यमुना नदी स्वच्छ व निर्मल बनाने की प्रतिबद्धता के संकल्प संग दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) ने मनाई एलुमनी कनेक्ट 2024
ज्योति एस, दयालबाग (आगरा) । दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) ने एलुमनी कनेक्ट 2024 मनाया
रा धा स्व आ मी सतसंग सभा ने दोहरायी यमुना नदी स्वच्छ व निर्मल बनाने की प्रतिबद्धता
जैसा कि सर्वविदित है कि दयालबाग़ ने पिछले लगभग 10 माह से वैकुण्ठधाम पोईया घाट पर यमुना नदी को स्वच्छ व निर्मल करने का अभियान चलाया हुआ है जिसके कारण वैकुण्ठधाम आज मनोरम स्थल बन गया है तथा आगरा शहर के हजारों नागरिक सुबह व शाम यहाँ विचरण करने आने लगे हैं। रा धा स्व आ मी सतसंग सभा निरन्तर इस स्थान की साफ सफाई करती रहती है। दयालबाग नगर पंचायत भी इस कार्य में बहुत सहयोग करती है।
इसी कड़ी में आज भी यमुना नदी को साफ करने का कार्य किया गया। इसमें विशेषता यह थी कि दयालबाग शिक्षण संस्थान के भूतपूर्व छात्र जो आज एलुमनी कनेक्ट में भाग लेने आए थे, उन्होंने भी हजारों सतसंगी भाई-बहनों व बच्चों के साथ मिलकर इस कार्य में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यमुना के तट पर कोई मेला सा लग गया।
सफाई के लिए कुछ युवकों को यमुना तट के अन्दर से silt तथा कूड़ा निकालने के काम पर लगाया गया। ऐसे सभी युवाओं को जीवन रक्षक जैकिट पहन कर कार्य करने का आदेश दिया गया था ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो। ये स्वयं सेवक कूड़ाकरकट निकाल कर तट पर रख रहे थे जहाँ से अन्य भाई-बहन कूड़े को उठा कर नगर पंचायत की कूड़ा गाड़ी से गन्तव्य स्थान पर डालते जा रहे थे ताकि तट पर किसी भी प्रकार की गन्दगी न रहे।
सम्पूर्ण कार्यक्रम में एक विशेष ध्यान देने योग्य बात यह थी कि प्रत्येक भागीदार ब्रेन पावर का प्रयोग कर अन्दर जो मसल्स पावर है, से काम कर रहा है। ऐसा करने से मनुष्य की शारीरिक एवं मानसिक शक्ति का सम्पूर्ण विकास होता है। इसके साथ साथ परम संत सतगुरू एवं वक्त गुरू के संरक्षण में कार्य करने से प्रतिभागी की आध्यात्मिक एवं धार्मिक प्रगति एवं संतोष का तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता है।
आज इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में परम पूज्य परम दयाल हुज़ूर प्रेम सरन सतसंगी साहब पूरे समय तक उपस्थित रहे तथा समस्त उपस्थितजनों, भाई-बहन व बच्चों पर अपनी असीम दया व मेहर की वर्षा करते रहे। बिना उन दयाल की दया के यह कार्य सम्भव ही नहीं हो सकता।
आज के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कार्यक्रम में पूर्ण समय तक दयालबाग के ऊँटों की उपस्थिति थी जो विशेष रूप से यहाँ लाए गए थे। ऊँटों के साथ उनके बच्चे भी यहाँ आए थे जो हरे भरे स्वच्छ तट पर बहुत ही आनन्दित लग रहे थे और खूब अठखेलियां कर रहे थे। उन्हें निरन्तर हरा भरा चारा खिलाया जा रहा था।
सफाई के कार्य के साथ साथ भूतपूर्व छात्रों के मिलन समारोह का कार्यक्रम भी यमुना तीरे ही प्रारम्भ हुआ। कई वरिष्ठ एवं उच्च पदस्थ भूतपूर्व छात्रों (पूरुष एवं महिलाओं) ने अपने अनुभव साझा किये। सबने डी ई आई से प्राप्त की गई शिक्षा तथा जीवन शैली की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की।
मुख्य रूप से परम आदरणीय रानी साहिबा (परम आदरणीय श्रीमति सत्यवती सतसंगी) ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए यहाँ की शिक्षा प्रणाली और शिक्षण की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा बताया कि शिक्षा के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के सर्वांगींण विकास के लिए विभिन्न प्रकार की जो ट्रेनिंग दी जाती है, वह अद्वितीय है। इससे छात्रों के व्यक्तित्व का बहुत विकास होता है। खेतों में काम करने से शारीरिक स्वस्थता तथा अध्यात्मिक एवं धार्मिक विकास भी होता है जिसके कारण यहाँ के विद्यार्थियों में उच्च कोटि के संस्कार जनित होते हैं, जिससे समस्त जीवन काल तक लाभ मिलता है।
पद्मश्री डा. राधे श्याम पारिख प्रसिद्ध होम्योपैथी डाक्टर ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन काल में जो कुछ भी उपलब्धि पायी है उस सब का श्रेय यहाँ की शिक्षा को जाता है। ज्ञातव्य रहे कि डा. पारिख ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आर ई आई कालेज, दयालबाग से ही ग्रहण की। उन्होंने बताया कि दयालबाग़ के धार्मिक गुरूओं के कारण यहाँ के अध्यात्मिक एवं धार्मिक वातावरण ने उन पर अमिट छाप छोड़ी। यही नहीं इसी कारण उन्होंने अपने सभी बच्चों को भी यहीं से शिक्षा ग्रहण करवाई। आज सभी अपने अपने क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी डाक्टर हैं तथा मानव सेवा में कार्यरत हैं।
इसी प्रकार डा. अर्श धीर ने भी अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि डी.ई.आई. जैसी शिक्षा कहीं भी उपलब्ध नहीं है। यहाँ पर शिक्षा के साथ-साथ व्यक्ति के सर्वागींण विकास के लिए जिस प्रकार ध्यान दिया जाता है, वह अद्वितीय है। यहाँ से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात संसार के किसी भी प्रकार के वातावरण में अपने को ढालने में कोई कठनाई नहीं होती।
कई अन्य Prominent भूतपूर्व छात्रों ने भी अपने विचार प्रेषित किए हैं जिनको डी.ई.आई. की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। जिनमें यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर दीपक कुमार श्रीवास्तव , अनूप श्रीवास्तव सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक भारतीय रेलवे, स्प्रिंगरनेचर के प्रबंध निदेशक और डीईआई के इंजीनियरिंग संकाय के पूर्व छात्र वेंकटेश सर्वसिद्धि , वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और विज्ञान संकाय के पूर्व छात्र डॉ अपूर्व नारायण , आईआईटी दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो पी के कालरा, आईआईटी दिल्ली के वरिष्ठ संकाय प्रोफेसर हुजूर सरन और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की निदेशक प्रोफेसर पमी दुआ आदि उल्लेखनीय हैं।
कार्यक्रम के अन्त में सन्त सुपर ह्यूमन के बच्चों ने मनमोहक रंगारंग प्रस्तुति दी तथा डी.ई.आई. के छात्र-छात्राओं ने वैस्टर्न शास्त्रीय समूह गान प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का अन्त विश्वविद्यालय गान से हुआ। सभी उपस्थितजनों को परशाद तथा जलपान वितरित किया गया। अन्त में सभी उपस्थितजनों को मार्चपास्ट के लिए पंक्तिबद्ध होने का निर्देश दिया गया। परम पूज्य परम पिता प्रोफेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब ई-रिक्शा से भ्रमण करते हुए प्रत्येक भाई-बहन, बच्चों को अपनी दिव्य दृष्टि से धन्य करते गए। प्रत्येक जन ने अपने संत सतगुरू की दिव्य दृष्टि का भरपूर अध्यात्मिक लाभ उठाया। मार्चपास्ट के बाद समस्त जन विर्सजित होकर अपने गंतव्य स्थानों के लिए चले गए।
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