी 
राधा कृष्ण धाम में शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट ने आयोजित किया निःशुल्क मैडिकल कैम्प 
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा, विदित शर्मा, अनीता वर्मा ने दीपक प्रज्ज्वलित कर किया कैम्प का शुभारंभ 
हरिद्वार, 17 नवम्बर। श्री राधा कृष्ण धाम में स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी महाराज के पावन सानिध्य में समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी संस्था शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा निःशुल्क मेडिकल कैम्प का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ करते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मानव मात्र की सेवा करना ही ईश्वर पूजा है। उन्होंने कहा कि समाजसेवी संस्था शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट ने निःशुल्क मेडिकल कैम्प का आयोजन कर सराहनीय कार्य किया है जिससे काफी लोग लाभान्वित हुए हैं। पार्षद अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा, विदित शर्मा ने कहा कि स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित यह कैम्प अपने उद्देश्य में सफल रहा है जिसका सारा श्रेय दोनों समाजसेवी संस्थाओं और पेरामैडिकल स्टाफ तथा डॉक्टरांे को जाता है, शरणय फाउंडेशमन के संरक्षण दीप चंद और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने बताया कि इस मैडिकल कैम्प में डा० अरूण कुमार, डॉ. पल्लवी भूषण के नेतृत्व में डॉ. हरिमोहन, डॉ. ज्ञान प्रकाश, प्रियंका दूबे, डॉ. आवेश कुमार आदि ने कैम्प में आएं 75 लोगों की आँख, नाक, कान, गले आदि की जांच कर निःशुल्क दवाई वितरण करी, शुगर, ब्लड प्रेशर, चश्मे के नम्बर की भी जांच की गई। मेडिकल कैम्प मे समाजसेवी संजय वर्मा, नरेश गिरि, दीपक पंत, आकाश भाटी, आदित्य अग्रवाल, थानेश्वर, शर्मा, देव बिष्ट आदि ने सहयोग प्रदान किया। शरणय फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार, सचिव डा० आवेश कुमार तथा गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की सचिव एडवोकेट आकांक्षा पुंडीर, कोषाध्यक्ष गगन नामदेव ने सहयोगियांे और राधा कृष्ण धाम के प्रति आभार प्रकट किया।


मैडिकल कैम्प


  1. मानव मात्र की सेवा ही है ईश्वर पूजा:-सतपाल ब्रह्मचारी 


राधा कृष्ण धाम में शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट ने आयोजित किया निःशुल्क मैडिकल कैम्प 
पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा, विदित शर्मा, अनीता वर्मा ने दीपक प्रज्वलित कर किया कैम्प का शुभारंभ 


हरिद्वार 17 नवम्बर श्री राधा कृष्ण धाम में स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी महाराज के पावन सानिध्य में समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी संस्था शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट के द्वारा निःशुल्क मैडिकल कैम्प का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ करते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मानव मात्र की सेवा करना ही ईश्वर पूजा है।उन्हों ने कहा कि समाजसेवी संस्था शरण्य फाउंडेशन और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट ने निःशुल्क मैडिकल कैम्प का आयोजन कर सराहनीय कार्य किया है जिससे काफी लोग लाभान्वित हुए हैं। पार्षद अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा, विदित शर्मा ने कहा कि स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित यह कैम्प अपने उद्देश्य में सफल रहा है जिसका सारा श्रेय दोनों समाजसेवी संस्थाओ और पेरामैडिकल स्टाफ तथा डाक्टरो को जाता है, शरणय फाउंडेशमन के संरक्षण दीप चंद और गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने बताया कि इस मैडिकल कैम्प में डा0 अरूण कुमार, डा0 पल्लवि भूषण के नेतृत्व में डा0 हरि मोहन, डा0 ज्ञान प्रकाश, प्रियंका दूबे, डा0 आवेश कुमार आदि ने कैम्प में आऐ 175 लोगों की आँख, नाक, कान, गले आदि की जांच कर निःशुल्क दवाई वितरण करी,शुगर,ब्लड प्रैसर, चश्मे के नम्बर की भी जांच की गई। मैडिकल कैम्प मे समाजसेवी संजय वर्मा, नरेश गिरि, दीपक पंत, आकाश भाटी, आदित्य अग्रवाल ,थानेश्वर, शर्मा, देव बिष्ट आदि ने सहयोग प्रदान किया। शरणय फाउंडेशन के अध्यक्ष डा0 अरूण कुमार, सचिव डा0 आवेश कुमार तथा गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की सचिव एडवोकेट आकांक्षा पुंडीर, कोषाध्यक्ष गगन नामदेव ने सहयोगीयो और राधा कृष्ण धाम के प्रति आभार प्रकट किया।


पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव


  • मन को संयमित रखना ही तप है : आचार्य विशद सागर महाराज

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  • श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर के तत्वावधान में आयोजित हो रहा है श्री मज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव  

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  • जैन मुनियों से आशीर्वाद लेने पहुंचे लक्सर नगर पालिका के चेयरमैन एवं विशिष्टजन

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  • हरिद्वार। श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर के में श्री मज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिदिन जैन मुनि श्रद्धालु भक्तों से अनुष्ठान करवा रहे हैं। मण्डप में उपस्थित श्रद्धालुजनों को सम्बोधित करते हुए क्षमामूर्ति आचार्यश्री विशद सागर महाराज ने कहा कि मन को संयमित रखना ही तप है। उन्हांेने कहा कि इच्छाओं का दमन और संसार के कल्याण के लिए किया गया कर्म ही प्रारब्ध बदलता है। भगवान ने अपने हाथों से निराकुल होकर अपने केश उखाड़ फेंके और वन में जाकर कठोर तपस्या की। जंगल में निर्भीक होकर चिंतन-मनन किया और स्वयं में लीन हो गये। उन्हांेने अपनी आत्मा को कठोर तपस्या द्वारा परमात्मा में विलीन कर लिया और परमात्मा के साथ एकाकार हो गये जिसे प्रकार अग्नि में तप कर स्वर्ण और शुद्ध हो जाता है ठीक उसी प्रकार साधना से आत्मा का शुद्धिकरण होता है। आचार्यश्री विशद सागर महाराज ने श्रद्धालुजनों को सिद्धि के सूत्र देते हुए कहा कि मनष्यु न्याय, नीति, साधना कर जीवनयापन करता है तो वह शिव अर्थात् कल्याणकारी हो जाता है और धर्म से विमुख होकर शव अर्थात् निर्जीव हो जाता है। अतः धर्म धारण कर संसार के लिए कल्याणकारी बनो। समारोह का संचालन सतीश जैन ने बताया कि आचार्यश्री ने सैकड़ों धर्म ग्रंथों की रचना कर जहां जैन साहित्य में अमूल्य योगदान दिया है वहीं विश्व को जैन समाज को समझने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म संस्कारित, संयमित और कल्याणकारी जीवन सीखने की कला है। मुनिश्री विशाल सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान ने इस भारत भूमि में जन्म लेकर संसार में फैली सैकड़ों कुप्रथाओं को समाप्त कर समानता, समरसता का वातावरण बनाया, प्रत्येक जीव की रक्षा की, क्षत्रिय कुल में जन्म लेकर अहिंसा धर्म को अपनाकर अपने सम्पूर्ण जीवन को दूसरों की उन्नति एवं शांति हेतु समर्पित किया। इस अवसर पर निर्मल जैन, इंजीनियर राजीव जैन, आरती जैन, नितेश एवं विशु जैन, ईश्वर जैन एवं अनिता जैन ने आज के अनुष्ठानों में विशेष रूप से प्रतिभाग किया। पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन लक्सर नगर पालिका के चेयरमैन अम्बरीश गर्ग, डॉ. महावीर अग्रवाल, पीएस चौहान, शिक्षाविद् सुनील कुमार बत्रा, समाजसेवी जगदीशलाल पाहवा, समाजसेवी अनिता वर्मा, आचार्य करूणेश मिश्र, संजय वर्मा, हरिकृष्ण मेहता, नितिन मंगल, अरविन्द मंगल, एड. अतुल सिंघल, देवेन्द्र शर्मा सहित विशिष्ठ लोगों ने जैन मुनियों से आशीर्वाद प्राप्त किया।


श्रद्धांजलि सभा


  •  गीता कुटीर तपोवन में स्वामी गीता नन्द जी महाराज को संत समाज ने दी भाव भीनी श्रद्धांजलि 

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  •  विशाल श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन

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  • हरिद्वार 15 नवम्बर  तीर्थ नगरी हरिद्वार में संतसेवा, गौसेवा के लिए विश्व विख्यात धार्मिक संस्था श्री गीता कुटीर के संस्थापक स्वामी गीता नन्द जी महाराज की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर  मुमुक्षु मंडल के संयोजन में विशाल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता युगपुरूष स्वामी परमानन्द महाराज एवं संचालन श्रीमहंत देवानन्द सरस्वती महाराज ने किया। श्रद्धांजलि सभा में म0म0 स्वामी अर्जुन पुरी महाराज, म0म0 स्वामी हरिचेतना नन्द, म0 म0 स्वामी राम कृष्ण दास, म0 म0 स्वामी जगदीश दास, म0म0स्वामी प्रेमा नन्द, भारत माता मंदिर के मंहत ललितानन्द गिरि, महंत कमल दास, भारत माता मंदिर के मुख्य न्यासी आई डी शर्मा सहित विशिष्ट अतिथियो ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया।
    गीता कुटीर में स्वामी गीता नन्द जी महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए युग पुरूष स्वामी परमानन्द महाराज ने कहा कि स्वामी गीता नन्द महाराज करूणा, त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे देश में गीता का प्रचार प्रसार, संतसेवा, गौसेवा यही उनके जीवन का लक्ष्य रहा। स्वामी अवशेषानन्द एवं स्वामी दिव्या नन्द महाराज और मुमुक्षु मंडल के संतजनो के सानिध्य में आयोजित विशाल श्रद्धांजलि सभा में विभिन्न अखाडो, आश्रमो के संत महंत जनो ने स्वामी गीता नन्द जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की इस अवसर पर संत श्री रमा देवी, भक्ति देवी, आचार्य हरिहरानन्द, मंहत रविदेव शास्त्री, लाल माता मंदिर के संचालक भक्त दुर्गा, श्री महंत विनोद गिरि,पार्षद अनिल मिश्रासहित संतजन उपस्थिति रहे।


पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव


  • संयमित जीवन ही शांति प्राप्त करने का है मार्ग :-विशद सागर महाराज

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  • श्रीमज्जिनेन्द्र जनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में गज यात्रा का हुआ आयोजन 


रिद्वार 15 नवम्बर  श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर ज्वालापुर के तत्वावधान में पंच दिवसीय श्री मज्जिनेन्द्र जिनबिम्बमहोत्सव पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन भगवान के जन्म कल्याणक पर उपस्थिति सैकड़ों श्रद्धालुजनो को आशीर्वाद प्रदान करते हैं आचार्य विशदसागर महाराज ने कहा कि संयमित जीवन ही शांति प्राप्त करने का मार्ग है और करूणा, क्षमाशीलता, सत्य उसके आधार है, आचार्य श्री ने कहा कि मानव नैतिक मूल्यों, आदर्शो, क्षमा आदि के महत्व को जानता है लेकिन जीवन में परिवर्तन करने में आलस्य करता है यही दुःख का कारण है। मुनि विशाल सागर महाराज ने भगवान के जन्म कल्याणक पर कहा कि राजा नाभिराम और मरू देवी के घर भगवान आदिनाथ और राजा सिद्धार्थ एवं महारानी त्रिशला के घर  भगवान महावीर का जन्म हुआ जिनको वीर, महावीर, वर्धमान आदि नामो से देवताओ ने पुकारा और पाण्डुल शिला, (सुमेरू पर्वत) पर ले जाकर जन्माभिषेक किया। श्री पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अन्तर्गत जैन समाज ने स्वर्णिम गज यात्रा का आयोजन किया जिसमें बैंड बाजौ, झांकियो का समावेश हुआ, जैन समाज की महिलाओं ने भक्तिपूर्वक नृत्य कर शोभायात्रा की अगवानी की विधायक आदेश चौहान, मेयर अनीता शर्मा, निर्मल जैन, जेसी जैन,यूसी जैन,बालेश जैन, सतीश जैन, विपिन जैन, अंशुल जैन अभिषेक जैन सहित जैन समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में गज यात्रा में भाग लिया।


खेल प्रतियोगिता

 


 


 


 


नेहरू युवा केन्द्र ने किया खेल


प्रतियोगिता का आयोजन 



  • हरिद्वार 14 नवम्बर  नेहरू युवा मंडल अकबर पुर के सहयोग से दो दिवसीय खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें युवाओ ने प्रतिभाग किया। हेमगिरि एकेडमी लंढौरा में आयोजित खेल प्रतियोगिता में नारसन ब्लाक के युवाओ ने बालीबाल, लाँग जमप, 100मीटर दौड आदि प्रतियोगिताओं में भाग ले कर पुरस्कार प्राप्त किये। समाजसेवी कुलदीप कौशिक, युवराज सिंह, आशीष कुमार ,श्रवण त्यागी,कृष्ण पाल,अनुराग सैनी आदि ने विजेता टीमों को पुरस्कृत किया।


देश धर्म पर बलिदानी बालक



  • बाल दिवस पर विशेष (आनीत वर्मा) 
    देश धर्म के लिए कुर्बान होने वाले गुरु गोविंद सिंह जी के लाड़ले

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  • आज जब हम बालदिवस मनाने जा रहे हैं, तो मेरे जेहन में गुरुगोविंद सिंह जी की याद आ गई जिन्होंने देश, धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को न्योछावर कर दिया जिसमें उनके चार प्रिय पुत्र भी थे जिनको इस्लाम कबूल न करने पर जिन्दा दीवार में चुनवा दिया गया, आज क्यों न बालदिवस पर उनकी कुर्बानी को याद किया जाए। 
       गुरुगोविंद सिंह जी का बलिदान   सर्वोपरि और अद्वितीय हैं। क्योंकि गुरु जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चार पुत्रों अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह को बलिदान कर दिया।  बड़े दो पुत्र चमकौर के युद्ध में शहीद हो गये, छोटे दो पुत्र  जोरावर सिंह और फतेह सिंह 5 वर्ष और 8 वर्ष की  आयु में ही इस्लाम कबूल न करने पर जिंदा दीवार में  चिनवा दिया गया। पहले रात भर उनको ठंड़े बुर्ज में रखा गया सुबह वजीर खां के सामने पेश किया गया, वजीर खां ने उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा, इस पर बच्चों  ने कहा हमारे दादा जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवा लिया हम मुसलमान कैसे बन सकते हैं। 
         गुरु गोविंद सिंह जी जैसा महान पिता कोई नहीं जिन्होंने अपने बेटों से कहा जाओ मैदान में दुश्मनों का सामना करों और शहीदी जाम को पिओ। 
      गुरुगोविंद सिंह जी के पुत्रों के बलिदान को जितना याद किया जाए कम हैं क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को किसी चीज की समझ भी नहीं  होती उन्होंने देश धर्म के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। ऐसे बलिदानियों को मेरा नमन 🙏🏻


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