ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने किया गंगा पूजन

भाजपा ओबीसी मोर्चा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिर ने किया गंगा पूजन 


हरिद्वार पहुँचने पर भाजपा के पदाधिकारीयो,शुभचिंतको और विभिन्न ओबीसी बिरादियो के प्रतिनिधियों ने किया भव्य स्वागत 


हरिद्वार 29 फरवरी (गगन नामदेव संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)  भारतीय जनता पार्टी के ओबीसी मोर्चा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिरी ने हरकी पौड़ी पहुँच कर गंगा जी का पूजन कर माँ भागीरथी का आशीर्वाद प्राप्त किया, भाजपा जिला अध्यक्ष डॉक्टर जयपाल सिंह चौहान के  संयोजन में भाजपा के कार्यकर्ताओ और पदाधिकारीयो ने सिंहद्वार के पास फूल मालाओ के साथ किया, स्वागत ,हरकी पौड़ी पहुँचें पर गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा, सचिव विरेन्द्र कौशिक के संयोजन मे प0प्रकाश चन्द्र पांडे ने गंगा पूजन करवाया। इस अवसर पर राज्य मंत्री अमिलाल बाल्मीकी, पूर्व ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष श्यामवीर सैनी, भाजपा जिले के पदाधिकारी देवी सिंह राणा, जय भगवान सैनी, आशुतोष शर्मा, अंकित आर्य, पूर्व भाजपा विस्तारक अजय टांक, संजय वर्मा, आदित्य राज सैनी, सहदेव सिंह पुण्डीर, जितेन्द्र वर्मा, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, विनीत जौ़ली,ने शाल उढाकर,गंगाजली भेंट कर अभिनंदन किया रूडकी,मंगलौर,भगवानपुर, भाजपा मण्डल के पदाधिकारी उपस्थित रहे। सिंहद्वार पहुंचने पर  नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिरी का स्वागत पूर्व मंडल अध्यक्ष अश्विनी पाल, रविन्द्र चौधरी, धर्मेन्द्र चौहान, आदि ने स्वागत किया। हरकी पौड़ी पहुँचें पर नामदेव समाज की ओर से कृष्ण कुमार गाँधी, गगन नामदेव, अशोक राणा, मनीष नामदेव, संजय वर्मा, ने संत नाम देव की मूर्ति,  गुलदस्ता  भेट कर नामदेव समाज की ओर से स्वागत किया, गिरि समाज की ओर से प्रमोद गिरि, विपिन शर्मा, मान्धाता गिरि, आदि ने प्रतिक चिन्ह, भेट कर स्वागत किया गंगा पूजन के पश्चात राकेश गिरी ने प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम जा कर महंत स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया  वँहा पर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डा0 प्रेम चन्द शास्त्री, डा0 नाथी राम, धीर सिंह, नितिन कुमार सैनी, प्रति गुप्ता, सुशांत पाल, डा0 जितेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।


भाई घनय्या जी

भाई घनइय्या जी मानवता की मशाल


        सिक्खों और मुगलों में युद्ध हो रहा था, भाई घनइय्या जी को घायल सिक्ख सैनिकों को पानी पिलाने का दायित्व दिया गया था।


        कुछ सिक्खों ने गुरू गोबिन्द सिंह जी से शिकायत की कि घनइय्या गद्दार हो गया है, वह मुस्लिम मुगल सैनिकों को भी पानी पिला रहा है। गुरू जी ने शिकायत सुन कर भाई घनइय्या जी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया।


      भाई घनइय्या जी ने बताया कि युद्ध भूमि में जब मैं पानी पिलाने का कार्य करता हूँ मुझे हर घायल और पीड़ित प्यासे के मूँह में आप के ही दर्शन होने लगते हैं, मैं सिक्ख मुस्लिम और हिन्दू का भेद नहीं कर पाता हूँ, मैं उसे पानी पिलाने से अपने आप को रोक नहीं पाता हूँ।


      यह सुन कर गुरू जी बोले तुम बिलकुल ठीक करते हो, तुम मेरे सच्चे सिक्ख हो। गुरू जी ने उन्हें मरहम का डिब्बा भी दे कर कहा भाई घनइय्या अब आप बिना भेदभाव के सब घायलों को पानी पिलाने की सेवा के अतिरिक्त उनके घावों पर मरहम भी लगायेंगे।


      भाई घनइय्या जी ने वास्तव में गुरू गोबिन्द सिंह जी के आदेशानुसार सन 1704 में ही रेडक्रॉस की सेवा प्रारंभ कर दी थी।


भव्य होगा कुम्भ मेले का आयोजन

भव्य होगा कुम्भ मेला


हरिद्वार कुम्भ मेला2021 में आध्यत्मिक ,पौराणिक और धर्मिक स्वरूप को आधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। हरिद्वार कुंम्भ में आने वाले श्रद्धालुओ को इस बार मां गंगा की धरती पर अवतरण कथा और महाकुंभ की कथा अनोखे तरीके से देखने का अवसर मिलेगा।


कुंभ मेला प्रशासन ने इसके लिए विशेष व्यवस्था की है। 
 महाकुंभ में गंगाजल से प्रवाहित होने वाले फव्वारों पर विजुअल लाइट के माध्यम से पौराणिक कहानियां प्रस्तुत की जाएंगी। इसके लिये सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।


हरिद्वार में शंकराचार्य चौक के पास ओम घाट के समीप  इसका प्रस्तुतिकरण भी  किया गया। प्रयोग के तौर पर घाट पर गंगा  जल से ही फव्वारे बनाए गए और उन पर लेजर लाइट डालकर गंगा की कहानी का वर्णन कथानक का प्रदर्शन किया गया ।गंगा की फुहारों पर लेजर लाइट के माध्यम से बने प्रतिबिंब को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह गए।


इस दौरान मेलाधिकारी दीपक रावत के नेवतृत्व में अपर मेलाधिकारी ललित मिश्र,हरबीर सिंह, नगर आयुक्त नरेन्द्र भंडारी, कुंभ मेला प्रशासन के अधिकारी और बड़ी संख्या में सामान्य जनता भी  उपस्थित थे। मेला प्रशासन के अनुसार इस फाउंटेन लेजर लाइट के माध्यम से कुंभ माईथालॉजी और गंगा की कहानी को प्रस्तुत किया जाएगा और कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए यह कार्यक्रम निशुल्क रखा जाएगा जिससे बड़ी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसका फायदा उठा सकेंगे।


शिलान्यास

विधायक स्वामी यतीश्वरा नंद ने किया लैब भवन का शिलान्यास ।
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हरिद्वार  28 फरवरी  बहादराबाद ब्लाक के ग्राम पंचायत टिहरी डोब नगर के राजकीय इंटर कॉलेज पथरी में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य लिए CSR मद से 21.7 लाख से बनने वाले  साइन्स लैब भवन का शिलान्यास मा० लोकप्रिय विधायक जी हरिद्वार ग्रामीण द्वारा किया गया । ग्रामीणों व विद्यालय परिवार द्वारा मा० विधायक जी का इस लोकप्रिय कार्य के लिए धन्यवाद दिया।
निरन्तर प्रगति के पथ पर ग्राम पंचायत टिहरी डोब नगर।


नारी तू महान हैं

 


भगवान की श्रेष्ठ कृति स्त्री 


जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी।
इसलिए देवदूत ने पूछा- भगवान, आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो?


भगवान ने जवाब दिया- क्या तुमने इसके सारे गुणधर्म देखे हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी हैं।


यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है। यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है। यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे दिल के घाव भी भर सकती है। यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है। इसमें सबसे बड़ा गुणधर्म यह है कि बीमार होने पर अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।
देवदूत चकित रह गया और आश्चर्य से पूछा कि भगवान क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है?


भगवान ने कहा- यह मेरी अद्भुत रचना है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा- भगवान यह तो बहुत नाजुक है।


भगवान ने कहा- हां, यह बाहर से बहुत ही नाजुक है, मगर इसे अंदर से बहुत मजबूत बनाया है। इसमें हर परिस्थितियों का संभालने की ताकत है। यह कोमल है पर कमजोर नहीं है।


देवदूत ने पूछा- क्या यह सोच भी सकती है?
भगवान ने कहा- यह सोच भी सकती है और मजबूत होकर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला- भगवान ये तो गीले हैं। लगता है इसमें से कुछ बह रहा है।


भगवान बोले- यह इसके आंसू हैं।
देवदूत- आंसू किसलिए?
भगवान बोले- यह भी इसकी ताकत है। आंसू इसको फरियाद करने, प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका है।


देवदूत- भगवान आपकी रचना अद्भुत है। आपने सब कुछ सोचकर बनाया है। आप महान हैं।


भगवान बोले- यह स्त्रीरूपी रचना अद्भुत है। यही हर पुरुष की ताकत है, जो उसे प्रोत्साहित करती है। वे सभी को खुश देखकर खुश रहती हैं, हर परिस्थिति में हंसती रहती हैं। उसे जो चाहिए, वह लड़कर भी ले सकती है। उसके प्यार में कोई शर्त नहीं है। उसका दिल टूट जाता है, जब अपने ही उसे धोखा दे देते हैं, मगर हर परिस्थितियों से समझौता करना भी जानती है।


देवदूत- भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले- ना, अभी इसमें एक त्रुटि है।
'यह अपना महत्व भूल जाती है।'


वीर स्वतंत्रता सेनानी को शत शत नमन

28 फरवरी/बलिदान-दिवस पर विशेष 
*सम्बलपुर का क्रांतिवीर सुरेन्द्र साय*


भारत में जब से ब्रिटिश लोगों ने आकर अपनी सत्ता स्थापित की, तब से ही उनका विरोध हर प्रान्त में होने लगा था। 1857 में यह संगठित रूप से प्रकट हुआ; पर इससे पूर्व अनेक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम किये रखा। वीर सुरेन्द्र साय ऐसे ही एक क्रान्तिवीर थे।


सुरेन्द्र साय का जन्म ग्राम खिण्डा (सम्बलपुर, उड़ीसा) के चौहान राजवंश में 23 जनवरी, 1809 को हुआ था। इनका गाँव सम्बलपुर से 30 कि.मी की दूरी पर था। युवावस्था में उनका विवाह हटीबाड़ी के जमींदार की पुत्री से हुआ, जो उस समय गंगापुर राज्य के प्रमुख थे। आगे चलकर सुरेन्द्र के घर में एक पुत्र मित्रभानु और एक पुत्री ने जन्म लिया। 


1827 में सम्बलपुर के राजा का निःसन्तान अवस्था में देहान्त हो गया। राजवंश का होने के कारण राजगद्दी पर अब सुरेन्द्र साय का हक था; पर अंग्रेज जानते थे कि सुरेन्द्र उनका हस्तक बन कर नहीं रहेगा। इसलिए उन्होंने राजा की पत्नी मोहन कुमारी को ही राज्य का प्रशासक बना दिया। मोहन कुमारी बहुत सरल महिला थीं। उन्हें राजकाज की कुछ जानकारी नहीं थी। अतः अंग्रेज उन्हें कठपुतली की तरह अपनी उँगलियों पर नचाने लगे। 


लेकिन अंग्रेजों की इस धूर्तता से उस राज्य के सब जमींदार नाराज हो गये। उन्होंने मिलकर इसका सशस्त्र विरोध करने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने सुरेन्द्र साय को नेता बनाया। धीरे-धीरे इनके संघर्ष एवं प्रतिरोध की गति बढ़ने लगी। इससे अंग्रेज अधिकारी परेशान हो गये। 


1837 में सुरेन्द्र साय, उदन्त साय, बलराम सिंह तथा लखनपुर के जमींदार बलभद्र देव मिलकर डेब्रीगढ़ में कुछ विचार-विमर्श कर रहे थे कि अंग्रेजों ने वहाँ अचानक धावा बोल दिया। उन्होंने बलभद्र देव की वहीं निर्ममता से हत्या कर दी; पर शेष तीनों लोग बचने में सफल हो गये।


इस हमले के बाद भी इनकी गतिविधियाँ चलती रहीं। अंग्रेज भी इनके पीछे लगे रहे। उन्होंने कुछ जासूस भी इनको पकड़ने के लिए लगा रखे थे। ऐसे ही देशद्रोहियों की सूचना पर 1840 में सुरेन्द्र साय, उदन्त साय तथा बलराम सिंह अंग्रेजों की गिरफ्त में आ गये। तीनों को आजन्म कारावास का दण्ड देकर हजारीबाग जेल में डाल दिया गया। ये तीनों परस्पर रिश्तेदार भी थे।


पर इनके साथी शान्त नहीं बैठे। 30 जुलाई, 1857 को सैकड़ों क्रान्तिवीरों ने हजारीबाग जेल पर धावा बोला और सुरेन्द्र साय को 32 साथियों सहित छुड़ा कर ले गये। सुरेन्द्र साय ने सम्बलपुर पहुँचकर फिर से अपने राज्य को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए सशस्त्र संग्राम शुरू कर दिया। 


अंग्रेज पुलिस और सुरेन्द्र साय के सैनिकों में परस्पर झड़प होती ही रहती थी। कभी एक का पलड़ा भारी रहता, तो कभी दूसरे का; पर सुरेन्द्र साय और उनके साथियों ने अंग्रेजों को चैन की नींद नहीं सोने दिया।


23 जनवरी, 1864 को जब सुरेन्द्र साय अपने परिवार के साथ सो रहे थे, तब अंग्रेज पुलिस ने छापा मारकर उन्हें पकड़ लिया। रात में ही उन्हें सपरिवार रायपुर ले जाया गया और फिर अगले दिन नागपुर की असीरगढ़ जेल में बन्द कर दिया। जेल में भरपूर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के बाद भी सुरेन्द्र ने विदेशी शासन के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया।


अपने जीवन के 37 साल जेल में बिताने वाले उस वीर ने 28 फरवरी, 1884 को असीरगढ़ किले की जेल में ही अन्तिम साँस ली।


 


जय श्री राम

*जीवन का सार


तुलसी साथी विपत्ति के*
       *विद्या विनय विवेक,*
*साहस सुकृति सुसत्यव्रत*
        *राम भरोसे एक।।*🌹
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*भावार्थ:--  "तुलसीदास जी कहते हैं, कि किसी विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे...*
*आपका ज्ञान, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस,* *आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और प्रभु में विश्वास !!*🌹
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कविता

जो दिया है प्रभु ने
उसका मान कीजिए
उसके लिए प्रभु का
धन्यवाद कीजिए
हवा, पानी,प्रकाश दिया
उदर को खाद्यान्न दिया
प्रभु रूप में मां मिली
पालक रूप में पिता 
संसार निहारने को चक्षु मिले
प्रेम रस को ह्रदय पटल
मन में प्रभु स्मृति रहे
जीवन पावन अविरल।
---श्रीगोपाल नारसन


भाजपा ओबीसी मोर्चा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष माननीय राकेश गिरी जी भाई साहब का हरिद्वार पहुँचने पर होगा भव्य स्वागत

हरिद्वार 28 फरवरी  भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त  ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री राकेश गिरी जी भाई साहब कल सुबह 11बजे हरकी पौड़ी पर गंगा पूजन करने के लिए आ रहे हैं। उस के पश्चात प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में मीडिया से मिलेंगे। उक्त जानकारी भाजपा के जि़ला अध्यक्ष डॉक्टर जयपाल सिंह चौहान ने प्रदान करते हुए बताया कि भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता हरकी पौड़ी पहुँचें पर माननीय राकेश गिरी जी भाई साहब का स्वागत करेंगे साथ ही गंगा पूजन में शामिल होंगें। नामदेव समाज के वरिष्ठ नेता कृष्ण कुमार गाँधी, अशोक राणा, गगन नामदेव, संजय वर्मा ,मनीष नामदेव तथा गिरि समाज के युवा नेता समाजसेवी प्रमोद गिरि , समाजसेवी गगन यादव, दिनेश कश्यप, राकेश यादव, अम्बू राम प्रजापति,नाथी राम प्रजापति ,हरिद्वार ग्रामीण मंडल के पूर्व मंडल अध्यक्ष अश्विनी पाल आदि ने बताया कि माननीय राकेश गिरी जी भाई साहब के स्वागत की समस्त तैयारीयां पूर्ण कर ली गई है। ओबीसी समाज की विभिन्न बिरादियो के लोग नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जी का भव्य स्वागत करेंगे। 


नयी पहल

नयी पहल 


*शादी में अतिथियो को भेंट किये गये पौधे


पौध पाणिग्रहण।*


 रामनगर में एक नई पहल दिखी। यह पहल थी शादी के अवसर पर प्रत्येक मेहमान को जाते समय एक पौधा उपहार स्वरूप दिया जाना। अवसर था रामनगर के व्यवसायी और कल्पतरु वृक्षमित्र के अध्यक्ष अतुल मेहरोत्रा जी के सुपुत्र सिद्धान्त का विवाह। इस शुभ अवसर पर अनेक गणमान्यजन के साथ-साथ मैती आंदोलन के प्रणेता पर्यावरणविद् कल्याण सिंह रावत 'मैती' की उपस्थिति ने समारोह की शोभा में चार चांद लगा दिए। मैती जी को हाल ही में पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री प्रदान किया गया है।


अतुल जी की प्रबल इच्छा थी कि उनके बेटे के विवाह के अवसर पर प्रत्येक अतिथि को एक एक पौधा भेंट किया जाए। अतुल जी द्वारा दो हज़ार पौधों की व्यवस्था की गई। समाहरोह स्थल पर कल्पतरु का स्टाल बनाया गया जिसे बड़े सुंदर ढंग से सजाया गया। डॉ० अनुपम ने बैनर पर  बहुत सार्थक संदेश 'पौध पाणिग्रहण' लिखा। आदरणीय गुरुजी श्री कुबेर सिंह अधिकारी जी के नेतृत्व में हमारे टीम मेंबर्स के द्वारा अतिथियों को न केवल पौध भेंट किये गए बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक पौधें लगाने का अनुरोध भी किया गया। 


देखते ही देखते हमारे हरित स्टॉल पर भीड़ लग गयी। तभी पद्मश्री कल्याण सिंह रावत जी स्वयं हमारे स्टाल पर आए और उन्होंने बहुत से अतिथियों को पौध भेंट किये। बहुत से लोगों ने पौधा लेते समय मैती जी के साथ सेल्फी भी ली। 


इस तरह हमारा स्टॉल एकदम अलग था। जहाँ अन्य स्टॉलों पर मेहमान तरह तरह के लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद ले रहे थे वही कल्पतरु स्टॉल पर मेहमान पौधा प्राप्त कर पर्यावरण संरक्षण के अभियान में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रहे थे। यह एक प्रकार से वर-वधु के लिए आशीर्वाद सरीखा भी था क्योंकि उनके विवाह पर दो हजार पौधे भी एक नवयात्रा के लिए निकल रहे थे। पौधे पकड़कर चलते हुए बच्चों के चेहरों की मुस्कान देखकर दिल खुश हो गया। एक अभिनव पहल जहाँ मेहमानों के हाथों में पौधा महज एक पौधा न लगकर एक नई सोच का वाहक लग रहा था। 


काश! आगे होने वाली शादियों में भी ऐसा हो। हर मेहमान को एक पौध भेंट किया जाए तो पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।


विकास कार्यो की घोषणा

मुख्य मंत्री ने की सौ करोड़ की योजनाओं की घोषणा 


हल्द्वानी में आधुनिक सुविधाओं वाले अन्तरराज्यीय
बस अड्डे का निर्माण जल्द होगा। हल्द्वानी में राज्य का पहला राजकीय इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण किया जाएगा  गुरुवार को नैनीताल जिले के लिए ₹1अरब से अधिक लागत की योजनाओं का किया शिलान्यास व लोकार्पण किया। इस दौरान 50 भूमिहीन गरीबों को आवास के भूमि का पट्टे भी वितरित किये जिसमे मा. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, मा. प्रदेश अध्यक्ष बशीधर भगत जी, जिला अध्यक्ष श्री प्रदीप सिंह बिष्ट जी, प्रदेश महामन्त्री श्री राजेन्द्र भंडारी जी, व विधायक लालकुआं विधायक नवीन चंद दुमका जी, विधयाक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट जी विधायक नैनीताल संजीव आर्य जी आदि मौजूद रहे।


वीर अमर सिंह राठौर


  • अमर सिंह राठौर को हिन्दू वजीर ने ही धोखे से मरवा दिया था

  • आपसी फूट और लालच के कारण ही  हिंदू  हुआ गुलाम 

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मुग़ल बादशाह शाहजहाँ लाल किले में तख्त-ए-ताऊस पर बैठा हुआ था। तख्त-ए-ताऊस काफ़ी ऊँचा था । उसके  एक तरफ़ थोड़ा नीचे अग़ल-बग़ल दो और छोटे-छोटे तख्त लगे हुए थे । एक तख्त पर मुगल वज़ीर दिलदार खां बैठा हुआ था और दूसरे तख्त पर मुगल सेनापति सलावत खां बैठा था । सामने सूबेदार-सेनापति -अफ़सर और दरबार का खास हिफ़ाज़ती दस्ता मौजूद था । 


उस दरबार में इंसानों से ज्यादा क़ीमत बादशाह के सिंहासन तख्त-ए-ताऊस की थी । तख्त-ए-ताऊस में 30 करोड़ रुपए के हीरे और जवाहरात लगे हुए थे । इस तख्त की भी अपनी कथा-व्यथा थी । तख्त-ए-ताऊस का असली नाम मयूर सिंहासन था । 300 साल पहले यही मयूर सिंहासन देवगिरी के यादव राजाओं के दरबार की शोभा था । यादव राजाओं का सदियों तक गोलकुंडा के हीरों की खदानों पर अधिकार रहा था । यहां से  निकलने वाले बेशक़ीमती हीरे, मणि, माणिक, मोती... मयूर सिंहासन के सौंदर्य को दीप्त करते थे । लेकिन समय चक्र पलटा... दिल्ली के क्रूर सुल्तान अलाउदद्दीन खिलजी ने यादव राज रामचंद्र पर हमला करके उनकी अरबों की संपत्ति के साथ ये मयूर सिंहासन भी लूट लिया। इसी मयूर सिंहासन को फारसी भाषा में तख्त-ए-ताऊस कहा जाने लगा । 
 
दरबार का अपना सम्मोहन होता है और इस सम्मोहन को राजपूत वीर अमर सिंह राठौर ने अपनी पद चापों से भंग कर दिया । अमर सिंह राठौर.. शाहजहां के तख्त की तरफ आगे बढ़ रहे थे । तभी मुगलों के सेनापति सलावत खां ने उन्हें रोक दिया । 


सलावत खां- ठहर जाओ... अमर सिंह जी... आप 8 दिन की छुट्टी पर गए थे और आज 16वें दिन तशरीफ़ लाए हैं । 


अमर सिंह- मैं राजा हूँ । मेरे पास रियासत है फौज है.. किसी का गुलाम नहीं । 


सलावत खां- आप राजा थे... अब हम आपके सेनापति हैं... आप मेरे मातहत हैं । आप पर जुर्माना लगाया जाता है... शाम तक जुर्माने के सात लाख रुपए भिजवा दीजिएगा । 


अमर सिंह- अगर मैं जुर्माना ना दूँ !


सलावत खां- (तख्त की तरफ देखते हुए) हुज़ूर... ये काफिर आपके सामने हुकूम उदूली कर रहा है। 


अमर सिंह के कानों ने काफिर शब्द सुना । उनका हाथ तलवार की मूंठ पर गया... तलवार बिजली की तरह निकली और सलावत खां की गर्दन पर गिरी । मुगलों के सेनापति सलावत खां का सिर जमीन पर आ गिरा... अकड़ कर बैठा सलावत खां का धड़ धम्म से नीचे गिर गया ।  दरबार में हड़कंप मच गया... वज़ीर फ़ौरन हरकत में आया वो बादशाह का हाथ पकड़कर भागा और उन्हें सीधे तख्त-ए-ताऊस के पीछे मौजूद कोठरीनुमा कमरे में ले गया । उसी कमरे में दुबक कर वहां मौजूद खिड़की की दरार से वज़ीर और बादशाह दरबार का मंज़र देखने लगे ।


दरबार की हिफ़ाज़त में तैनात ढाई सौ सिपाहियों का पूरा दस्ता अमर सिंह पर टूट पड़ा था । देखते ही देखते... अमर सिंह ने शेर की तरह सारे भेड़ियों का सफ़ाया कर दिया ।


बादशाह- हमारी 300 की फौज का सफ़ाया हो गया... या खुदा !


वज़ीर- जी जहाँपनाह 


बादशाह- अमर सिंह बहुत बहादुर है... उसे किसी तरह समझा बुझाकर ले आओ... कहना हमने माफ किया !


वज़ीर- जी जहाँपनाह ! हुजूर... लेकिन आँखों पर यक़ीन नहीं होता... समझ में नहीं आता... अगर हिंदू इतना बहादुर है तो फिर गुलाम कैसे हो गया ? 


बादशाह- अच्छा... सवाल वाजिब है... जवाब कल पता चल जाएगा ।


अगले दिन फिर बादशाह का दरबार सजा ।


शाहजहां- अमर सिंह का कुछ पता चला ।


वजीर- नहीं जहाँपनाह... अमर सिंह के पास जाने का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहता है ।  


शाहजहां- क्या कोई नहीं है जो अमर सिंह को यहां ला सके ?


दरबार में अफ़ग़ानी, ईरानी, तुर्की... बड़े बड़े रुस्तम-ए-जमां मौजूद थे । लेकिन कल अमर सिंह के शौर्य को देखकर सबकी हिम्मत जवाब दे रही थी। 


आखिर में एक राजपूत वीर आगे बढ़ा.. नाम था... अर्जुन सिंह । 


अर्जुन सिंह- हुज़ूर आप हुक्म दें... मैं अभी अमर सिंह को ले आता हूँ । 


बादशाह ने वज़ीर को अपने पास बुलाया और कान में कहा.. यही तुम्हारे कल के सवाल का जवाब है... हिंदू बहादुर है लेकिन इसीलिए गुलाम हुआ.. देखो.. यही वजह है।


अर्जुन सिंह... अमर सिंह के साले  थे । अर्जुन सिंह ने अमर सिंह को धोखा देकर उनकी हत्या कर दी । अमर सिंह नहीं रहे लेकिन उनका स्वाभिमान इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में प्रकाशित है । इतिहास में ऐसी बहुत सी कथाएँ हैं जिनसे सबक़ लेना आज भी बाकी है ।


#हिंदू


- शाहजहाँ के दरबारी, इतिहासकार और यात्री अब्दुल हमीद लाहौरी की किताब बादशाहनामा से ली गईं ऐतिहासिक कथा ।


 


कुम्भ मेला आयोजन को लेकर बैठक

कुम्भ मेला निर्विघ्न सम्पन्न कराने में सहयोग करेगा व्यापार मण्डल : सुरेश गुलाटी


अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह के साथ विकास प्राधिकरण सभागार में बैठक कर व्यापारियों ने दिये कुम्भ मेला आयोजन हेतु अपने सुझाव


हरिद्वार, 27 फरवरी। महाकुम्भ 2021 को निर्विघ्न, निरापाद व भव्यता के साथ सम्पन्न कराने हेतु मेला प्रशासन की पहल पर अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह ने हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण के सभागार में व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सुझाव लिये व मेला प्रशासन की भावी योजनाओं के संदर्भ में अवगत कराया।  
अपर मेलाधिकारी व सचिव प्राधिकरण हरवीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, मेला अधिकारी दीपक रावत के नेतृत्व व मार्गदर्शन में आगामी महाकुम्भ मेले को दिव्य व भव्य रूप प्रदान करने के लिए मेला प्रशासन कृत संकल्पित है। तीर्थयात्रियों की सुविधार्थ घाटों का निर्माण, आस्था पथ का निर्माण, शौचालय-मूत्रालय का निर्माण, समूचे कुम्भ क्षेत्र में आधुनिक लाईटिंग सिस्टम, साउड सिस्टम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, साफ-सफाई, सुविधायुक्त मेला सेक्टरों की स्थापना हमारी प्राथमिकता रहेगी। 
व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष सुरेश गुलाटी ने कहा कि कुम्भ मेले को निर्विघ्न सम्पन्न कराने में व्यापार मण्डल का पूर्ण सहयोग मेला प्रशासन को मिलेगा। पूर्व में भी व्यापार मण्डल के पदाधिकारी एसपीओ के रूप में कुम्भ, अर्द्धकुम्भ मंे अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हांेने कहा कि मेले में व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों को कम से कम समस्या का सामना करना पड़े। 
शहर अध्यक्ष कमल बृजवासी ने कहा कि व्यापारियों के लिए दोपाहिया पार्किंग की व्यवस्था, सार्वजनिक पेयजल स्टैण्ड पोस्ट, शौचालय व मूत्रालय की व्यवस्था तीर्थयात्रियों व स्थानीय व्यापारियों के लिए होना अत्यन्त आवश्यक है तथा आस्था के दृष्टिगत पूर्व की भांति कुम्भ के स्नान हरकी पैड़ी पर ही सम्पन्न होने चाहिए।
पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि कुम्भ मेले में उत्तरी हरिद्वार स्थित नगर निगम की डिस्पेंसरी का आधुनिककरण होना अत्यन्त आवश्यक है। साथ ही सफाई की बेहतर व्यवस्था हेतु नगर निगम को आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। 
वरिष्ठ व्यापारी नेता आशुतोष शर्मा ने कहा कि घाटों का नामाकरण व उसके इतिहास से संबंधित पट्ट घाटों पर लगाये जाने चाहिए साथ ही तीर्थनगरी के नक्शे वाले इलेक्ट्रिक बोर्ड भी भौगोलिक जानकारी देने हेतु रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड पर लगाया जाना कुम्भ मेले की दृष्टि से उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि हिल बाईपास मार्ग का प्रयोग करने हेतु कानूनी अड़चनों को दूर किया जाना चाहिए। 
शहर व्यापार मण्डल के महामंत्री प्रदीप कालरा व राजीव पाराशर ने कहा कि कुम्भ मेले में व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान तक जाने हेतु पास उपलब्ध कराये जाये तथा उनके वाहनों हेतु समूचे सभी क्षेत्रों में पॉकेट पार्किंग की व्यवस्था की जाये। 
बैठक में कुम्भ से पूर्व तीर्थनगरी की मर्यादा के अनुरूप दुकानों के बोर्ड लगाने व भवनों-प्रतिष्ठानों पर समान रूप से रंग-रोगन किये जाने पर भी सहमति बनी। अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह ने सभी व्यापारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मेला प्रशासन तीर्थनगरी को आधुनिक सुविधायुक्त स्वरूप देने के लिए प्रयासरत है। इस कार्य में व्यापार मण्डल के सुझाव निश्चित रूप से उपयोगी साबित होंगे।
बैठक में मुख्य रूप से व्यापारी नेता डॉ. संदीप कपूर, नागेश वर्मा, विजय शर्मा, राजेश पुरी, राकेश खन्ना, महेन्द्र अरोड़ा, अनिल सिंघल, गोपाल प्रधान, गोपाल, सुनील तलवार, गौरव सचदेवा, धर्मेन्द्र, संजय त्रिवाल, राजकुमार गुप्ता, अरूण राघव, संदीप शर्मा, प्रेम राणा, सचेन्द्र झा, बलकेश राजौरिया, विशाल गोस्वामी, संगीत मदान, राजू बक्शी, राजू मनोचा, राहुल काण्डपाल, रवि चौहान, पंकज चुघ, प्रशांत मेहता समेत अनेक व्यापारी नेता उपस्थित रहे।


राम राम जय श्री राम

शिव को प्रिय राम नाम


*महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं?*


शिव जी पार्वती जी से कहते हैं कि हे देवी ! जो व्यक्ति एक बार *राम* कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूँ। 


*पार्वती जी ने एक बार शिव जी से पूछा आप श्मशान में क्यूँ जाते हैं और ये चिता की भस्म शरीर पे क्यूँ लगाते हैं?*


उसी समय शिवजी पार्वती जी को श्मशान ले गए। वहाँ एक शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। लोग *राम नाम सत्य है* कहते हुए शव को ला रहे थे। 


शिव जी ने कहा कि देखो पार्वती ! इस श्मशान की ओर जब लोग आते हैं तो *राम* नाम का स्मरण करते हुए आते हैं। और इस शव के निमित्त से कई लोगों के मुख से मेरा अतिप्रिय दिव्य *राम* नाम निकलता है उसी को सुनने मैं श्मशान में आता हूँ, और इतने लोगों के मुख से *राम* नाम का जप करवाने में निमित्त बनने वाले इस शव का मैं सम्मान करता हूँ, प्रणाम करता हूँ, और अग्नि में जलने के बाद उसकी भस्म को अपने शरीर पर लगा लेता हूँ।


 *राम* नाम बुलवाने वाले के प्रति मुझे अगाध प्रेम रहता है। 


एक बार शिवजी कैलाश पर पहुंचे और पार्वती जी से भोजन माँगा। पार्वती जी विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। पार्वती जी ने कहा अभी पाठ पूरा नही हुआ, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए।


 शिव जी ने कहा कि इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे। संत लोग जिस तरह से सहस्र नाम को छोटा कर लेते हैं और नित्य जपते हैं वैसा उपाय कर लो। 


पार्वती जी ने पूछा वो उपाय कैसे करते हैं? मैं सुनना चाहती हूँ। 


शिव जी ने बताया, केवल एक बार *राम* कह लो तुम्हें सहस्र नाम, भगवान के एक हज़ार नाम लेने का फल मिल जाएगा। 


एक *राम* नाम हज़ार दिव्य नामों के समान है। 


पार्वती जी ने वैसा ही किया। 


पार्वत्युवाच –
*केनोपायेन लघुना विष्णोर्नाम सहस्रकं?*
*पठ्यते पण्डितैर्नित्यम् श्रोतुमिच्छाम्यहं प्रभो।।*


ईश्वर उवाच-
*श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे।*
*सहस्र नाम तत्तुल्यम राम नाम वरानने।।*


यह *राम* नाम सभी आपदाओं को हरने वाला, सभी सम्पदाओं को देने वाला दाता है, सारे संसार को विश्राम/शान्ति प्रदान करने वाला है। इसीलिए मैं इसे बार बार प्रणाम करता हूँ। 


*आपदामपहर्तारम् दातारम् सर्वसंपदाम्।*
*लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो भूयो नमयहम्।*


 भव सागर के सभी समस्याओं और दुःख के बीजों को भूंज के रख देनेवाला/समूल नष्ट कर देने वाला, सुख संपत्तियों को अर्जित करने वाला, यम दूतों को खदेड़ने/भगाने वाला केवल *राम* नाम का गर्जन(जप) है। 


*भर्जनम् भव बीजानाम्, अर्जनम् सुख सम्पदाम्।*
*तर्जनम् यम दूतानाम्, राम रामेति गर्जनम्।*


प्रयास पूर्वक स्वयम् भी *राम* नाम जपते रहना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करके *राम* नाम जपवाना चाहिए। इस से अपना और दूसरों का तुरन्त कल्याण हो जाता है। यही सबसे सुलभ और अचूक उपाय है। 


 इसीलिए हमारे देश में प्रणाम–
 *राम राम* कहकर किया जाता है। 


🌷*जय श्री राम*🌷


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मेरा थैला

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🟣 *‘मेरा थैला मेरी शान’* 🟣


🛑 *परमार्थ निकेतन में थैला आन्दोलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्वामी सहजानन्द जी एवं जिओ टीवी प्रतिनिधि श्री बालाजी अय्यर और श्री विशाल जी दर्शनार्थ आये*


🔴 *दिव्य गंगा आरती में किया सहभाग*


💥 *मेरा थैला मेरी शान प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि संवर्द्धन हो-स्वामी चिदानन्द सरस्वती*


*ऋषिकेश, 27 फरवरी।* परमार्थ निकेतन में जिओ टीवी प्रतिनिधि श्री बालाजी अय्यर और श्री विशाल जी तथा थैला आन्दोलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वामी सहजानन्द जी दर्शनार्थ आये। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट वार्ता कर दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने थैला आन्दोलन को विस्तार देने हेतु विस्तृत चर्चा करते हुये कहा कि लोग आजकल अपनी फटी पैंट को फैशन समझते हैं परन्तु अब समय आ गया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये थैला हाथ में पकड़ने को फैशन बनायें। जिस दिन लोग ‘मेरा थैला मेरी शान’ समझने लगेंगे उस दिन प्लास्टिक के उपयोग में निश्चित रूप से कमी आयेगी। साथ ही पुराने कपड़ों का उपयोग होगा और महिलाओं को रोजगार  मिलेगा। उन्होंने कहा कि ‘ईकोफ्रेंली कल्चर’ को अपनाकर ही हम अपनी भावी पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं।
 जिओ टीवी के प्रतिनिधि श्री बालाजी अय्यर और श्री विशाल जी के साथ चर्चा करते हुये स्वामी जी ने कहा कि जिओ नेटवर्क के माध्यम से लोगों ने पूरी दुनिया तक अपनी पहंुच बनायी है। जिओ का सही उपयोग किया जाये तो जीवन में विलक्षण परिवर्तन हो सकता है।
 स्वामी जी ने कहा कि प्रकृति के साथ सौहार्द्र और शुद्धता का सम्बंध स्थापित करने के लिये ईको फ्रेंडली कल्चर को आत्मसात करना होगा तथा पर्यावरण को समावेशी और सतत बनाने हेतु आगे आकर सम्पूर्ण मानवता का कल्याण हो वह मार्ग अपनाना होगा। स्वामी जी ने कहा कि धरती को प्रदूषण मुक्त रखने के अलावा हमारे पास कोई भी वैकल्पिक योजना नहीं है अतः ऐसी तकनीक को अपनाना होगा जो कि सतत और हरित विकास लक्ष्य को हासिल करने में मदद करें। अब प्रकृति के दोहन की नहीं बल्कि संवर्द्धन की संस्कृति को अपनाना होगा।
 स्वामी जी ने स्वामी सहजानन्द जी, श्री सिद्धार्थ शर्मा जी एवं सभी अतिथियों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया। 
 परमार्थ गंगा आरती में उपस्थित श्रद्धालुओं को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ‘‘मेरा थैला मेरी शान’’ संकल्प कराया।
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कर्नाटक में नेहरू युवा केंद्र के वालिंटीयर्स ने बिखेरे उत्तराखंड की संस्कृति के रंग

नेहरू युवा केंद्र हरिद्वार की टीम पहुंची कर्नाटका के मंडिया जिले में बिखेर उत्तराखंड की संस्कृति के रंग
हरिद्वार  27 फरवरी    नेहरू युवा केंद्र हरिद्वार की ओर से पूरे उत्तराखंड को रिप्रेजेंट करने उत्तराखंड की शान नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रखर कश्यप के नेतृत्व में हरिद्वार की टीम पहुंची कर्नाटक के मंडिया जिले में जहां नेहरू युवा केंद्र संगठन भारत सरकार द्वारा एनआईसी कैंप राष्ट्रीय एकता शिविर 2020(18-22/02/2020) का आयोजन किया गया था कर्नाटक राज्य के मंडिया जिले के जिला युवा समन्वयक श्री अनंत अप्पा ने कहा कि उत्तराखंड का नृत्य व उत्तराखंड की  गढ़वाली भाषा बहुत  ही  दिल को भा गई हरिद्वार की टीम ने पूरे उत्तराखंड को रिप्रेजेंट किया और गढ़वाली  संगीत पर नृत्य करके बाहर से आए और राज्यों का दिल जीत लिया बाहर से आए राज्य  राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश ,आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आसाम आदि ने अपने अपने कल्चर प्रोग्राम करके सभी का दिल जीत लिया हरिद्वार से गए टीम के कुछ सदस्यों के नाम नेहरू युवा केंद्र संगठन के राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रखर कश्यप वंदना, रोहित, भावना, प्रेरणा, सागर ,मोनू अली, हिमांशु, सन्नी, मनीष आदि


श्रद्धांजलि सभा

ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज का समूचा जीवन था त्याग, तपस्या व भारतीय संस्कृति को समर्पित : स्वामी राज राजेश्वराश्रम जी महाराज 
हरिद्वार, 27 फरवरी। सप्तसरोवर भूपतवाला की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री विवेक कुटीर में ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी जी महाराज की षोड्शी भण्डारा के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। 
इस अवसर पर श्रद्धाजंलि सभा को सम्बोधित करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज का समूचा जीवन त्याग, तपस्या व भारतीय संस्कृति को समर्पित था। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज ने जीवन पर्यंत भारतीय संस्कृति व संस्कृत को बढ़ाने के लिए भारत ही नहीं अपितु विश्व में अपनी कार्यशैली से भारत के साधु समाज की ख्याति को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने जीवन पर्यंत समाज को नई दिशा, नई सोच देने के लिए अपने आप को समर्पित रखा। शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद महाराज आध्यात्मिक की पराकाष्ठा पर स्थित अनेक दर्शन शास्त्रों के ज्ञाता थे। उन्हें अध्यात्मिक व धार्मिक स्वरूप प्रतिष्ठित करने में सफल शिल्पी कहा जाए तो भी कम है। 
श्रद्धाजंलि सभा को अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज ने वेदांत व संस्कृत को भारतीय संस्कृति में बढ़ाने का काम किया है। उन्हें सनातन व अध्यात्म का वैज्ञानिक भी कहा जाए तो कम है। उन्होंने लोगों के जीवन को मंत्र विज्ञान से चलाया और समाज को नई दिशा दी। ऐसे महापुरुष की प्रेरणा से व विचारों से जीवन को ऊर्जावान बनाया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद पुरी महाराज के शिष्य उनके विचारों व सोच को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वे अपने गुरु जी के विचारों को भारतीय संस्कृति में बढ़ाने का काम करेंगे। श्रद्धाजंलि सभा का कुशल संचालन करते हुए श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानंद पुरी जी महाराज ने अपने जीवन काल में बाल्यावस्था से ही अध्यात्म का आश्रय लेकर शास्त्रों का अध्ययन कर आध्यात्मिक सिद्धांतों को आत्मसात कर लौकिक परलौकिक अनेक विधाओं का प्रयोग जनहित में करते हुए अनेक भक्तों को जीवनदान दिया है। उन्होंने सनातन जगत में वेदांत सिद्धांत का प्रचार-प्रसार करने हेतु अनेकों सन्यासी शिष्य को दीक्षित कर पठन-पाठन की परंपरा को जीवित रखा है। उनका समूचा जीवन भारतीय संस्कृति व साधु समाज को समर्पित था। श्रद्धाजंलि सभा में पधारे महामण्डलेश्वर, संत-महंतजनों व अतिथियों का स्वामी शान्तानन्द पुरी महाराज व स्वामी सुनीता विवेक पुरी महाराज ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
श्रद्धाजंलि सभा को म.मं. स्वामी कमलानंद महाराज, म.मं. स्वामी हरिचेतनानंद महाराज, म.मं. स्वामी डॉ. प्रेमानन्द महाराज, म.मं. स्वामी शिवप्रेमानन्द महाराज, म.मं. स्वामी आनन्दचेतनानन्द महाराज, महंत ललितानन्द गिरि महाराज, म.मं. स्वामी प्रकाशानन्द महाराज, म.मं. स्वामी जीरागिरि महाराज, स्वामी केशवानन्द महाराज, श्रीमहंत विनोद गिरि महाराज, महंत दिनेश दास, महंत रवि शास्त्री, स्वामी नित्यानन्द, स्वामी कृष्णानन्द, स्वामी प्रज्ञानन्द, स्वामी शिवानन्द, स्वामी मंगलानन्द, स्वामी शांतानन्द आदि संत-महंतजनों ने सम्बोधित किया।
इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के प्रतिनिधि नरेश शर्मा, पार्षद अनिल मिश्रा, अनिरूद्ध भाटी, विनित जौली, पार्षद प्रतिनिधि विदित शर्मा, पं. शिवप्रकाश शर्मा, रितेश वशिष्ठ, पूजा सिखेरा समेत श्रद्धालु भक्तजनों ने ब्रह्मलीन स्वामी विवेकानन्द पुरी महाराज को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।


किसानों को मिलेगा मुवावजा

स्वामी यतीश्वरा नंद ने किया ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा


हरिद्वार 27 फरवरी हरिद्वार ग्रामीण विधान सभा के  विधायक स्वामी यतीशवरानंद ने ओलाव्रस्टि से प्रभावित फसलों का मुआयना किया।वहीं किसानों ने हुए नुकसान की भरपाई की मांग विधायक से की।


ग्राम पंजनहेडी, मिस्ससपुर, अजीतपुर, जियापोता,विशनपुर,कटारपुर, जमालपुर में स्वामी यतीशवरानंद विधायक हरिद्वार ग्रामीण  ने ओलाव्रस्टि से तबाह हुई फसलों को देखा। मौके पर संबंधित पटवारी को भी बुलाया गया। विधायक ने शीघ्र ही मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से मिलकर मुआवजा दिलाने की बात किसानों से कही। विधायक ने किसानों को हर संभव सहायता करने का भरोसा दिलाया। 
विधायक ने कहा कि सरकार किसानों का दर्द समझती है। उन्होंने तसीलदार और संबब्धित पटवारियों को तत्काल खेतों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए कहा। 
इस दौरान श्रवन, अंकित चौहान, नकलीराम सिंह, नाथीराम,आभिमन्यू, विकास चौहान, चंद्र प्रकाश, आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।


बाडमेर में दत्तोपंत ठेंगडी जन्म शताब्दी समारोह

#स्वदेशीसंदेश


बाड़मेर. जिस राष्ट्र की आर्थिक स्थिति संपन्न होती है, वही विश्व में अग्रणी होता है। भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है। देश के किसान, मजदूर एवं आमजन अपने लगन एवं मेहनत से राष्ट्र उत्थान में लगा हुए हैं। देश के उद्योगों एवं छोटे व्यावसायियों को देश की वर्तमान आर्थिक नीति से फायदा हो रहा है। यह बात स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय विचार विभाग प्रमुख सतीश कुमार ने बुधवार को दत्तोपंथ ठेंगड़ी जन्म शताब्दी कार्यक्रम को लेकर जिला स्तरीय उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में कही।


स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक समुंद्रसिंह फोगेरा ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ एवं मजदूर संघ सरीखे संगठनों के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी की जन्म शताब्दी को लेकर यह आयोजन हो रहा है।
कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक रिखबदास ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी भविष्यदृष्टा थे, उन्होंने भाप लिया था कि विदेशी कम्पनियां देश को खोखला कर देंगी और हम आर्थिक रूप से पिछड़ जाएंगे। उनकी शिक्षा व विचार आज भी प्रासंगिक है।


मुख्य अतिथि स्वदेशी जागरण मंच राजस्थान क्षेत्र संयोजक डॉ. धर्मेंद्र दुबे ने कहा कि वर्तमान में विदेशी ब्रांड के नाम की अंधी दौड़ युवाओं के बीच शुरू हुई है। यह होगा ऐसा दत्तोपंत ने पहले ही महसूस कर लिया था, यही कारण था कि 1992-93 में ही उन्होंने स्वदेशी अपनाने के लिए घर-घर स्वदेशी अपनाने व विदेशी वस्तुओं की सूचियां बंटवाने का अभियान चालू किया था। उसका ही परिणाम है कि आज स्वदेशी उद्योग धंधे बचे हुए हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संगठन मंत्री भवानीशंकर शर्मा ने कहा कि युवाओं में देश प्रेम एवं राष्ट्रभक्ति को प्रकट करने के लिए स्वदेशी सशक्त माध्यम है।


स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय कृषि प्रकोष्ठ प्रमुख भागीरथ चौधरी, भारतीय किसान संघ के जोधपुर प्रांत अध्यक्ष दलाराम चौधरी ने भी सम्बोधित किया।


स्वदेशी जागरण मंच के बाड़मेर विभाग संयोजक डॉ. महेशचंद्र श्रीमाली ने संचालन करते हुए दत्तोपंथ ठेगड़ी की जीवनी पर प्रकाश डाला।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाड़मेर के विभाग प्रचारक राजेश, भारतीय किसान संघ के दुर्गाराम, जगदीश बाना, लिखमाराम, अमृत लाल, अंबालाल जोशी, राजेश कड़वासरा, मनोहर लाल शर्मा, रामकुमार जोशी, एबीवीपी जिला संयोजक भोम सिंह, विजेंद्र गोदारा, दिलीप तिवारी, भोमङ्क्षसह बलाई आदि उपस्थित रहे।


कैची और सूई

जीवन का मंत्र


एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।


जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।


उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”


राम नाम की महिमा

*"" राम नाम की महिमा ""*🌺🌺🌺🌺🌺


 एक फ़क़ीर जो एक शहर के बस स्टैंड के पास एक वृक्ष की छाया में माला फेर रहा था तो एक अंग्रेज बस से उतरा बाबा के पास जाकर बोला ये आपके हाथ में क्या है बाबा ने अंग्रेज के कंधे में बन्दुक टांगी हुयी थी बाबा बोले ये क्या है अंग्रेज ने कहा ये मेरा हथियार है बाबा बोले ये मेरा हथियार है अंग्रेज बोला ये आपको किसने दिया बाबा बोले बन्दुक किसने दी आपको अंग्रेज बोला मेरी अंग्रेज सरकार ने दी तो बाबा ने कहा ये मेरी सरकार ने मुझे दिया अंग्रेज बोला ये क्या काम करती है बाबा बोले तेरा हथियार क्या काम करता है तो अंग्रेज ने ऊपर बैठे पक्षी को गोली मारी और तड़पता गिर गया बोला ये काम करता है मेरा हथियार बाबा ने उसी पक्षी पे माला लगायी और राम कहा वो पक्षी उड़ कर अपने स्थान पर बैठ गया बाबा बोले मेरा हथियार ये काम करता है वो अंग्रेज भी *राम नाम की दीक्षा ले राम नाम में रंग गया|*🌹शुभ  प्रभात 🌹
जय श्री राम 🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺💐महामंडलेश्वर स्वामी विनय स्वरूपानंद सरस्वती। सान्ताक्रुज,मुम्बई। 💐


गजल


  • गजल(  ताज से अच्छी क्या मौहब्बत की निशानी होगी )


खत्म अब तो सब कहानी होगी।
मौत के घर आगवानी होगी।।


साफ तुमको सब बतानी होगी।
बात जो भी दरमियानी होगी।।


चादरों के साथ इन पांवों की।
और कितनी खींचतानी होगी।। 


रात भर जो सो न पाई कल भी।
आपकी सचमुच दिवानी होगी।।


बाग सारा रौंद डाला उसने।
किस तरह अब बागवानी होगी।।


लीडरों की फौज फिर आएगी।
अब तो बस नौहाख्वानी होगी।।


ताज से अच्छी कहीं दुन्या में।
क्या मुहब्बत की निशानी होगी।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 


वित्तीय प्रबंधन फ्यूज़ माईक्रो फाईनेंस कम्पनी की पाठशाला

फ्यूजन के वित्तीय साक्षरता अभियान से लाभान्वित हुए विद्यार्थी 


ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयो में फ्यूजन माइक्रो फाईनेंस कम्पनी बच्चों को दे रही है वित्तीय प्रबंधन की जानकारी 


हरिद्वार 27 फरवरी  स्कूली बच्चों में वित्तीय प्रबंधन, माइनर एकांटस, बैंको से लेन देन की जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से फ्यूजन माइक्रो फाईनेंस कम्पनी के द्वारा विगत एक माह से बहादराबाद ब्लाक के पथरी, टिहरी डोब नगर के विद्यालयो में फ्यूजन की पाठशाला के नाम से वित्तीय साक्षरता अभियान चलाया जा रहा था जिसका समापन पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह के साथ हुआ। आशीर्वाद (इंडिया) फाउन्डेशन के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में टिहरी डोब नगर इंटर कॉलेज, श्री देव सुमन इंटर कॉलेज पथरी के छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया और विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार जीते। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत सदस्य जयंत चौधरी, विशिष्ट अतिथि के रूप में धर्मेन्द्र चौहान, योगेश कुमार, विपिन कुमार, बलवंत सिंह पंवार उपस्थित रहे,समारोह का संचालन आशीर्वाद (इंडिया) फाउन्डेशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य बी बी पंत ने फ्यूजन माइक्रो फाईनेंस कम्पनी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि  इस प्रकार के अभियानो से बच्चों की प्रतिभाओ का विकास होता है उन्हें नई जानकारी मिलती है जो उनके भावी जीवन में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते है। इस अवसर पर प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।


गुरूकुल महाविद्यालय बचाओ आंदोलन

गुरु कुल बचाओ आंदोलन को मिल रहा है पूर्व स्नातको का समर्थन
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गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति को समर्थन देने के लिए पहुंचे आचार्य हनुमत प्रसाद(अध्यक्ष आर्य महासंघ)एवं आर्ष गुरुकुल टटेसर दिल्ली के संचालक ने कहा कि वह गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के स्नातक हैं इसलिए उनका दायित्व बनता है कि जब उनकी मातृ संस्था संकट की घड़ियों से गुजर रही है तो उसमें वह जिस काबिल हैं, यथायोग्य सहयोग करेंगे । उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर गुरुकुल महाविद्यालय की भूमि पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा । इसके लिए उन्होंने युवाओं को प्रेरित कर दिया है और आवश्यकता पड़ने पर वह दिल्ली एवं अन्य प्रदेशों के युवाओं को भी आंदोलन के लिए कहेंगे । आगे कहा कि गुरुकुल हमारे युवाओं की धरोहर है इसमें हमारे युवाओं के चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण की शिक्षा दी जाती है । और जीवन जीने की कला सिखाई जाती है ।इसलिए गुरुकुल को कभी भी बंद नहीं होने दिया जाएगा । आगे कहा कि उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक इसको बंद करके यहां कृषि विश्वविद्यालय बनाने का सपना देख रहे हैं उन्हें कामयाब नहीं होने दिया जाएगा । वह पूरे उत्तराखंड में कहीं और कृषि विश्वविद्यालय बना सकते हैं गुरुकुल महाविद्यालय में केवल और केवल ब्रह्मचारीयों का निर्माण किया जाएगा । कैबिनेट मंत्री को सुधरने की नसीहत देते हुए कहा कि यदि मदन कौशिक अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ एक विशाल आंदोलन किया जाएगा एवं उनके घर के आगे धरना दिया जाएगा । उन्होंने सरकार से मांग की ऐसे भ्रष्ट मंत्री को तत्काल मंत्री पद से हटाकर उनकी सीबीआई जांच सुनिश्चित करे । जिससे कि उनके काले कारनामे जनता के पटल पर आ सकें। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सरकार में रहते हुए सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं, और विकास के नाम पर कुछ भी कार्य नहीं कर रहे । ऐसे धोखेबाज मंत्री को सरकार तत्काल बर्खास्त करे । 
गुरुकुल 
महाविद्यालय ज्वालापुर के मुख्य अधिष्ठाता बलवंत सिंह चौहान ने कहा कि विरोधियों द्वारा जो देव स्थान और देवी स्थान तोड़ने की बात कही जा रही है वह सरासर गलत है  विरोधी स्वयं आकर के देवस्थान तोड़के चले गए और उन्होंने भ्रामक प्रचार कर डाला । सूचना मिलने पर विरोधियों को यहां से खदेड़ा भी  गया । उन्होंने बताया कि देवस्थान पूरी तरीके से सुरक्षित है उसको किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने दी जाएगी । विरोधियों द्वारा जो उसे तोड़ने की साजिश रची गई थी उसे विफल कर दिया गया है । कभी भी आ करके कोई भी निरीक्षण कर सकता है ।संचालन अंकित आर्य एडवोकेट ने तथा अध्यक्षता स्वामी विजयपाल सिंह ने की। 
स्वामी यज्ञमुनि संयोजक, स्वामी अग्निवेश कानपुर, 
सचिन शास्त्री ध्रुव आर्य अमन आर्य महेश आधे अमरजीत शिवम आर्य रोहित सागर संजीव, आदि मुख्य रुप से उपस्थित रहे।


वीर सावरकर जी को शत शत नमन

पुण्यतिथि पर शत शत नमन             


*हिन्दी और हिन्दुत्व प्रेमी वीर सावरकर*


वीर विनायक दामोदर सावरकर दो आजन्म कारावास की सजा पाकर कालेपानी नामक कुख्यात अन्दमान की सेल्युलर जेल में बन्द थे। वहाँ पूरे भारत से तरह-तरह के अपराधों में सजा पाकर आये बन्दी भी थे। सावरकर उनमें सर्वाधिक शिक्षित थे। वे कोल्हू पेरना, नारियल की रस्सी बँटना जैसे सभी कठोर कार्य करते थे। इसके बाद भी उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं।


भारत की एकात्मता के लिए हिन्दी की उपयोगिता समझकर उन्होंने खाली समय में बन्दियों को हिन्दी पढ़ाना प्रारम्भ किया। उन्होंने अधिकांश बन्दियों को एक ईश्वर, एक आत्मा, एक देश तथा एक सम्पर्क भाषा के लिए सहमत कर लिया। उनके प्रयास से अधिकांश बन्दियों ने प्राथमिक हिन्दी सीख ली और वे छोटी-छोटी पुस्तकें पढ़ने लगे। 


अब सावरकर जी ने उन्हें रामायण, महाभारत, गीता जैसे बड़े धर्मग्रन्थ पढ़ने को प्रेरित किया। उनके प्रयत्नों से जेल में एक छोटा पुस्तकालय भी स्थापित हो गया। इसके लिए बन्दियों ने ही अपनी जेब से पैसा देकर ‘पुस्तक कोष’ बनाया था।


जेल में बन्दियों द्वारा निकाले गये तेल, उसकी खली-बिनौले तथा नारियल की रस्सी आदि की बिक्री की जाती थी। इसके लिए जेल में एक विक्रय भण्डार बना था। जब सावरकर जी को जेल में रहते काफी समय हो गया, तो उनके अनुभव, शिक्षा और व्यवहार कुशलता को देखकर उन्हें इस भण्डार का प्रमुख बना दिया गया। इससे उनका सम्पर्क अन्दमान के व्यापारियों और सामान खरीदने के लिए आने वाले उनके नौकरों से होने लगा।


वीर सावरकर ने उन सबको भी हिन्दी सीखने की प्रेरणा दी। वे उन्हें पुस्तकालय की हिन्दी पुस्तकें और उनके सरल अनुवाद भी देने लगे। इस प्रकार बन्दियों के साथ-साथ जेल कर्मचारी, स्थानीय व्यापारी तथा उनके परिजन हिन्दी सीख गये। अतः सब ओर हिन्दी का व्यापक प्रचलन हो गया। 


सावरकर जी के छूटने के बाद भी यह क्रम चलता रहा। यही कारण है कि आज भी केन्द्र शासित अन्दमान-निकोबार द्वीपसमूह में हिन्दी बोलने वाले सर्वाधिक हैं और वहाँ की अधिकृत राजभाषा भी हिन्दी ही है।


अन्दमान में हिन्दू बन्दियों की देखरेख के लिए अंग्रेज अधिकारियों की शह पर तीन मुसलमान पहरेदार रखे गये थे। वे हिन्दुओं को अनेक तरह से परेशान करते थे। गालियाँ देना, डण्डे मारना तथा देवी-देवताओं को अपमानित करना सामान्य बात थी। 


वे उनके भोजन को छू लेते थे। इस पर अनेक हिन्दू उसे अपवित्र मानकर नहीं खाते थे। उन्हें भूखा देखकर वे मुस्लिम पहरेदार बहुत खुश होते थे। सावरकर जी ने हिन्दू कैदियों को समझाया कि राम-नाम में सब अपवित्रताओं को समाप्त करने की शक्ति है। इससे हिन्दू बन्दी श्रीराम का नाम लेकर भोजन करने लगे; पर इससे मुसलमान पहरेदार चिढ़ गये। 


एक बार एक पहरेदार ने हिन्दू बन्दी को कहा - काफिर, तेरी चोटी उखाड़ लूँगा। हिन्दू बन्दियों का आत्मविश्वास इतना बढ़ चुका था कि वह यह सुनकर पहरेदार की छाती पर चढ़ गया और दोनों हाथों से उसे इतने मुक्के मारे कि पहरेदार बेहोश हो गया। 


इस घटना से भयभीत होकर उन पहरेदारों ने हिन्दू बन्दियों से छेड़छाड़ बन्द कर दी। कारागार में मुसलमान पहरेदार हिन्दू बन्दियों को परेशानकर मुसलमान बना लेते थे। सावरकर जी ने ऐसे सब धर्मान्तरितों  को शुद्ध कर फिर से हिन्दू बनाया।


हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान के प्रबल समर्थक वीर विनायक दामोदर सावरकर का देहावसान 26 फरवरी, 1966 को हुआ था।


 


व्यपार मंडल

व्यापारियों की समस्याओं का त्वरित गति से कराया जायेगा निदान : सुरेश गुलाटी


व्यापारियों ने बैठक कर लिया अपर मेलाधिकारी से मिलने का निर्णय


व्यापार मण्डल को तोड़ने वाली शक्तियों का विरोध करेंगे व्यापारी


हरिद्वार, 26 फरवरी। हरिद्वार के व्यापारियों ने व्यापार मण्डल के जिला अध्यक्ष सुरेश गुलाटी व शहर अध्यक्ष कमल बृजवासी के संयोजन में वरिष्ठ व्यापारी नेता महाराज कृष्णसेठ की अध्यक्षता में अपर रोड स्थित होटल में बैठक कर व्यापारियों की समस्याओं व आगामी कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं पर विचार-विमर्श किया। 
इस अवसर पर जिला अध्यक्ष सुरेश गुलाटी ने कहा कि व्यापारियों की समस्याओं का त्वरित गति से निदान कराया जायेगा। आगामी कुम्भ में व्यापारियों को न्यूनतम परेशानी हो तथा उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सके, इस संदर्भ में कल अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह से भेंटकर उन्हें व्यापारियों की समस्याओं से अवगत कराया जायेगा। 
सुरेश गुलाटी ने कहा कि व्यापार मण्डल में फूट डालने का प्रयास सफल नहीं होगा। व्यापारियांे की भावनाओं के अनुरूप ही व्यापार मण्डल में एकता कायम हुई थी जो लोग व्यापार मण्डल को कमजोर करने का काम कर रहे हैं हरिद्वार का व्यापारी ऐसी शक्तियों का विरोध करेगा।
वरिष्ठ व्यापारी नेता महाराजकृष्ण सेठ व विजय शर्मा ने कहा कि जब तीर्थनगरी में महाकुम्भ दस्तक दे रहा है। व्यापार मण्डल के जिम्मेदार नेताओं को व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए ऐसे में आम व्यापारी को बरगलाने वाली शक्तियां व्यापार मण्डल को कमजोर करने का काम कर रही हैं।
व्यापार मण्डल के शहर अध्यक्ष कमल बृजवासी ने कहा कि शहर व्यापार मण्डल द्वारा नगर के प्रत्येक क्षेत्र में इकाईयों का विधिवत गठन किया जा रहा है तथा गठन पूर्ण होने के पश्चात शहर व्यापार मण्डल का चुनाव कराया जायेगा। व्यापारियों की समस्याओं के निदान के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में बृहस्पतिवार को अपर मेला अधिकारी से व्यापारियों का प्रतिनिधि मण्डल भेंटकर मेला प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत करायेगा। 
वरिष्ठ व्यापारी नेता व पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि आगामी महाकुम्भ में करोड़ों श्रद्धालु समूचे देश-दुनिया से तीर्थनगरी में पधारेंगे जिससे हरिद्वार के व्यापारियों का व्यापार बढ़ेगा। व्यापार मण्डल व मेला प्रशासन के बेहतर समन्वय से ही आगामी महाकुम्भ निर्विघ्न सम्पन्न होगा जिसके लिए व्यापार मण्डल मेला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर सहयोग करेगा। व्यापार मण्डल का प्रयास रहेगा कि हरिद्वार के व्यापारी को व्यवस्था के नाम पर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े। 
शहर व्यापार मण्डल के महामंत्री राजीव पाराशर व प्रदीप कालरा ने कहा कि हरिद्वार का व्यापारी एकजुट होकर अपनी समस्याओं के निदान के लिए प्रयासरत है। फूट डालनी वाली ताकतों को हरिद्वार का व्यापारी कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।   
बैठक का संचालन शहर व्यापार मण्डल के महामंत्री प्रदीप कालरा ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से वरिष्ठ व्यापारी नेता महाराजकृष्ण सेठ, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, विनित जौली, कमल बृजवासी, प्रदीप कालरा, विजय शर्मा, राजीव पाराशर, सूर्यकान्त शर्मा, नागेश वर्मा, संदीप शर्मा, मुकेश भार्गव, गोपाल तलवार, गौरव सचदेवा, राजेश पुरी, अरूण राघव, गोपाल प्रधान, राजन सेठ, हेमन्त, संगीत मदान, बलकेश राजौरिया समेत अनेक व्यापारी उपस्थित रहे।


मैडिकल कैम्प

निर्मल संतपुरा आश्रम में आयोजित किया गया निःशुल्क मैडिकल कैम्प


हरिद्वार  26 फरवरी ,ऋषिकुल परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा एक दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा परामर्श एवं जागरूकता अभियान का आयोजन निर्मल संतपुरा आश्रम कनखल हरिद्वार में किया गया।शिविर का शुभारंभ निर्मल संतपुरा आश्रम ट्रस्ट समिति अध्यक्ष जगजीत सिंह जी महाराज एवं शरण्य फाउंडेशन संरक्षक श्री दीपचंद द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। डॉ प्रियंका शर्मा स्वस्थवृत विभाग द्वारा बच्चों को योग कराया गया। शिविर में आंख नाक कान व गला जांच डा अरुण कुमार,स्त्री प्रसूति रोग डॉ हेम प्रकाश,बाल रोग डॉ सुषमा गुंसाई द्वारा किया गया।शिविर में 170 बच्चो का स्वास्थ्य परीक्षण कर निःशुल्क दवाई दी गई एवं स्वस्थ रहने के उपाय बताए गए। शिविर में डॉ आवेश डॉ अर्चना डॉ प्रीति डॉ सुजाता डॉ दीपिका डॉ प्रीति अग्रवाल डॉ नेहा गुप्ता रेखा एवं सुनीता इत्यादि ने सहयोग प्रदान किया। संतपुरा स्कूल प्राचार्य एवं ट्रस्ट समिति सदस्यों द्वारा टीम ऋषिकुल का आभार व्यक्त किया गया।


ठेकेदार की लापरवाही, बनी मुश्किलों का सबब

भूमिगत बिजली लाईन के कार्य में बरती जा रही है लापरवाही : अनिरूद्ध भाटी
बीटीएल कर्मी व पेटी कॉन्ट्रैक्टर की हठधर्मिता से मुखिया गली, आदर्श नगर, शेर गली में खराब हुई दर्जनों स्ट्रीट लाईट
मुख्य नगर आयुक्त व अधिशासी अभियन्ता को ज्ञापन देकर की समस्या के निदान की मांग


हरिद्वार, 26 फरवरी। तीर्थनगरी में यूपीसीएल की देखरेख में निजी कम्पनी द्वारा भूमिगत बिजली लाईन डालने का कार्य किया जा रहा है। निजी कम्पनी व पेटी कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही से क्षेत्रवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संदर्भ में क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी के नेतृत्व में पार्षदों ने मुख्य नगर आयुक्त व अधिशासी अभियन्ता को ज्ञापन देकर समस्याओं के तत्काल निदान की मांग की है। 
पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि कार्यदायी कम्पनी की लापरवाही के चलते जगह-जगह मिट्टी के ढेर लगे हैं। अफसोसजनक स्थिति यह है कि केबल डालने का कार्य बिना किसी नियोजन व सम्बन्धित विभागों के तालमेल के अभाव में किया जा रहा है। जिसके चलते कहीं सीवर की लाईन तो कहीं पानी की लाईन क्षतिग्रस्त हो रही है। वार्ड नं. 3 दुर्गानगर, भूपतवाला में निजी कम्पनी ने मानकों को ताक पर रखकर पेटी कॉन्ट्रैक्टर को खुदाई व पाईप लाईन डालने का कार्य सौंप दिया है। कुशल इंजीनियरों के अभाव में अनुभवहीन पेटी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा लापरवाही से कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते पहले सर्वानन्द घाट के सामने पानी की राइजिंग लाईन क्षतिग्रस्त हुई थी। तो अब मुखिया गली की अनेक संकरी ब्रांच गलियों में हुई खुदाई से सड़क बैठ गयी है तथा गड्ढों के चलते क्षेत्रवासियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। जगह-जगह हुए गड्ढे बच्चों व वृद्धजनों के लिए खतरे का सबब बन गये हैं। मुखिया गली, दुर्गानगर में अनेक स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिये गये हैं। साथ ही पेटी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा विद्युत लाईन में कटिया डालकर कार्य किया जा रहा है। विगत सप्ताह पेटी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा कटिया डालने से हुए शॉट सर्किट के चलते मुखिया गली, आदर्श नगर व शेर गली में दर्जनों स्ट्रीट लाईट खराब हो गयी है। जिसके चलते क्षेत्रवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गलियों में अंधेरा होने के चलते गड्ढे परेशानी का सबब बने हुए हैं। कहीं मिट्टी के ढेर लगे हैं तो कहीं पानी की लाईन में लीकेज हो रही है। उक्त संदर्भ में कार्यदायी कम्पनी व पेटी कॉन्ट्रैक्टर की लापरवाही क्षेत्रवासियों के लिए दुर्घटना व परेशानी का सबब बन गयी है। 
अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि उन्होंने प्रयास कर मुखिया गली, शेर गली, आदर्श नगर व पावन धाम मार्ग पर दर्जनों स्ट्रीट लाईट लगवायी थी। पेटी कॉन्ट्रैक्टर ने विद्युत लाईन में छेड़छाड़ की जिसके चलते क्षेत्र की अधिकांश स्ट्रीट लाईट खराब हो गयी है। उन्हांेने एमएनए से इस संदर्भ में त्वरित की मांग करते हुए कहा कि शीघ्र ही निम्न समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो क्षेत्र की जनता भूपतवाला में इस प्रकार का अराजक कार्य नहीं होने देगी तथा गैर जिम्मेदार निजी कम्पनी के खिलाफ प्रचण्ड आन्दोलन किया जायेगा। 
एमएनए नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने आश्वासन दिया कि वह इस संदर्भ में तुरन्त भूमिगत बिजली लाईन का कार्य कर रही कम्पनी के अधिकारियों से वार्ता कर समस्याओं का समाधान करवायेंगे। 
इस अवसर पर पार्षद विनित जौली, नेपाल सिंह, राजेन्द्र कटारिया, अर्जुन सिंह चौहान, निशा नौडियाल, राकेश नौडियाल, सूर्यकान्त शर्मा, अमित गुप्ता, हंसराज आहूजा, नीरज शर्मा, गगन यादव, अनुपम त्यागी, संदीप गोस्वामी, सुखेन्द्र तोमर, जनेश्वर त्यागी, आदर्श पाण्डेय, मुकेश महंत, आशू आहूजा, रूपेश शर्मा, सुनील सैनी समस्त अनेक भाजपा कार्यकर्त्ता व क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।


गौरवशाली है अखंड भारत का इतिहास

हमे अधूरा इतिहास ही अब तक पढाया गया 


देश के किसी कोने से आवाज आती रहती है कि मुसलमानो ने 800 साल राज किया। तो चलिए हम भी मराठो की विजयगाथा बताकर  इनका भ्रम तोड़ते है। 


सबसे पहले मराठो की उत्पत्ति आसान भाषा मे जानिए। श्री राम ने लक्ष्मण के पुत्र अंगद को मध्य और पश्चिम में शासन करने हेतु भेजा। अयोध्या के पूर्व सम्राट रघु ने महाराष्ट्र से असुरो को भगाया था। महाराष्ट्र में एक वीर क्षत्रिय जाति उभरी कालांतर में यही जाति मराठा कहलायी।


चौथे पांडव नकुल ने भी महाराष्ट्र से ही शासन संभाला और देवगिरी की स्थापना की, बाद में देवगिरी पर यदुवंशियों ने शासन किया। इस तरह आप कह सकते है कि मराठे सूर्य, चंद्र और यदुवंशियों की ही संतान है।


मगर इन्होंने 1674 तक मराठा नाम से कभी राज नही किया, महाराष्ट्र में मुस्लिम सत्ता आ चुकी थी। शिवाजी महाराज ने मराठो को संगठित किया और रघुकुल राज की हुंकार भरते हुए मराठा साम्राज्य की नींव रखी। शिवाजी महाराज ने वीरता के साथ मुगलो से मुकाबला किया, जब उनकी मृत्यु हुई उस समय उनके पास 300 किले थे।


महाराणा प्रताप के पास मृत्यु के समय मात्र 12 किले थे। 12 किले वाले महाराणा प्रताप इतनी बड़ी हस्ती है तो 300 किले वाले शिवाजी कितने बड़े राजा थे इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है।


शिवाजी के बाद संभाजी राजा बने, संभाजी ने इन सो कॉल्ड 800 साल वालो से 170 युद्ध किये और सब मे विजयी हुए। मगर मुगलो की असली धज्जियां उड़ाई महान पेशवा श्री बाजीराव बल्लाड भट ने। 


बाजीराव ने देश के सारे सुल्तानों को मिट्टी में मिला दिया और सन 1737 में दिल्ली पर हमला किया, पेशवा विजयी रहे। 800 साल राज करने वाला मुगल बादशाह लाल किले के तहखाने में छिप गया और 3 दिन चूहे की तरह दुबका रहा।


इसके बाद 1756 में मुगल बादशाह आलमगीर खुद पेशवा के पास आया और बोला की महाराज मुझसे तो दिल्ली संभल नही रही, अब्दाली बार बार मुझे पीट कर जा रहा है। मुझे अब्दाली से मुक्ति दिलाओ। पेशवा नाना साहेब को दया आयी भीख देने उन्होंने अपने भाई राघोबा को दिल्ली भेजा।


राघोबा अपने पिता बाजीराव से आगे निकले, उन्होंने दिल्ली को पूरी तरह आजाद किया और ये 800 साल वालो को आज के पाकिस्तान के आखिरी छोर तक  तक घुसकर मारा। गैंग - 800 साल में राघोबा का खौफ इतना था कि यदि घोषणा हो जाती राघोबा आ रहे है तो गाँव के गाँव खाली हो जाते थे।


राघोबा ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और मुगल बादशाह को अपना गुलाम कहकर गद्दी पर बैठाया। इस तरह 800 साल राज करने वाले मुगल मराठो के गुलाम बन गए और इनका राज खत्म हो गया। इसके बाद 800 साल वालो पर सिखों ने हमला किया।


तो फिर से ये लोग मराठो के पैरों में गिरे, इस बार ग्वालियर के महाराज महादजी सिंधिया ने इन्हें बचाया। 1803 तक हमारे क्षत्रिय मराठे 800 साल वालो को गुलाम बनाकर दिल्ली पर राज करते रहे और अंत मे अंग्रेजो से हार गए। 1803 से 1857 तक 800 साल वाले अंग्रेजो के भी गुलाम रहे।


अब चलिये मराठो के पहले क्या था उस पर भी बात करते है, 1192 में 800 साल वाले दिल्ली में आये मगर दक्षिण भारत को 1565 तक नही जीत पाये, जब भी जीतने गए विजयनगर साम्राज्य के अन्ना लोगो ने इन्हें इडली सांभर के साथ मसलकर खाया। 1565 में विजयनगर साम्राज्य डूब गया तब इनका दक्षिण भारत पर कब्जा हुआ, मगर मैसूर के यदुवंशियों ने इन्हें मेदुवडे के साथ फ़्राय कर दिया और इस तरह ये कभी पूरे हिंदुस्तान पर एक साथ राज नही कर सके।


अब कृपया गणित में महारत रखने वाला कोई विद्यार्थी बताए कि मैं किस शर्म से कहु की भारत ने 800 साल इनकी गुलामी झेली। 800 साल का मुस्लिम राज मन की कोरी कल्पना है, किसी हिन्दू को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नही है। यदि इनमें ताजमहल बनाने की कूबत होती तो ऐसी रचना पहले अरब या कुवैत में बन चुकी होती।


जब भी कोई मुगल के 800 साल की बात करे तो आप मराठो और विजयनगर का अध्याय छेड़ दीजिये, उसे दिल्ली के प्रथम और द्वितीय युद्ध की याद दिलाये अगली बार दिखाई नही देगा।


दो बाते अधिकतर वामपंथियों के मुँह से सुनने को मिलती है पहली यह कि मुगलो ने 800 साल राज किया दूसरी यह कि 800 साल राज करने के बाद भी हिन्दू धर्म खतरे में नही आया और आज भी हिन्दू बहुसंख्यक है। इनकी झूठी दलीलों से भटकने की जरूरत नहीं है खुद अवलोकन कीजिये 


पहली बात मुगलो ने 800 साल कभी राज नही किया, हाँ 1192 में दिल्ली को मुहम्मद गौरी ने जीत लिया था मगर दिल्ली और संपूर्ण भारत में अंतर है, अकबर और औरंगजेब के अलावा कोई मुस्लिम शासक लंबे समय तक दिल्ली या आगरा पर राज ना कर सका। हाँ यह राज उन्होंने काबुल कांधार पर किया, सिंध और लाहौर पर लंबे समय तक राज किया अब कोई वामपंथी बताये की पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आखिर कितने हिन्दू बचे???


मतलब यह कि मूल भारत मे उन्हें इस्लाम फैलाने का मौका ही नही मिला, कोई भी मुस्लिम शासक ज्यादा समय राज नही कर सका और जितना किया वो भी डर डरकर क्योकि मंगोलो और दूसरे राज्यो के आक्रमण लगातार होते रहे ऐसे में इस्लाम फैलाने की फुरसत कैसे??? और दूसरा जो मुस्लिम शासकों को था वो यह कि हिन्दुओ पर अत्याचार हिन्दुओ को उनका विरोधी ना बना दे या हिन्दू मंगोलो के साथ ना मिल जाये इसीलिए इल्तुतमिश, रज़िया और बलबन जैसे मुस्लिम शासकों ने हिन्दुओ से हाथ मिलाया। 


बाबर 1526 में भारत आया और 1530 में मर गया इन चार सालों में उसने 4 बड़े युद्ध किये अब उसे इस्लाम फैलाने का समय नही मिला, यही हाल हुमायूं का हुआ, अकबर ने इस्लाम फैलाने की पूरी कोशिश की मगर बाद में उसने दीन ए इलाही धर्म अपना लिया इसलिए उसके राज के 48 वर्ष धरे के धरे रह गए। जहाँगीर और शाहजहां वैभव और विलास में डूब चुके थे उनके काल मे अंग्रेज और फ्रांसीसी घुस आए मगर उन्हें नर्तकियों से फुर्सत नहीं मिली। 


औरंगजेब जब तक बादशाह बना तब तक उत्तर में सिखों का और दक्षिण में मराठाओ का उदय हो चुका था, औरंगजेब ने 50 साल राज किया मगर 25 से ज्यादा वर्ष उसे मराठाओ और दक्षिणी राजवंशो से लड़ने में लग गए। औरंगजेब की मौत के बाद तो जब पेशवाओ ने हमले शुरू किये तब मुगलो को भागते देर नही लगी। 


सबसे पहले गुजरात मराठाओ के कब्जे में आया बड़ौदा को राजधानी बनाया गया, जूनागढ़ के नवाब ने बड़ौदा के गायकवाड़ राजा के आगे हथियार डाल दिये और आश्वासन दिया कि उसके नवाब रहते किसी हिन्दू को परेशान नहीं किया जाएगा। 


यही मध्यप्रदेश में हुआ दक्षिण से होल्कर और उत्तर से सिंधिया ने एक साथ हमला किया भोपाल को छोड़कर पूरा मध्यप्रदेश मराठा साम्राज्य में मिल गया, भोपाल का नवाब घिर चुका था यदि हिन्दुओ के साथ कुछ करता तो सिंधिया या होल्कर से युद्ध को आमंत्रित करता। राजस्थान में भी राजपूतों ने एकता दिखानी शुरू की और एक एक करके सारे साम्राज्य आज़ाद होते गए। 


कश्मीर पर हिन्दुओ का आधिपत्य हुआ, जालंधर और पटियाला सिखों के हाथ आ गए। पूर्वी भारत मे छोटे छोटे राजवंशो में चिंगारी भड़क उठी, सिर्फ पूर्वी बंगाल शेष रह गया जो आज बांग्लादेश बन चुका है। इस तरह मुगलो का सफाया पूरे भारत से हुआ।


इसीलिए यदि कोई आपसे कहे कि मुगलो ने 800 साल राज किया और फिर भी आज हिन्दू 100 करोड़ है तो उसे आईना दिखाने में परहेज ना कीजिये, मुगलो का पतन मराठा, राजपूत, जाट और सिख एकता का परिणाम था। हमारे पूर्वजों ने कठिन युद्ध करके इस देश पर भगवा फहराया है, भारत के अंदर मुगलो को मौका नही मिला इसलिये आज यहाँ हिन्दू बहुसंख्यक है। 


जहाँ मुगलो को मौका मिला वो जगह (ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश) तो आज इस देश के नक्शे में है भी नही, हिन्दुओ की तो पूछो ही मत। मुगलो की किस्मत अच्छी थी कि जब हिन्दू जागे तब तक ब्रिटिश अंदर घुस आए और जल्दबाजी में झक मारकर दिल्ली के सिंहासन पर बैठे बहादुर शाह जफर को बादशाह बनाना पड़ा। 


यदि अंग्रेज 50 साल की देर और करते तो मुगलो का नाम भी आज इस देश मे नही मिलता।


फेसबुक पर सबसे ज्यादा लिखी जाने वाली भारतीय भाषा हिन्दी ही है। 


 हिन्दी के मुद्दे पर एक कन्नड़ भाषी मित्र ने आपत्ति जताई वो यह की हिन्दी लागू करके दक्षिण भारतीयों की पहचान छीनी जाएगी, मैंने पूछा कैसे तो उनका उत्तर संतोषजनक था. उन्हें आपत्ति है की दक्षिण के इतिहास को पूरी तरह नकार दिया जाता है, आप कब तक पंडित नेहरू को दोष देकर संतुष्ट हो जाओगे की उन्होंने असली इतिहास छिपा दिया, लेकिन फेसबुक और व्हाट्सअप पर खुद हिंदूवादी ही दक्षिण को महत्व नहीं देते. 


खिलजियों के खिलाफ मेवाड़ से भी बड़ी जंग तमिलनाडु के पांड्य वंश ने लड़ी थी ज़ब मालिक काफूर ने हमला किया था मगर कितने हिंदूवादी इसकी चर्चा करेंगे?? पंडित नेहरू के दादा परदादा ये थे वो थे इस बकवास के लिए पूरा अध्ययन करेंगे मगर अपने ही देश का एक राजवंश जिसने 800 वर्ष दक्षिण भारत को बचाया उसके बारे मे एक लाइन नहीं लिखेंगे.


उनका कहना है हम श्री राम का सम्मान करते है मगर शेष भारत किष्किंधा (वर्तमान मे कर्नाटक) की मदद को नजरअंदाज करता है, सुग्रीव अंगद जामवंत जो कि कन्नड़ भाषियों के पूर्वज है इनकी कही कोई ज्यादा चर्चा नहीं होती?? क्या राम किष्किंधा की मदद लिये बिना लंका जीत सकते थे?? कृष्ण देव राय ने बहमनी सल्तनत के 5 टुकड़े कर दिए थे।


कुछ भी कहो बन्दे की बात मे दम था. ये बात सही है की हमें प्रांतवाद से ऊपर उठ जाना चाहिए ।
 वैसे मै खुद हिन्दीभाषी हु मगर ये एक कटु सत्य है की दक्षिण के इतिहास और संस्कृति को जमकर नकारा गया है. दक्षिण की ऐसी कई जातियाँ है जो क्षत्रिय है मगर आज क्षत्रिय शब्द महज राजपूत का पर्यायवाची बनकर रह गया. जबकि राजपूत क्षत्रिय वर्ण का अंगमात्र है.


जिस अखंड भारत का सपना आप बुन रहे है उसकी नींव मुस्लिम विरोध पर नहीं हिन्दू एकता पर टिकेगी. हिन्दू एकता तब ही संभव है ज़ब आप पुरे देश को साथ लेकर चलेंगे. यदि आप हल्दीघाटी मे युद्धरत महाराणा प्रताप की प्रशंसा करते है साथ ही दिल्ली के विजेता पेशवा बाजीराव  पर भी गर्व कर सकते हैं। 


आप महाराणा सांगा का गुणगान तो करते है मगर कृष्णदेव राय जो बहुत शक्तिशाली थे और बहमनी सल्तनत से लड़ रहे थे, उनका योगदान भी महत्वपूर्ण है। भारत का शौर्य सिर्फ राजस्थान तक नहीं है पंजाब, कर्नाटक,  बंगाल और महाराष्ट्र की भी अपनी भूमिकाये है. ये 21वी सदी का भारत है यहाँ आपको जाति या प्रान्त का मोह छोड़कर समूचे भारत का इतिहास पढ़ना होगा. अन्यथा अखंड भारत की थ्योरी को हिन्दू तालिबान का रूप देने मे कुछ पार्टियां देरी नहीं करेंगी


दश भक्त जापानी

जापान के एक छोटे से


शहर की एक जूता बनाने वाली कम्पनी में एक बार वहाँ के कर्मचारी अपनी कम्पनी के मालिक से किसी बात पर नाराज हो गए और उन्होंने मालिक के खिलाफ हड़ताल करने का निश्चय किया, जापान एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ का एक-एक व्यक्ति इस बात का बहुत ध्यान रखता है कि उसकी वजह से देश को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान न हो, वो पूरी दुनिया में अपनी टेक्नोलोजी और अपनी देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं, चाहे वह कितने भी नाराज हों पर कभी कोई ऐसा काम नहीं करते जिससे उनके देश को जरा सा भी नुकसान पहुचे, अब कम्पनी के कर्मचारियों ने यह निर्णय लिया कि जब तक कंपनी का मालिक उनकी बात नहीं मान लेता वह हड़ताल पर रहेंगे, लेकिन साथ ही मेहनती और देश के प्रति उनकी वफादार होने की वजह से वह खाली भी नहीं बैठ सकते थे तो उन्होंने निर्णय लिया की जबतक हड़ताल है वह कंपनी में केवल जूते के जोड़े के एक तरफ का जूता ही बनाएंगे, तो उन्होंने सिर्फ दाएं पैर का जूता बनाना शुरू कर दिया कंपनी में हड़ताल चलने के बावजूद कार्य चल रहा था और साथ ही मालिक का व्यापार रुक गया था तो इस प्रकार वो सब खाली भी नहीं थे और मालिक को अपनी शक्ति का अहसास भी करा रहे थे अंततः मालिक को अपने कर्मचारियों की बात माननी पड़ी और उसी वक्त बिना किसी देर के जूतो का दूसरा हिस्सा भी बनना शुरू हो गया ।


हम हमेशा यह तुलना करते हैं कि जापान हमसे अधिक टेक्नोलोजी में आगे है, अमेरिका का डॉलर हमसे ज्यादा मजबूत है, रूस हमसे ज्यादा शक्तिशाली है, चीन का सामान हमारे देश में अधिक मिलता है, पर हम उनके लोगों की देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने की कोशिश नहीं करते, हम सिर्फ अपने अधिकारों की बात करते हैं पर जब बात अपने कर्तव्यों की आती है तो वो सिर्फ सरकार के होते हैं ।


देश हमारा है
अधिकार हमारा है
तो जिम्मेदारी भी हमारी ही है


जय हिंद जय भारत


ओलो से फसल बर्बाद

 


किसानों को मिलेगा मुवावजा:-निशंक 


ग्रामीण क्षेत्र के गांव जमालपुर गड़ोवली बहादरपुर जट फेरूपुर रामखेड़ा  कटारपुर चांदपुर रानी माजरा शाहपुर आदि गांव में रात हुई ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों से ग्राम फेरूपुर रामखेड़ा गांव में प्रभावित किसान की मीटिंग की और उनकी समस्याओं को सांसद प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह चौहान ने  सुना मौके पर जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर विकास यादव से फोन पर बात की मौके पर तहसीलदार आशीष गिंडियाल  पहुंचे जिन्होंने खेतों में जाकर नुकसान का जायजा लिया और लोगों को आश्वस्त किया ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा उन्होंने बताया कि सभी पटवारियों को क्षेत्र में नुकसान की गणना करने के लिए लगा दिया गया है मौके पर सांसद प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह चौहान ने किसानों को कहा कि जो ओलावृष्टि से हानि हुई है वह बहुत ही दुखद है जिसे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जल्द से जल्द मुआवजा दिलाया जाएगा मौके पर किसानों में मांगेराम सैनी राज सिंह सैनी  कुलदीप सैनी धरमजीत भाग्य पंकज सैनी विजयपाल चौहान वीरेंद्र प्रताप सिंह वीर सिंह चौधरी योगराज चौहान प्रधान मोलहड़ सिंह राणा सोमलाल कश्यप सोमबीर जानी, फौजीसैनी अजित चौहान सुभाष चौहान राजकुमार चौहान आदि किसान उपस्थित रहे


कविता

कविता


निर्दोषो का खून बहाना
किसी के लिए भी ठीक नही
मेहमान के आगे हिंसा फ़ैलाना
मेजबान होकर ठीक नही
गांधी नेहरू का यह देश है
हिंसा यहां बर्दाश्त नही
सुहागनों को विधवा बनाना
इंसान होकर ठीक नही
हक अगर चाहिए आपको
अदालत से गुहार लगाओ
कानूनी लड़ाई लड़कर
अदालत से अपना हक पाओ
हक के लिए कानून तोडना
किसी के लिए भी ठीक नही
सड़कों पर उधम मचाना
किसी के लिए भी ठीक नही।
-----श्रीगोपाल नारसन


मेरी गौरैया

डा  पंकज  कौशिक 
मेरी गौरैया  
चूं - चूं -चूं  / चीं - चीं -चीं - करके /  
 करती भोर  का आगाज़/
 मेरी  गौरैया । 
स्वरों  के गीत खूब सुनाती/ 
फिर  मुझे  जागती /  
 मेरी  गौरैया । 
सुबह  होते  ही  आँगन में  /
फुदक - फुदक  कर  शोर  मचाती / 
 मेरी  गौरैया । 
दादी  माँ  की  नज़रों  से लुका - छिपी 
करती / 
 मेरी गौरैया । 
 दिनभर मंदिर /मस्जिद / गुरूद्वारे / गिरजाघर  पर / 
जाकर  बैठती - फुर्र- फुर्र - फुर्र  - उड़कर 
 मेरी  गौरैया । 
भंडारे / जलसा /  लंगर /रोजा  का 
 खाना खूब शौक  से खाती 
 मेरी  गौरैया । 
धर्म - जाति - पाति - भेदभाव  भूलाकर / सबको 
 मिलाती /  मेरी गौरिया । 
सबको हंसाती /आँख- मिचौली   खेलती/
 मेरी  गौरैया ।
बुआ जी  गौरैया  के पंख  रंगती  फिर  से /
फुर्र आकाश  में उड़ जाती /
 मेरी  गौरैया । 
शाम  होते  ही  घर की छोरी लाडली झुंडों  से /
रंग बिरंगी  खोज  लाती / 
 मेरी गौरैया ।
दददा  की थाली   से चीं - चीं - चू -चूं  करके रोटी  मांगती / 
 मेरी  गौरैया ।    
कल्लू / राधे / नदीम / गुरुप्रीत  / चच्चा / चाचे / चाचा 
 बाहों  पर फुदक - फुदक कर  मस्ती  करती 
 मेरी  गौरैया । 
गाँव / शहर / चौराहे  की गलियों   में झुण्ड के झुण्ड  दिखाई देते  /
 मेरी गौरैया । 
आज  मम्मी - पापा के सामने  लुप्त  होती  /
  मेरी  गौरैया।  
 दादी  की आखों  पर लगा चश्मा खोजता / 
मेरी  गौरैया ।   
भोला/  सुलतान / मनप्रीत / जेकब 
 की  कहाँ  गुम  हो गयी  ? / 
 मेरी  गौरैया । 
 वैज्ञानिकों  के शोध  का  विषय  बनती / 
 मेरी  गौरैया । 
अखबारों  के अभियानों  की सुर्खियां  बन रही / 
  मेरी  गौरैया ।


मुस्कान फाउंडेशन का निःशुल्क नेत्र चिकित्सा कैम्प

मुस्कान फाउंडेशन के तत्वाधान में आज फेरूपुर में निशुल्क नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। संस्था की अध्यक्ष नेहा मालिक ने बताया कि शिविर में 155 व्यक्तियों ने अपने नेत्रों की जांच कराई एवं 10 व्यक्तियों को मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए जॉली ग्रांट ले जाया गया।
     डॉ ज्योत्स्ना मेहरोत्रा ने जौलीग्रांट से आई डॉक्टर टीम में डॉक्टर नीतीश भारद्वाज, मनोज जी ,ममता असरानी जी ,जगदीश विरमानी जी, फेरूपुर के प्रधान जी  का धन्यवाद  किया।


स्वर्ण कौन है

पार्षद अनिल  मिश्रा जी के सौजन्य से 


सवर्ण कौन है?
सामान्य कौन है? 


आओ बताता  हूँ .... मनरेन्द्र मोदी जी ध्यान से सुनना ...


सवर्ण (General Category) कौन हैं ?


जिस व्यक्ति पर एट्रोसिटी_एक्ट 89 के तहत बिना इन्क्वारी के भी कार्यवाई की जा सकती है,वो सवर्ण है‼


जिसको जाति सूचक शब्द इस्तेमाल करके बेखौफ गाली दी जा सकती है, वो सवर्ण है‼


देश में आरक्षित 131 लोकसभा सीटो और 1225 विधानसभा सीटो पर चुनाव नही लड़ सकता है, लेकिन वोट दे सकता है, वो सवर्ण है‼


जिसके हित के लिए आज तक कोई आयोग नही बना, वो सवर्ण है‼


जिसके लिए कोई सरकारी योजना न बनी हो,
वो सवर्ण है‼


जिसके साथ देश का संविधान भेदभाव करता है, वो सवर्ण है‼


मात्र जिसको सजा देने के लिए NCSC और NCST का गठन किया गया वो सवर्ण है‼


मात्र जिसे सजा देने के लिए हर जिले में विशेष SCST न्यायालय खोले गए हैं, वो अभागा सवर्ण है‼


जो स्कूल में अन्य वर्गों के मुकाबले चार गुनी फीस दे कर अपने बच्चों को पढाता है, वो बेसहारा सवर्ण है‼


नौकरी, प्रमोशन, घर allotment आदि में जिसके साथ कानूनन भेदभाव वैध है वो बेचारा सवर्ण है‼


सरकारों व सविधान द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाने वाला सवर्ण है‼


सबसे ज्यादा वोट देकर भी खुद को लुटापिटा ठगा सा महसूस करने वाला सवर्ण है‼


सभाओं में फर्श तक बिछा कर एक अच्छी सरकार की चाह में आपको सत्ता सौंपने वाला सवर्ण है ‼


देश हित मे आपका तन मन धन से साथ देने वाला सवर्ण है‼


इतने भेदभाव के बावजूद भी,
धर्म की जय हो,अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो,विश्व का कल्याण हो की भावना जो रखता है,वो सवर्ण है‼


सबका साथ सबका विकास में हमारी स्थिती क्या है ? विचार अवश्य करें‼


समस्त सवर्ण परिवारों की तरफ से भारत सरकार को समर्पित ...


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