भगवान पुर में राहत कार्य

भगवानपुर के लोकप्रिय नेता सुबोध राकेश ने दिया जरूरतमंदो को राहत और राशन 


*भगवानपुर*31 मार्च (कमल नामदेव वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा भगवान पुर)      । प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने करीब 200 गरीब लोगों को खाना एवं राशन वितरित किया है। मंगवलार को भगवानपुर स्थित रविदास मंदिर में ऐसे लोग जो कपनियों में कार्य एवं गरीब लोग 200 को खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने कहा कि मानवता की सेवा करना सबसे पुण्य का कार्य हैं। उन्होंने कहा कि इस घड़ी में सभी को अपने-अपने पास गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए। सभी को संकल्प लेना चाहिए कि आपके आसपास कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा ना रहे।  प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने लोगों से लाॅकडाउन का पालन करने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सभी सुरक्षा के मद्देनजर पीएम मोदी ऐसे सख्त कदम उठा रहे हैं। इस मौके पर मोकम सिंह सभासद, नीरज कुमार, संजीव कुमार, रोहित कुमार, कंवरपाल सिंह, रणधीर सिंह, मांगेराम पंडित,छोटा सिंह, बबलू मास्टर उर्फ़ ब्रह्मपाल इत्यादि लोग उपस्थित रहे


लाक डाउन राष्ट्र हित में

माता-पिता की सेवा व नव दुर्गा की आराधना से होगा कोरोना वायरस का नाश : भक्त दुर्गादास


नवरात्रों में प्रधानमंत्री का लाक डाउन फैसला देशहित में


हरिद्वार। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की महामारी से जहां समूचा विश्व पीड़ित है तो वहीं भारत भी इस पीड़ा से अछूता नहीं है ऐसे में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लॉक डाउन करने का फैसला  देशहित में बड़ा ही सराहनीय कदम जिससे लाखों लोगों की जान बच गई है।  लॉक डाउन व मां नव दुर्गा की पूजापाठ ओर माता पिता की सेवा हमे  इस महामारी से बचाएगा। उक्त उद्गार वह तो हरिद्वार की प्रख्यात संस्था सिद्ध पीठ गुफा श्री वैष्णो देवी लाल माता मंदिर भूपतवाला के प्रबंधक भक्त दुर्गादास ने कहे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले की  से प्रशंसा करता हूँ मैं क्या पूरा देश  उनके इस फैसले का आदर करता है। इन दिनों जगत जननी माँ दुर्गा के नवरात्र भी चल रहे है। पहली बार ऐसा हुआ होगा जब पूरे देश  में लाक डाउन के कारण मंदिरों के दरवाज़े बंद है। इसे माँ शेरांवाली का सन्देश ही समझना चाहिए क़ि हमें सबसे पहले अपने  घर में अपने माता पिता की सेवा करनी चाहिये। प्रकृति आज हमसे नाराज है हम अपने माता पिता का साथ छोड़कर अलग अलग जीवन जी रहे थे, माता रानी ने ये जो समय हमें दिया है इस समय का सदुपयोग करे और अपने परिवार और खास तौर पर घर पर जो माँ है उसको  पूजे। भकत दुर्गादास ने कहा कि माँ दुर्गा कभी ये नहीं चाहती की उन्हें खुश करने क लिये कीमती भेंट चड़ाई जाए। माँ तो हमेशा अपने भक्तो के दिल में रहना चाहती है। आज बहुत से गरीब और भूखे प्यासे इस महामारी की वजह से बेघर हो गए है जो सक्षम है उनकी मदद करने आगे आये। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि घर पर अपनी माँ की सेवा पहले करे क्योकि जिसने माता पिता की सेवा कर ली उसे कभी कोई बीमारी नही लगती। हमारे शास्त्रों में भी यही लिखा है  इसलिये ईश्वर की तरफ से यह अवसर जो मिला है  उसका पूरा सम्मान करें। माता पिता की सेवा करने से ही कष्टों से दूरी मिलेगी।                


सरकार एक वर्ष का रोड टैक्स करे माफ:-सरदार डी एस मान


  • भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय ने ट्रास्पोर्ट्स को राहत दे कर किया मानवीय कार्य :-सरदार डी एस मान 

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  • आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस  ने किया सरकार के निर्णय का स्वागत 

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  • हरिद्वार  31 मार्च  आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस के कार्यकारिणी सदस्य सरदार डी एस मान ने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के द्वारा ट्रास्पोर्ट्स को लैसेस, परमिट, इंश्योरेंस, आदि में दी गई समयावधि की छूट का स्वागत करते हुए केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया साथ ही आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलतारन सिंह अठवाल और उनकी कमेटी के सदस्यों के प्रयासों के लिए आभार प्रकट किया, उन्हों ने कहा कि ट्रास्पोर्ट्स की समस्याओं को सरकार तक पहुँचने का कार्य आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस  करती हैं विगत दिनों जो सरकार ने निर्णय लिये है उसका सारा श्रेय  आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस को जाता है। सरदार डी एस मान ने प्रदेश और केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार वाहनों  का  एक वर्ष का रोड टैक्स, इंश्योरेंस माफ करे तथा राहत पैकेज दे कर देश के ट्रास्पोर्ट्स उद्योग को इस संकट से उबारे, उन्हों ने समस्त ट्रास्पोर्ट्स एसोशिएसन से एक हो कर राष्ट्र हित में कार्य करने  का आह्वान किया।


आत्मावलोकन का मार्ग है एकांत

अकेलापन और एकांत 


                         डा0 एस के कुलश्रेष्ठ 


          'अकेलापन' इस संसार में
              सबसे बड़ी सज़ा है.!
                   और 'एकांत'
              सबसे बड़ा वरदान.!



         ये दो समानार्थी दिखने वाले
                 शब्दों के अर्थ में
        आकाश पाताल का अंतर है।


 
         अकेलेपन में छटपटाहट है,
               एकांत में आराम.!



          अकेलेपन में घबराहट है,
                 एकांत में शांति।



             जब तक हमारी नज़र
                 बाहरकी ओर है
                   तब तक हम
        अकेलापन महसूस करते हैं.!



                   जैसे ही नज़र
              भीतर की ओर मुड़ी,
                     तो एकांत
            अनुभव होने लगता है।



           ये जीवन और कुछ नहीं,
                       वस्तुतः
        अकेलेपन से एकांत की ओर
                एक यात्रा ही है.!



               ऐसी यात्रा जिसमें,
                रास्ता भी हम हैं,
              राही भी हम हैं और
            मंज़िल भी हम ही हैं.!!


                                            
घर में अकेलापन नहीं अपनापन है इसका आनंद लीजिए


               राम राम जी🙏🙏


ढ़ढेरा मे मानवीय कार्य

समाजसेवीयो ने ढंढेरा मे जरूरतमंदो को बाँटा भोजन और राशन 


 रूडकी 31 मार्च (अनिल लोहानी संवाददाता गोविंद कृपा रूडकी)  भारतीय संस्कृति मानवता का एक अद्भुत उदाहरण हैl प्राचीन काल से लेकर आज तक जब कभी भी देश पर किसी विपत्ति की परछाई पड़ी , तो देश के लोग एकजुट होकर पीड़ितों की सहायता के लिए  स्वयं ही आगे  निकल पड़े l इसका एक उदाहरण हमारे क्षेत्र ढंडेरा में रेलवे स्टेशन के निकट, वहां के निवासियों ने एक पहल शुरू करते हुए उत्तराखंड से अपने क्षेत्र को पलायन करने वाले लोगों को एवं क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को, किसी प्रकार की कठिनाई का सामना ना करना पड़े इस दृष्टिकोण से उनमें भोजन का वितरण किया जा रहा है तथा उनके घरों में आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही हैl यह कार्य यह लोग अपनी सामाजिक मूल्यों का निर्वाहन करते हुए बिना किसी से सहायता लिए स्वयं धनराशि इकट्ठा करके  सामान लाकर ,स्वयं भोजन बनाकर या कच्चा भोजन जैसे आटा ,चावल दाल लोगों के घर तक पहुंचा रहे हैंl इसमें जब लोगों से पूछा गया तो जानकर बड़ा दुख हुआ, कि लोग पंजाब, हिमाचल, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से लाइन की पटरी के किनारे निरंतर चल कर अपने घर जाने का प्रयास कर रहे हैं l पर यहां यह भी एक संतोषजनक बात है कि रास्ते में गांव वालों ,पुलिस वालों तथा सामाजिक संस्थाओं ने उनके भोजन की उचित व्यवस्था कर रखी थीl गोविंद कृपा परिवार श्री हरीश कुमार जी ,दीपक चिप्पा, राजीव तिवारी जी, गोविंद सिंह जी, हर्ष प्रसाद काला, राजेंद्र रावत जी ,दीवान सिंह जी माजिद भाई, नसीम भाई , देवेंद्र जोशी, पांडे जी के द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम का स्वागत करती हैl


चौधरी ट्रेवल्स का अजय चौधरी पहुँचा जेल


  • चौधरी ट्रेवल्स के अजय चौधरी पहुँचें जैल, धोखाधड़ी कर बसो से गैरकानूनी तरीके से मजदूरों को भेज रहा था बंगाल 

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  • हरिद्वार 31 मार्च  (गगन नामदेव संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)  राष्ट्रीय आपदा के समय भी देश और समाज के दुश्मन अपनी तिजोरीयां भरने में लगे हुए हैं कोई राशन की कालाबजारी कर रहा है तो कोई फर्जी पास के बहाने लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है ऐसे ही समाज के दुश्मन चौधरी ट्रेवल्स के मालिक सेक्टर 2 ,टिहरी विस्थापित कालोनी निवासी अजय चौधरी पुत्र विरेन्द्र सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर फर्जी पास  के जरिए मजदूरों को अपनी बसो से बंगाल भेजने की कोशिश करते हुए पकड कर जैल भेज दिया। समाजसेवी, संजय वर्मा, विरेन्द्र शर्मा, हरिश शर्मा, गोविंद कृपा सेवा समिति धर्मार्थ ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने शासन प्रशासन की कर्तव्य निष्ठा, तत्परता की प्रशंसा करते हुए पुलिस की कार्यवाही का स्वागत किया। गोविंद कृपा सेवा समिति की अध्यक्ष अनीता वर्मा ने शासन प्रशासन से राशन की कालाबजारी करने वाले राशन डीलरो,दुकानदारो के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही करने की मांग करते हुए कहा कि जमाखोर, और खाद्यान्न की कालाबजारी करने वाले समाज और राष्ट्र के दुश्मन है जो लोगों को तो परेशान कर ही रहे हैं साथ ही सरकार और प्रशासन की छवि भी खराब कर रहे हैं।


भ्रष्ट राशन डीलर को सिखाया सबक

जेपी बडोनी और लखन लाल चौहान ने लगवाया प्रदीप अग्रवाल सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान संचालक के यहां पूर्ति निरीक्षक का छापा😯😯😯😯😯😯😯😯😯😯=========================!===== आज सुबह जेपी बडोनी और पूर्व पार्षद लखन लाल चौहान ने हिल बाईपास रोड स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान जोकि प्रदीप अग्रवाल  द्वारा संचालित होती है राशन वितरण में अनियमितताओं की शिकायत इनके दुर्व्यवहार की शिकायत कम ्युनिटी देने की शिकायत धंटतोली देने की शिकायत वह राशन कार्ड जिससे गरीबों को राशन मिलता है दो टाइम का भोजन नसीब होता है उसको यह सड़क पर फेंक देते हैं गुस्से में आकर इन सब की शिकायत लोगों द्वारा जनप्रतिनिधि और जन सेवकों को की गई जन सेवकों द्वारा कई बार इनको समझाया गया परंतु यह व्यक्ति सुधरने का नाम नहीं ले रहा था ज्ञात रहे कि प्रदीप अग्रवाल कांग्रेश के बड़े नेताओं द्वारा बरदस्त प्राप्त होने की बात बार-बार करता है परंतु  जनसेवाको और सामाजिक कार्यकर्ता के आगे उनकी एक नहीं चली और लंबी बहस जो की पूर्ति निरीक्षक लखन लाल चौहान जेपी बडोनी और प्रदीप अग्रवाल के बीच हुई उसी बहस के दौरान पूर्ति निरीक्षक ने उनको अपना धर्म याद दिलाया और इस संकट की घड़ी में सख्त हिदायत ओं के साथ उनको चेतावनी दी कि अगर आपने जन सहयोग नहीं किया तो किसी भी दिन आकर आप की दुकान पर सी़ल लगा दूंगी और लाइसेंस को निरस्त कर दूंगी तब प्रदीप अग्रवाल ने सभी उपभोक्ताओं से साथ ही हमारे जनप्रतिनिधियों और पूर्ति निरीक्षक से हाथ जोड़कर माफी मांगी और भविष्य में किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आएगी इस का आश्वासन दिया


डाक्टर है मानवता के रक्षक

👷👮विश्व के सच्चे रक्षक👷👮


वो विश्व के सच्चे रक्षक है,जँहा कोरोना बन कर आया दुनिया का भक्षक जँहा कोरोना  मसूमो को अपना शिकार बना रह है, वंही ये रक्षक उस पीड़ित योद्धा का उत्साह जगा रह है,मूरत ईश्वर की मंदिरो मस्जिदों  में सजी है,वही हर एक जान की आस हमारे सच्चे रक्षकों से जगी है,कंही एक जवान का बेटा उसे घर से जाने से रोकता है,कंही डॉक्टर अपनी जान की परवाह किये बगैर अपने जीवन को उस मौत के साये में झोंकता है,इस महामारी ने तो इंसान को इंसान से अलग कर दिया,इंसनीयत थी ही कंहा पहले जो अब फ़ाशले का दायरा और ज्यादा भर दिया,कंही पहले हालचाल पूछ लिया करते थे, उसकी खैर खबर भी हर किसी को दे दिया करते थे,वंही अब इस न दिखने वाले भक्षक ने सब कुछ कर दिया तबाह,अब किसके यँहा जाए जो दे एक पल के लिये अपने घर मे पनाह,वो माशूम आँखे एक पिता को इतना कमजोर बनाती थी, मगर देश रक्षा का जज्बा उसे नया सार दिखाती थी, वो छोड़ अपने बच्चों को जब फर्ज पर निकलते थे,वो सीने पर रख कर हाथ धीरे धीरे सम्भलते थे,सन्तान प्रेम और  परिवार ने उस पर कई बंदिशें लगाई, मगर राष्ट्र प्रेम और पीड़ित योद्धाओं की जंग में उसने सच्ची भूमिका निभाई,वो ईश्वर के अवतार है जो देश के जनता की नफरत को भी सह लेते है, प्रेम से हँसकर उन्हें भी दो बोल कह देते है,उन्हें अपनी इंसनीयत के आगे बस एक जान दिखती है, आज विस्व नत्मस्तक है इन रक्षकों के आगे जो एक नई पहल सीखती है🙏🚩🙏🚩🙏🚩🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳


तुलसी दास का विश्वास

#प्रसंगवश


श्रद्धा और भक्ति एक दूसरे की पूरक है


बहुत_सुँदर_कथा 🙏
एक पंडित जी  रामायण कथा सुना रहे थे।  लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। पंडित जी का नियम था रोज कथा शुरू  करने से पहले "आइए हनुमंत जी  बिराजिए" कहकर हनुमान जी का आह्वान करते थे, फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे।वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्तिभाव पर एक दिन तर्कशीलता हावी हो गई।
 उन्हें लगा कि महाराज रोज "आइए हनुमंत जी बिराजिए" कहते हैं तो क्या हनुमान जी सचमुच आते होंगे!


अत: वकील साहब ने पंडित जी से पूछ ही डाला- महाराज जी, आप रामायण की कथा बहुत अच्छी कहते हैं।
 हमें बड़ा रस आता है परंतु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं उसपर क्या हनुमान जी सचमुच बिराजते हैं?


पंडित जी  ने कहा… हाँ यह मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो हनुमान जी अवश्य पधारते हैं। 


वकील ने कहा… महाराज ऐसे बात नहीं बनेगी। 
हनुमान जी यहां आते हैं इसका कोई सबूत दीजिए । 
आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि हनुमान जी आपकी कथा सुनने आते हैं।


महाराज जी ने बहुत समझाया कि भैया आस्था को किसी सबूत की कसौटी पर नहीं कसना चाहिए यह तो भक्त और भगवान के बीच का प्रेमरस है, व्यक्तिगत श्रद्घा का विषय है । आप कहो तो मैं प्रवचन करना बंद कर दूँ या आप कथा में आना छोड़ दो।


लेकिन वकील नहीं माना, वो कहता ही रहा कि आप कई दिनों से दावा करते आ रहे हैं। यह बात और स्थानों पर भी कहते होंगे,इसलिए महाराज आपको तो साबित करना होगा कि हनुमान जी कथा सुनने आते हैं।


इस तरह दोनों के बीच वाद-विवाद होता रहा।
 मौखिक संघर्ष बढ़ता चला गया। हारकर पंडित जी महाराज ने कहा… हनुमान जी हैं या नहीं उसका सबूत कल दिलाऊंगा।
कल कथा शुरू हो तब प्रयोग करूंगा।


जिस गद्दी पर मैं हनुमानजी को विराजित होने को कहता हूं आप उस गद्दी को आज अपने घर ले जाना। 
कल अपने साथ उस गद्दी को लेकर आना और फिर मैं कल गद्दी यहाँ रखूंगा।
मैं कथा से पहले हनुमानजी को बुलाऊंगा, फिर आप गद्दी ऊँची उठाना। 
यदि आपने गद्दी ऊँची कर दी तो समझना कि हनुमान जी नहीं हैं। वकील इस कसौटी के लिए तैयार हो गया।


पंडित जी  ने कहा… हम दोनों में से जो पराजित होगा वह क्या करेगा, इसका निर्णय भी कर लें ?.... यह तो सत्य की परीक्षा है।


 वकील ने कहा- मैं गद्दी ऊँची न कर सका तो वकालत छोड़कर आपसे दीक्षा ले लूंगा।
 आप पराजित हो गए तो क्या करोगे? 
पंडित जी  ने कहा… मैं कथावाचन छोड़कर आपके ऑफिस का चपरासी बन जाऊंगा।


अगले दिन कथा पंडाल में भारी भीड़ हुई जो लोग रोजाना कथा सुनने नहीं आते थे,वे भी भक्ति, प्रेम और विश्वास की परीक्षा देखने आए। 
काफी भीड़ हो गई। 
पंडाल भर गया। 
श्रद्घा और विश्वास का प्रश्न जो था।


पंडित जी  महाराज और वकील साहब कथा पंडाल में पधारे... गद्दी रखी गई।
पंडित  जी ने सजल नेत्रों से मंगलाचरण किया और फिर बोले "आइए हनुमंत जी बिराजिए" ऐसा बोलते ही पंडित जी  के नेत्र सजल हो उठे ।
 मन ही मन पंडित जी  बोले… प्रभु ! आज मेरा प्रश्न नहीं बल्कि रघुकुल रीति की पंरपरा का सवाल है।
 मैं तो एक साधारण जन हूँ।
 मेरी भक्ति और आस्था की लाज रखना।


फिर वकील साहब को निमंत्रण दिया गया आइए गद्दी ऊँची कीजिए। 
लोगों की आँखे जम गईं । 
वकील साहब खड़े हुए।
उन्होंने गद्दी उठाने के लिए हाथ बढ़ाया पर गद्दी को स्पर्श भी न कर सके ! 


जो भी कारण रहा, उन्होंने तीन बार हाथ बढ़ाया, किन्तु तीनों बार असफल रहे।


पंडित  जी देख रहे थे, गद्दी को पकड़ना तो दूर वकील साहब गद्दी को छू भी न सके।
 तीनों बार वकील साहब पसीने से तर-बतर हो गए।


 वकील साहब पंडित जी महाराज के चरणों में गिर पड़े और बोले महाराज गद्दी उठाना तो दूर, मुझे नहीं मालूम कि क्यों मेरा हाथ भी गद्दी तक नहीं पहुंच पा रहा है।


अत: मैं अपनी हार स्वीकार करता हूँ।          
कहते है कि श्रद्घा और भक्ति के साथ की गई आराधना में बहुत शक्ति होती है। मानो तो देव नहीं तो पत्थर।


प्रभु की मूर्ति तो पाषाण की ही होती है लेकिन भक्त के भाव से उसमें प्राण प्रतिष्ठा होती है तो प्रभु बिराजते है।


🙏💞 श्री राम जी की जय.....💞🙏
🙏🙏जय बजरंगबली की.....🙏🙏


रामायण के प्रसारण से होगा देश का मंगल


  • °●°
             *कांग्रेस ने तो पूरा ज़ोर लगा दिया था कि रामायण TV पर प्रसारित न हो पर अन्त में सत्य की ही जीत हुई*
                🙏🏻🔅🙏🏻
          कहानी १९७६ में शुरू हुई। फ़िल्म निर्माता~निर्देशक रामानंद सागर अपनी फिल्म 'चरस' की शूटिंग के लिए स्विट्जरलैंड गए। एक शाम वे पब में बैठे और रेड वाइन ऑर्डर की। वेटर ने वाइन के साथ एक बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स टेबल पर रख दिया। रामानंद ने कौतुहल से इस बॉक्स की ओर देखा। वेटर ने शटर हटाया और उसमें रखा टीवी ऑन किया।
               रामानंद चकित हो गए क्योंकि जीवन मे पहली बार उन्होंने रंगीन टीवी देखा था। इसके पांच मिनट बाद वे निर्णय ले चुके थे कि अब सिनेमा छोड़ देंगे... और 
                    अब उनका उद्देश्य प्रभु राम, कृष्ण और माँ दुर्गा की कहानियों को टेलेविजन के माध्यम से लोगों को दिखाना होगा। 


        भारत मे टीवी १९५९ में शुरू हुआ। तब इसे टेलीविजन इंडिया कहा जाता था। बहुत ही कम लोगों तक इसकी पहुंच थी।
         १९७५ में इसे नया नाम मिला "दूरदर्शन"  तब तक ये दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता तक सीमित था, जब तक कि १९८२ में एशियाड खेलों का प्रसारण सम्पूर्ण देश मे होने लगा था। १९८४ में 'बुनियाद' और 'हम लोग' की आशातीत सफलता ने टीवी की लोकप्रियता में और बढ़ोतरी की। 


          इधर रामानंद सागर उत्साह से रामायण की तैयारियां कर रहे थे। लेकिन टीवी में प्रवेश को उनके साथी आत्महत्या करने जैसा बता रहे थे। सिनेमा में अच्छी पोजिशन छोड़ टीवी में जाना आज भी फ़िल्म मेकर के लिए आत्महत्या जैसा ही है।
           रामानंद इन सबसे अविचलित अपने काम मे लगे रहे। उनके इस काम पर कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं हुआ। 


            जैसे-तैसे वे अपना पहला सीरियल 'विक्रम और वेताल' लेकर आए। सीरियल बहुत सफल हुआ। हर आयुवर्ग के दर्शकों ने इसे सराहा। यहीं से टीवी में स्पेशल इफेक्ट्स दिखने लगे थे। विक्रम और वेताल को तो दूरदर्शन ने अनुमति दे दी थी लेकिन रामायण का कांसेप्ट न दूरदर्शन को अच्छा लगा, न तत्कालीन कांग्रेस सरकार को। यहां से रामानंद के जीवन का दुःखद अध्याय शुरू हुआ। 


         दूरदर्शन "'रामायण'" दिखाने पर सहमत था किंतु तत्कालीन कांग्रेस सरकार इस पर आनाकानी कर रही थी। दूरदर्शन अधिकारियों ने जैसे~तैसे रामानंद सागर को स्लॉट देने की अनुमति सरकार से ले ली। ये सारे संस्मरण रामानंद जी के पुत्र प्रेम सागर ने एक किताब में लिखे थे। तो दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में रामायण को लेकर अंतर्विरोध देखने को मिल रहा था। 
          सूचना एवं प्रसारण मंत्री बीएन गाडगिल को डर था कि ये धारावाहिक न केवल हिन्दुओं में गर्व की भावना को जन्म देगा अपितु तेज़ी से उभर रही भारतीय जनता पार्टी को भी इससे लाभ होगा।  हालांकि राजीव गांधी के हस्तक्षेप से विरोध शांत हो गया। 


         इससे पहले रामानंद को अत्यंत कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। वे दिल्ली के चक्कर लगाया करते कि दूरदर्शन उनको अनुमति दे दे लेकिन सरकारी घाघपन दूरदर्शन में भी व्याप्त था। घंटों वे मंडी हाउस में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतज़ार करते। कभी वे अशोका होटल में रुक जाते, इस आस में कि कभी तो बुलावा आएगा। एक बार तो रामायण के संवादों को लेकर डीडी अधिकारियों ने उनको अपमानित किया। 
           ये वहीं समय था जब रामानंद सागर जैसे निर्माताओं के पैर दुबई के अंडरवर्ल्ड के कारण उखड़ने लगे थे। दुबई का प्रभाव बढ़ रहा था, जो आगे जाकर दाऊद इंडस्ट्री में परिवर्तित हो गया। 


           १९८६ में श्री राम की कृपा हुई। अजित कुमार पांजा ने सूचना व प्रसारण का पदभार संभाला और रामायण की दूरदर्शन में एंट्री हो गई। 
    २५ जनवरी १९८७ को ये महाकाव्य डीडी पर शुरू हुआ। ये दूरदर्शन की यात्रा का महत्वपूर्ण बिंदु था। दूरदर्शन के दिन बदल गए। राम की कृपा से धारावाहिक ऐसा हिट हुआ कि रविवार की सुबह सड़कों पर स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू लगने लगा। 


            इसके हर एपिसोड पर एक लाख का खर्च आता था, जो उस समय दूरदर्शन के लिए बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। राम बने अरुण गोविल और सीता बनी दीपिका चिखलिया की प्रसिद्धि फिल्मी कलाकारों के बराबर हो गई थी। दीपिका चिखलिया को सार्वजनिक जीवन मे कभी किसी ने हाय~हेलो नही किया। उनको सीता मानकर ही सम्मान दिया जाता था। 


           अब नटराज स्टूडियो साधुओं की आवाजाही का केंद्र बन गया था। रामानंद से मिलने कई साधु वहां आया करते। एक दिन कोई युवा साधु उनके पास आया। उन्होंने ध्यान दिया कि साधु का ओरा बहुत तेजस्वी है। 
              साधु ने कहा वह हिमालय से अपने गुरु का संदेश लेकर आया है। तत्क्षण साधु की भाव~भंगिमाएं बदल गई। वह गरज कर बोला ' तुम किससे इतना डरते हो, अपना घमंड त्याग दो। तुम रामायण बना रहे हो, निर्भिक होकर बनाओ। तुम जैसे लोगों को जागरूकता के लिए चुना गया है। हिमालय के दिव्य लोक में भारत के लिए योजना तैयार हो रही है। अतिशीघ्र भारत विश्व का मुखिया बनेगा।'


        आश्चर्य है कि रामानंद जी को अपने कार्य के लिए हिमालय के अज्ञात साधु का संदेश मिला। आज इतिहास पुनरावृत्ति कर रहा है। उस समय जनता स्वयं कर्फ्यू लगा देती थी...
              आज कोरोना ने लगवा दिया है। उस समय दस करोड़ लोग इसे देखते थे, कल इससे भी अधिक देखेंगे। उन करोड़ों की सामूहिक चेतना हिमालय के उन गुरु तक पुनः पहुंच सकेगी। शायद फिर कोई युवा साधु चला आए और 
           हम कोरोना से लड़ रहे इस युद्ध मे विजयी बन कर उभरे। कल चले राम बाण, और कोरोना का वध हो         🔅🔱🔅
       🚩जय सियाराम जी🚩
                  🙏🏻🏵️🙏🏻


स्वामी यतीश्वरा नंद ने किया राशन वितरित


  • *स्वामी यतीश्वरानंद ने बटवाई राहत सामग्री*
    गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक और हरिद्वार ग्रामीण के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने कोरोना वायरस के चलते राहत सामग्री वितरित कराई । *अंकित आर्य एडवोकेट (प्रतिनिधि/लीगल एडवाईजर) विधायक हरिद्वार ग्रामीण* ने बताया की माननीय विधायक जी द्वारा इस राहत सामग्री की किट को तैयार कराया गया है । जिसमें आटा दाल चावल नमक इत्यादि भोजन की वस्तुएं हैं। जिससे जनता को विशेष लाभ मिलेगा । उन्होंने बताया कि इस महामारी से निपटने के लिए माननीय विधायक जी अपने क्षेत्र में सभी आवश्यक व्यक्तियों की सुरक्षा एवं सहायता के लिए नित्यप्रति सहयोग के कार्य कर रहे हैं।और पात्रों को आव्यश्यक वस्तुए उपलब्ध कराना विधायक जी की प्राथमिकता रहेगी। क्षेत्र के साथ गुरुकुल में भी सामग्री का भी वितरण किया गया 
    इस दौरान मुख्य रूप से अंकित आर्य एडवोकेट, विश्वजीत आर्य प्रभात चौहान, नितिन चौहान, रवी आर्य, योगेंद्र, हरिप्रसाद, जोगिंदर,इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित रहे


श्याम कृष्ण जी वर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि

॥क्रान्तिकारी आन्दोलन के जनक कहे जाने वाले *श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा* का उनकी पुण्यतिथि(30 मार्च) पर श्रद्धापूर्ण स्मरण॥(पवन आर्य, मिर्ज़ा पुर, हरिद्वार) 
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स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रिय शिष्य थे श्याम जी कृष्ण वर्मा :-नरेंद्र मोदी 


30 मार्च 1930 को जिनेवा के एक अस्पताल में वे अपना नश्वर शरीर त्यागकर चले गये। उनका शव अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के कारण भारत नहीं लाया जा सका और वहीं उनकी अन्त्येष्टिकर दी गयी। 
वर्मा जी का दाह संस्कार करके उनकी अस्थियों को जिनेवा की सेण्ट जॉर्ज सीमेट्री में सुरक्षित रख दिया गया। 


*22 अगस्त 2003 को भारत की स्वतन्त्रता के 55 वर्ष बाद* गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्विस सरकार से अनुरोध करके जिनेवा से श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत मँगाया। 


बाद मे 16 फरवरी 2016 को अपने इस योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था:- "कुछ लोगो ने धर्म को नष्ट करने की बहुत कोशिश की पर *महर्षि दयानंद सत्यार्थ प्रकाश के रूप में* वो कार्य कर गए की 30 नहीं 40 नहीं हजारो क्रन्तिकारी खड़े कर दिए और धर्म को भी जिन्दा बचाये रखा । *स्वामी जी ने अपने शिष्य श्याम जी कृष्णा वर्मा को विदेश भेज कर विदेश नीति न सिखने को कहा होता तो हम आजाद नहीं हो पाते।"*


 


*दरअसल वे स्वामी दयानन्द के प्रिय शिष्य मे से एक थे।* 18 वर्ष की उम्र मे वे स्वामी दयानंद द्वारा चलाए जा रहे वेद प्रचार आंदोलन के संपर्क मे आए।


इंग्लैण्ड में भारत के लिए जितनी क्रांति हुई वह श्याम जी कृष्ण वर्मा के ‘‘इण्डिया हाउस’’ से ही हुई।यूरोप में इन्होंने होमरूल सोसायटी की स्थापना की थी। उक्त सोसायटी द्वारा *उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयों को जो अंग्रेजों की नौकरी नहीं करने का वचन देते थे, उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी। स्वातन्त्र्य वीर सावरकर और लाला हरदयाल ने उक्त छात्रवृत्ति प्राप्त कर क्रान्तिकारी आन्दोलन को नई दिशा प्रदान की।*


श्यामजी_कृष्ण_वर्मा


कच्छ जाने वाले सभी देशी विदेशी पर्यटकों के लिये उनके जन्म स्थान पर गुजरात सरकार द्वारा विकसित माण्डवी का क्रान्ति-तीर्थ एक उल्लेखनीय पर्यटन स्थल बन चुका है।


पर दुख है की भारत की जनता अपने इस नायक को भूलाती जा रही है।आज हमने उनकी याद कराने का एक छोटा से प्रयास किया।भारत माता की जय ,वैदिक धर्म की जय 


कृपया ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।


*ऋषि दयानंद का सैनिक*
🚩🔥🌹


मोदी टिफिन से भूखो को मिला भोजन


गरीब जरूरतमंदो को वितरित किये मोदी टिफिन 


भगवान पुर  30 मार्च(कमल नामदेव वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा भगवान पुर)   भगवानपुर नगर मंडल में गरीब बस्तियों एवं बेसहारा लोगों के लिए मोदी टिफन का वितरण किया गया जिसमें नगर मंडल की टीम में मंडल महामंत्री कमल वर्मा जी मीडिया प्रभारी सुनील शर्मा जी अंकुश शर्मा जी संजय बजरंगी जी मुनीर आलम संदीप जी और बघेल जी लाल बहादुर जी आदि लोगों का बहुत सहयोग रहा और नगर मंडल की टीम लगातार निस्वार्थ भाव से बेसहारा एम गरीब लोगों की सेवा कर रही है


मतलब की ये दुनिया सारी

ताश के पत्तों की तरह ढह गया शहरी सिस्टम
----------------------------------------------- पुष्कर सिंह रावत वरिष्ठ पत्रकार मेरठ3,
लॉकडाउन के बीच सड़कों पर उमड़ा ये हुजूम बहुत कुछ कहता है। ऐसा नहीं कि इन लोगों को बीमारी का खौफ नहीं है। कोरोना के कहर से वाकिफ होने के बावजूद ये लोग भारी भीड़ की शक्ल में सड़कों पर हैं। दरअसल, ये वही लोग हैं जिन्होंने हमारे तुम्हारे शहरों को अपने हाथों से बनाया है तराशा है। साबित हो गया कि शहर किसी का नहीं होता। कल तक ये लोग ऊंची इमारतों को आकार दे रहे थे। कारखानों में खुद को झोंके हुए थे। इनके हाथ और कंधे सिर्फ मजदूरी नहीं कर रहे थे, बल्कि हमारे पूरे अर्थ तंत्र को थामे हुए थे। 
पल भर में ही इनका भरोसा उठ गया। जिसकी बहुत सी वाजिब वजहें हैं। सामान्य हालात में वो बातें नजर नहीं आती। मसलन, शहरों का सिस्टम सिर्फ लेन देन पर टिका है। सामाजिक संरचना बाहर से जैसी भी दिखे, भीतर से खोखली है। जो लोग मीलों दूर शहर में उम्मीदों के साथ पूरी जिंदगी खपाने आते हैं, उन्हें 21 दिन यहां रहने का भरोसा भी नहीं दिलाया जा सका। अब सीधे तौर पर समाज दो वर्गों में बंटा हुआ दिख रहा है। एक वो जो बीमारी के खौफ से खुद को बचाने के घरों में कैद है। दूसरा वो जो मरने के लिए अपनों के पास जाना चाहता है। लेकिन याद रखना होगा कि अगर हालात और खराब हुए तो शहर से और भी हुजूम सड़कों पर निकल जाएंगे। उनमें हम और तुम भी हो सकते हैं। ये कहना जल्दबाजी होगी कि ये दृश्य  वर्ग संघर्ष की ओर इशारा कर रहे हैं। लेकिन इतना तय हो गया कि अपना सिस्टेम ताश के पतों की इमारत निकला, जो एक फूंक से ही ढह गया।


समीक्षा बैठक

भाजपा कार्यकर्ताओ की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा बैठक 


देहरादून   29मार्च।  कोरोना संकट में पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने को लेकर आज भाजपा में विभिन्न स्तरों पर वीडियो व ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा समीक्षा की गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा, प्रदेश प्रभारी श्री श्याम जाजू व प्रदेश अध्यक्ष श्री बंशीधर भगत ने अलग-अलग वीडियो व ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तैयारियों को जांचा और आवश्यक निर्देश दिए।


भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा व राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) श्री शिव प्रकाश ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री अनिल गोयल, प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री द्वय  श्री कुलदीप कुमार व श्री राजू भंडारी के साथ बातचीत की। श्री नड्डा ने प्रदेश भाजपा द्वारा अब तक के प्रयासों की जानकारी ली। प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा को अवगत कराया गया कि अब तक प्रदेश के सभी 252 मंडलों में 15-15 स्वयंसेवकों की टीम गठित की जा चुकी है, जो जरूरत पड़ने पर शासन-प्रशासन को हर समय सहयोग के लिए तत्पर रहेगी। मोदी रसोई व मोदी टिफिन के द्वारा जरूरतमंदों को भोजन वितरण करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा सभी जिलों में जिला अध्यक्षों के नेतृत्व में जिला सहायता केंद्र स्थापित कर दिए गए हैं।


राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता जो भी कार्य करें, अनुशासन के दायरे में रहकर करें। सोशल डिस्टेंसिंग और सरकार द्वारा जारी निर्देशों को  पूरी तरह ध्यान में रखा जाए। साथ ही अन्य लोगों को भी इसका अनुपालन सुनिश्चित करने को कहें। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गांवों में अकेले निवास कर रहे बुजुर्गों को चिन्हित करने पर खास जोर दिया और कहा कि बूथ स्तर पर जिन 2 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है, वह उनकी दवाई, खाने-पीने के सामान आदि का विशेष ध्यान रखें।


भाजपा मीडिया प्रभारी अजेंद्र ने बताया कि इससे पूर्व प्रदेश प्रभारी श्री श्याम जाजू ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत, महामंत्री (संगठन) श्री अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री श्री कुलदीप कुमार व श्री राजू भंडारी से चर्चा की। श्री जाजू ने सरकार के साथ समन्वय बनाकर सरकार और संगठन के माध्यम से अधिक से अधिक जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि लॉक डाउन के कारण किसी को भी जीवन यापन में कठिनाई ना हो।


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत ने भी ऑडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा प्रदेश पदाधिकारियों, सांसद, तविधायक, दायित्वधारियों, जिला अध्यक्ष व मंडल अध्यक्षों से बात की। उन्होंने प्रत्येक बूथ पर नियुक्त किए जा रहे दो-दो कार्यकर्ताओं को सबसे अहम कड़ी बताया। यह कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में असहाय, गरीब, बुजुर्गों को चिन्हित कर उन तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने में मददगार साबित होंगे।


 अजेंद्र अजय 
प्रदेश मीडिया प्रभारी
भारतीय जनता पार्टी, उत्तराखंड।


रोटी दे सरकार, भाषणो से मोदी जी पेट भरता नहीं

गजल


रोटियां दे भाषणों से पेट कब किसका भरा।
बाज आ जा हरकतों से देखता होगा खुदा।।


आदमी दुश्मन बना है आदमी का आज फिर।
कर रहा है आदमी अब देखिए क्या-क्या खता।।


रोटियों के नाम पर हमको दिखाया चांद ही।
क्या कहें किससे कहें किस बात की देता सजा।।


बोलिए कुछ आप भी कब तक रहेंगे आप चुप।
जो नहीं था आदमी भी देवता अपना बना।।


आपने तो रोटियां देने का वादा था किया।
हाकिमों वादा बताओ आपका वो क्या हुआ।।


गलतियां अपनी छिपाने को किया क्या-क्या नहीं।
मजहबों के नाम पर इस देश में क्या-क्या हुआ।


माफ कर दे ऐ खुदा बंदे सभी हम आपके।
सुन रहा तू क्यूं नहीं हमसे हुई है क्या खता।।


कुछ करो तजबीज यारों चैन से सब जी सकें।
कब तलक ऐसे चलेगा खौफ का ये सिलसिला।।


जो फसल बोई थी तुमने काटनी होगी तुम्हें।
सर झुकाओ हाथ जोड़ो और मांगो अब दुआ।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 
09455485094


बुतो ने रंज दिया तो खुदा याद आया


  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वरिष्ठ पत्रकार श्री कौशल सिखौला जी की सच्च कहती लेखनी से निकाला वर्तमान का यथार्थ


यह बात साफ होती जा रही है कि यदि विदेशों से आने वाले लोगों को फरवरी से रोका गया होता , तो भारत इस तरह कोरोना का शिकार न बनता । एयरपोर्ट्स पर भी चैकिंग में खासी कमियां रह गई । कोरोना की विभीषिका से जूझने का वक्त सीएए विरोध और दिल्ली दंगों में उलझ गया । कोरोना घुस आया ।


सवाल यह भी उठता है कि विश्व के अमीर और सुविधा संपन्न देशों में जा बसे भारतीय अपने देश की ही मुसीबत बनने भारत क्यों चले आये? वे हिंदुस्तान में पैदा हुए , पले - बढ़े , छात्रवृत्तियां लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त की । जब तक लेने का समय था, भारत में रहे । जब अपनी सेवाओं के माध्यम से राष्ट्र को कुछ देने और उन्नत बनाने का समय आया तो भारी दौलत और बेहतर सुविधाओं के कारण वतन छोड़कर विदेशों में जा बसे ?


भारत में रहकर जो सीखा , उस प्रतिभा का लाभ उन्होंने चीन , जापान , अमेरिका , ब्रिटेन , योरोप आदि को दिया । अपने देश को अपने ज्ञान से आगे बढ़ाने  के बजाय पश्चिम को आगे बढ़ाया । भारत के अस्पतालों , शिक्षण संस्थाओं , व्यवस्था , यहां की जमीन और यहां के कल्चर तक को पिछड़ा बताना शुरू कर दिया । वहीं की सरकारों को ऊंचा उठाने के लिए राजनीति तक में प्रवेश कर लिया ?


भारत की ओर देखकर नाक भौं सिकोड़े । देश की प्रतिभा का इस तरह पलायन हुआ कि 4 करोड़ भारतीय भारत से बाहर जाकर कभी न लौट आने के लिए बस गए । बेशुमार दौलत कमाई और मौजमस्ती में उड़ाई ।


तो कोरोना आते ही क्या हुआ ? अकेले पंजाब में एक लाख से ऊपर भारतीय विदेशों से भागकर आये और साथ में कोरोना ले आये । केरल में भी करीब डेढ़ लाख भारतीय लौटे हैं , जिनमें हजारों के पास कोरोना विषाणु हैं । यही हाल महाराष्ट्र का है । इन प्रवासियों को अचानक भारत की धरती अच्छी लगने लगी । भारत के अस्पताल उम्दा लगने लगे । भारत की व्यवस्थाएं अच्छी लगने लगी ।


अजीब विडम्बना है । हमारा देश प्रेम भी एक अजूबा है । चलो, हम तो तुम्हें अपना मानते हैं , तभी डबल नागरिकता भी सम्मान सहित दी है । कोरोना से ठीक होकर वापस लौट जाओ तो सोचना कि भारत का कितना बड़ा दिल है । सोचना कि अपनी धरती फिर भी अपनी है , अपनी खुशबू फिर अपनी है । और यह भी सोचना कि देश ने तुम्हें कितना दिया और मातृभूमि को खुद तुमने कितना दिया ???


अब कुछ और...!!!
बड़े भाई कौशल सिखोला जी की लेखनी को प्रमाण करता हूँ। उनका ध्यान उधर जाता है जहां किसी का ध्यान नहीं जाता। आइए, हम सब अपनी जन्मभूमि का ख़्याल रखें। यह पोस्ट शेयर करने की अनुमति देने के लिए गंगा पुत्र कौशल भैया और हरिद्वार की धरती को नमन। संजय वर्मा की ओर से भी प्रणााम 


जीवो पर दया करो शाकाहार अपनाऐ

मांस का मूल्य -


आज के परिपेक्ष में बोध कथा समय निकाल कर अवश्य पढ़े


एक समय की बात है मगध के सम्राट् श्रेणिक ने एक बार अपनी राज्य-सभा में पूछा कि - "देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है?"
मंत्रि-परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये। चावल, गेहूं, आदि पदार्थ तो बहुत श्रम बाद मिलते हैं और वह भी तब, जबकि प्रकृति का प्रकोप न हो। ऐसी हालत में अन्न तो सस्ता हो नहीं सकता। शिकार का शौक पालने वाले एक अधिकारी ने सोचा कि मांस ही ऐसी चीज है, जिसे बिना कुछ खर्च किये प्राप्त किया जा सकता है।
उसने मुस्कराते हुए कहा, "राजन्! सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ तो मांस है। इसे पाने में पैसा नहीं लगता और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है।"
सबने इसका समर्थन किया, लेकिन मगध का प्रधान मंत्री अभय कुमार चुप रहा।
श्रेणिक ने उससे कहा, "तुम चुप क्यों हो? बोलो, तुम्हारा इस बारे में क्या मत है?"
प्रधान मंत्री ने कहा, "यह कथन कि मांस सबसे सस्ता है, एकदम गलत है। मैं अपने विचार आपके समक्ष कल रखूंगा।"
रात होने पर प्रधानमंत्री सीधे उस सामन्त के महल पर पहुंचे, जिसने सबसे पहले अपना प्रस्ताव रखा था। अभय ने द्वार खटखटाया।
सामन्त ने द्वार खोला। इतनी रात गये प्रधान मंत्री को देखकर वह घबरा गया। उनका स्वागत करते हुए उसने आने का कारण पूछा।
प्रधान मंत्री ने कहा,- "संध्या को महाराज श्रेणिक बीमार हो गए हैं। उनकी हालत खराब है। राजवैद्य ने उपाय बताया है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाय तो राजा के प्राण बच सकते हैं। आप महाराज के विश्ववास-पात्र सामन्त हैं। इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय का दो तोला मांस लेने आया हूं। इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहें, ले सकते हैं। कहें तो लाख स्वर्ण मुद्राएं दे सकता हूं।"
यह सुनते ही सामान्त के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। वह सोचने लगा कि जब जीवन ही नहीं रहेगा, तब लाख स्वर्ण मुद्राएं भी किस काम आएगी!
उसने प्रधान मंत्री के पैर पकड़ कर माफी चाही और अपनी तिजौरी से एक लाख स्वर्ण मुद्राएं देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें।
मुद्राएं लेकर प्रधानमंत्री बारी-बारी से सभी सामन्तों के द्वार पर पहुंचे और सबसे राजा के लिए हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ। सबने अपने बचाव के लिए प्रधानमंत्री को एक लाख, दो लाख और किसी ने पांच लाख स्वर्ण मुद्राएं दे दी। इस प्रकार एक करोड़ से ऊपर स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधान मंत्री सवेरा होने से पहले अपने महल पहुंच गए और समय पर राजसभा में प्रधान मंत्री ने राजा के समक्ष एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएं रख दीं।
श्रेणिक ने पूछा, "ये मुद्राएं किसलिए हैं?"
प्रधानमंत्री ने सारा हाल कह सुनाया और बो्ले,- " दो तोला मांस खरीदने के लिए इतनी धनराशी इक्कट्ठी हो गई किन्तु फिर भी दो तोला मांस नहीं मिला। अपनी जान बचाने के लिए सामन्तों ने ये मुद्राएं दी हैं। अब आप सोच सकते हैं कि मांस कितना सस्ता है?"
जीवन का मूल्य अनन्त है। हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी होती है, उसी तरह सभी जीवों को अपनी जान प्यारी होती है ।
जियो और जीने दो


देश की आर्थिक मदद करें

^महामारी^
~~~~~~
एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे
उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के
बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर
अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक
घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में
डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और
लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।
राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह
घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है । अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक
बाल्टी "पानी" डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ
भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए
के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है।
दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।
राजा समझ गया कि इसी कारण से
महामारी दूर नहीं हुई और लोग
अभी भी मर रहे हैं।
दरअसल ऐसा इसलिये हुआ
क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में
आया था वही विचार पूरे राज्य के
लोगों के मन में आ गया और किसी ने
भी कुंए में दूध नहीं डाला।
मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ
वैसा ही हमारे जीवन में
भी होता है। जब
भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे
लोगों को मिल कर करना होता है
तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह
सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और
हमारी इसी सोच की वजह से
स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं।
अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरे देश में भी ऐसा बदलाव ला सकते हैं जिसकी आज हमें ज़रूरत है।.                          *🙏plz stay home🙏


वक्त की सही तस्वीर पेश करती (कवि ब्रिजेन्द्र हर्ष जी की कविता)

जिनकी कमाई से खाती है दिल्ली 
मुशीबत में उनको भगाती है दिल्ली


नहीं वास्ता इसका इन्सानियत से
न जाने क्यों फिर भी सुहाती है दिल्ली


दौलत के अम्बार हैं इसकी चाहत
नहीं मुँह किसी को लगाती है दिल्ली


ज़रूरत पे पैरों में पड़ती मिलेगी
निकलता जो मतलब सताती है दिल्ली


नहीं सोच में इसके गम्भीरता है
हवा में ही डंडा घुमाती है दिल्ली


भगाया है जिनको वो दिल्ली न आएँ
 किस तरह देखना फड़फडाती है दिल्ली


महनत करो गाँव में अपने जमके
मुँह फेर लो गर बुलाती है दिल्ली


बृजेन्द्र "हर्ष"
हरिद्वार।


मुझसे डरो ना

*डा0 एस के कुलश्रेष्ठ


कल रात सपने में आया कोरोना....* 


उसे देख जो मैं डरा... 😢


तो मुस्कुरा 😊 के बोला :-- मुझसे डरो ना...।।


*कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति...* 
*न चूमते, न गले लगाते...* 
*दोनों हाथ जोड़ कर तुम स्वागत करते...।।* 


*वही करो ना...*
*मुझसे डरो ना...।*


🌹🌹🌹🌹🌹


*कहाँ से सीखा तुमने ??* 
*रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे...* 
*पहले तो तुम धूप, दीप, कपूर, अगरबत्ती, लोभान जलाते...* 


*वही करो ना...*
*मुझसे डरो ना...।।।* 


🌹🌹🌹🌹🌹🌹


शुरू से तुम्हें सिखाया गया... 
*अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो...* 
*मत भूलो अपनी संस्कृति...* 


*वही करो ना...* 
*मुझसे डरो ना...।।*


🌹🌹🌹🌹🌹


*सादा भोजन उच्च विचार...* 
*यही तो है तेरे संस्कार...*
*उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना...*
 
*मुझसे डरो ना...।।*


🌹🌹🌹🌹🌹🌹


*शुरू से ही पशु पक्षियों को पाला पोसा प्यार दिया...* 
*रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति...,* 
*उनका भक्षण करो ना...* 


*मुझसे डरो ना... ।।*


🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कल रात सपने में आया 
*कोरोना...* 
बोला... 
*अपनी संस्कृति का ही पालन करो ना...*मुझसे


डरो ना...* ।।।।।


बाबा फरीद की वाणी

बाबा फरीद एक आध्यात्मिक विभूति 


 


मेरे मन तन प्रेम नाम आधार।
नाम जपी नामो सुख सार।।
नाम जपो मेरे साजन सैना।
नाम बिना मै अवर न कोइ 
वडे भाग गुरमुख हर लैना ।।रहाउ।।
 नाम बिना नहीं जीवया जाय।
वडे भाग गुरमुख हर पाय।।
नाम हीन कालख मुख माया।
नाम बिना ध्रिग ध्रिग जीवाया।।
वड वडा हर भाग कर पाया।
नानक गुरमुख नाम दिवाया।।
बाबा फरीद जी को नाम की लगन उनकी मां ने लगाई एक दिन फरीदजी ने मां से पूछा कि मां भगवान का नाम लेने से क्या मिलता है तो इस पर मां ने कहा कि शक्कर मिलती है ऐसी नाम की लगन लगी कि लगातार नाम एकांत में बैठकर जाप करने लगे 
  12 वर्ष बाद जब घर आए तो माँ ने बालों में से कंघी की तो उनके सबने मुख से सी(हाय)निकला। मां ने कहा जिन पेड़ों के पत्ते फल खाए हैं क्या उन्हें दर्द नहीं हुआ अभी तुम्हें भगवान की प्राप्ति नहीं हुई ।फरीद जी ने कहा मां फिर मैं क्या करूं तो यह कहा कि एक सुखी लक्कड़ तेरे गले में डाल देती हूं जब भूख लगे इस पर  दांत से शांत कर लेना उसके बाद 12 साल फरीद जी ने फिर भगवान  की भक्ति की ।
1 दिन ऐसा हुआ कि सुबह बहुत चिड़िया और पंछी हल्ला मचा रहे थे तो फरीदसाहब के मुख से निकला कि यही भगवान के नाम लेने का समय ज्यादा अच्छा होता है और तुम आवाज कर रहे हो मर क्यों नहीं जाते।  ऐसा सुनते ही सभी पेड़ों से पंछी गिरकर मर गए ।जो भगवान के की भक्ति करते हैं उनमें नम्रता का भाव बहुत अधिक होता है तो वह बोले हे भगवान मेरे से गलती हो गई यह जिंदा हो जाए तो सभी पंछी जिंदा हो गए ।अब फरीद जी को भूख भी लग गई और प्यास भी लग गई। तो जंगल के बाहर जाते हैं क्या देखते हैं कि एक माताजी पानी कुएं से भर रही है और बाहर सड़क पर डाल रही है बोले माताजी मुझे प्यास लगी है पानी पिला दो वह बोली कि बाबा जी बैठ जाओ अभी मैं खाली होती हूं तो पिला देती हूं फरीद जी सोच रहे थे कि यह पानी कुँए से निकाल रही है और सड़क पर ही डाल रही है व्यर्थ डाल रही है मुझे प्यास लगी है तो दोबारा फिर कहा माताजी मुझे पानी पिला दो। तो उसने कहा कि फरीद साहब बैठ जाओ अभी यह चिड़िया नहीं जो मर कर जिंदा हो जाएंगी अभी खाली होती हो तो पिला देती हूं फरीद साहब के पैर से जमीन निकलती  महसूस हुई यह तो मेरे से भी आगे है। थोड़ी देर में उस महिला ने कहा  बाबा जी पानी पी लो कहने लगे अब प्यास बुझ गई है बताओ तुम्हें कैसे पता लगा कि आज चिड़िया मरी और जिंदा हुई थी इसमें इस इलाके में मेरा कोई नाम नहीं जानता तुमने मेरा नाम भी लिया है तो बोली बाबाजी पानी पियो और जाओ कि नहीं अब यह बताओ यह जो सड़क पर पानी डाल रही हो यह क्यों डाल रही हो उसने बताया कि 60 कोस पर मेरी बहन के घर को आग लगी हुई थी और मैं उससे बुझा रही थी तो फरीद साहब को यकीन हो गया उसने उन्होंने कहा मुझे बताओ पाया कैसे तो जिद करने पर उस पतिवर्ता महिला ने बताया कि मैं मेरी जब शादी हुई ।तो पहले ही दिन  मेरे पति ने पानी मांगा तो मैं पानी लाने में देरी हो गई बर्तन ढूंढने में मुझे देरी हो गई। तो पति सो गए अब मैंने सोचा कि इन्हें प्यास लगी है यदि मैं भी पानी रख कर सो गई तो यह इन्हें दुख होगा कि मेरी पत्नी है जीवन साथी है और यदि मैंने जगाया तो नींद खराब होगी यह सोचकर मैं पूरी रात खड़ी रही वे भी सोते रहे और वह भगवान का नाम जपने वाले थे सुबह 4:00 बजे जैसे ही आंख खुली मुझे सामने देखकर आश्चर्य से पूछा कि तुम रात से यही खड़ी हो मैंने कहा जी तो उन्होंने बिना कुर्ला किए ही पानी पिया जा जो पानी पिया मुझे ब्रह्म ज्ञान हो गया तो मैंने तो फरीद जी एक ही रात में पाया है।
।इसके बाद फरीद साहिब जी नें बंदगी करके परमात्मा की प्राप्ति की। 
गुरू ग्रंथ साहिब जी  में फरीद जी के श्लोक दर्ज हैं।🙏🙏
                  ##कुलदीपसिंह  प्र.अ. रा.प्रा.वि.ऐथल


मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं रच रहे केजरीवाल, जरा सोचे


  • दिल्ली से हजारों लोगों का पलायन कोई साजिश तो नहीं 


#केजरीवाल की #दिल्ली #सरकार ने #बिजली #पानी #काटकर #अफवाह #फैलाकर #खदेड़ा #यूपी #बिहार के #गरीब #मजदूरों को...


यही केजरीवाल कल दिन में मीडिया के समक्ष दिल्ली में 4 लाख लोगों को खाना खिलाने की बात कर रहा था, और रात  में इसी केजरीवाल ने योजनाबद्ध तरीके से बिजली पानी के कनेक्शन काटकर बकायदा एनाउंसमेंट कर अफवाहों द्वारा गरीबों को भेड़ बकरियों की तरह यूपी बोर्डर तक खदेड़ दिया,


सोचिये दिल्ली के सभी स्कूल खाली पड़े हैं वहां निर्धन निराश्रितों को आसरा दिया जा सकता था परंतु यहां तो दिल्ली सरकार ने राक्षसी प्रवृत्ति का प्रदर्शन करते हुए बिजली पानी काटकर अफवाह फैला कर गरीबों को ही दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया, यह तक नहीं सोचा कि ऐसा करने से इन गरीबों में कोरोनावायरस के संक्रमण का खतरा  बढ़ जाएगा और इतनी बड़ी संख्या में इनको एक साथ बाहर निकालने से लोगों में कोरोना के कम्युनिटी स्प्रेड तक होने की खतरनाक संभावना पैदा हो जाएगी,


मैं ऐसे ही केजरीवाल को भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे कमीना काइँया और थेथर नहीं कहता हूं, इस जैसा संवेदनहीन नीच नेता न हुआ है न कभी होगा, भूतो न भविष्यति:।


वह तो भला हो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कि उन्होंने तत्काल तत्परता दिखाते हुए रातों रात 1000 से अधिक बसों की व्यवस्था कर उन गरीबों को भोजन पानी करवाकर उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने की व्यवस्था कर दी।


भाजपा ने करोना से मुकाबले के लिए तैयार की रणनीति

भाजपा ने किये स्वयंसेवक तैयार 


भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री बंशीधर भगत के निर्देशों के क्रम में पार्टी ने अधिकांश मंडलों में 15-15 स्वयं सेवकों की सूची तैयार कर दी है। पार्टी ने जिलों में जिला अध्यक्षों के नेतृत्व में जिला सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। उधर, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों, सरकार में दायित्वधारियों, मेयर व जिला अध्यक्ष से कान्फ्रेंस काल के जरिए संवाद स्थापित कर इस महामारी के समय में अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की अपील की है।


भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अजेंद्र अजय ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री भगत द्वारा कोरोना संकट के समय पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार का सक्रिय सहयोग करने और संगठन स्तर से भी लोगों की मदद करने के निर्देश दिए गए थे। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देशों के क्रम में पार्टी ने अपनी 252 मंडल इकाइयों में से अधिकांश में 15-15 स्वयं सेवकों की सूची तैयार कर दी है। गढ़वाल मंडल के कार्यकर्ताओं की सूची प्रदेश महामंत्री श्री कुलदीप कुमार और कुमाऊं मंडल की सूची प्रदेश महामंत्री श्री राजू भंडारी के माध्यम से प्रदेश को पहुंच गई हैं। यह कार्यकर्ता जरूरत पड़ने पर हर समय शासन-प्रशासन का हरसंभव सहयोग करने को तत्पर रहेंगे। प्रदेश सरकार द्वारा जिलों के लिए घोषित किए गए प्रभारी मंत्री प्रशासन के साथ इन स्वयंसेवकों का समन्वय स्थापित करेंगे। 


अजेंद्र ने बताया कि पार्टी द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में आम जनता के सहयोग के लिए जिला सहायता केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों का प्रमुख संबंधित जिलों के जिला अध्यक्षों को बनाया गया है। इसके अलावा प्रदेश के सभी 11,235 बूथों पर दो-दो लोगों की टीम गठित की जा रही है, जो अपने-अपने क्षेत्रों में आम लोगों के अलावा जरूरतमंदों को सहयोग देंगे और मोदी रसोई अथवा मोदी किट के वितरण में सहयोग करेंगे।


उन्होंने बताया कि आज प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कान्फ्रेंस काल के जरिए पार्टी नेताओं से संवाद स्थापित कर सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं से सोशल डिस्टेंसिंग का खुद भी और अन्य लोगों से भी पालन करवाने को कहा। मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया है कि हमारे हर कदम में गंभीरता झलकनी चाहिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से यह भी अपील की कि इस आपदा के समय में अपनी जान की परवाह किए बगैर जो स्वास्थ्यकर्मी, स्वच्छताकर्मी,  सुरक्षाकर्मी आदि दिन रात काम में जुटे हुए हैं, उनका उत्साहवर्धन भी करते रहें। संभव हो सके तो उन्हें भोजन, चाय-पानी भी उपलब्ध कराएं।


अजेंद्र अजय
प्रदेश मीडिया प्रभारी
भाजपा, उत्तराखंड।


पुष्प राज धीमान की कविता खबर

खबर


जो लिखते थे यू खबरों पर खबर
उनके पास रह गई बस एक खबर
 प्रेस लिखे वाहन भी नहीं दिखे
कोई तो दे दे मुझे उनकी खबर
गजब का लिखते रहे जो अब तक
उनकीभी नहीं आ रही कोई खबर
गायब से हो गए हाकर भी यहां
उनकीभी छपे गुमशुदगी की खबर
जान बचानी है तो घर में पड़े रहो।
 यही है पहले पेज की लीड खबर
पढ़ते-पढ़ते यही बोर हो जाएंगे
पढ़ने को मिलेगी जब यही खबर
कई दिनों से घर में ही कैद हो गया
आज भी अपनी चाहिए यह खबर
अब हर पेज को करोना हो गया
आती थी जिसमें कितनी खबर
खत्म हो गई आज बंदीसे सॉरी
पढ़ने को कब मिलेगी यह खबर
अब तो कोई पूछता भी नहीं
तेरे पास है क्या कोई नई खबर
सब करोना पर ही लिख रहे हैं
मैं भी लिख रहा हूं बस यही खबर
करोना को जो ले रहा हल्के में
हो सकता है  कल की लीड खबर
घर से बाहर यूं ही दिख रहा है जो
ले रही है पुलिस उसकी खबर
चाइना को कुछ फर्क नहीं पड़ा
तब से हैरान  हूं सुनकर यह खबर
 एक पटाखा फोड़े बगैर ही उसने
कैसे ले ली यू दुनिया की खबर
धीरे धीरे निकल रहा है सच
कल तक दे रहा जो फर्जी खबर
गारंटी शुदा है वायरस उसका
 कैसी लगी मेरी यह सच्ची खबर
आंखें जिसकी पूरी खुलती नहीं
पहले पढ़ ली उसने पूरी खबर
कल को भी पढ़ेंगे आप मुझे
आज नहीं लिखता पूरी खबर कविताएं ही लिख रहा धीमान भी
लिखता था जो खबरों पर खबर
चीन कीअब हो रही है फजीहत
कल पढ़ने को मिलेगी यह खबर।


स्वच्छता और जागरूकता से ही किया जा सकता है करोना का मुकाबला :-अनीता वर्मा


  • जमालपुर कलां में चला सेनिटाईजसन अभियान 

  •  

  • ग्राम प्रधान सुशील राज राणा, भाजपा महिला मोर्चा मण्डल अध्यक्ष अनीता वर्मा, वार्ड सदस्य जावेद ने आगे बढ़ कर किया सहयोग 

  •  

  • हरिद्वार 28 मार्च  जमालपुर कलां के ग्राम प्रधान सुशील राज राणा के नेतृत्व में कयी दिनों से हर, गली, मौहल्ले में करोना वायरस से बचाव के लिए दवाई का छिडकाव कराया जा रहा है, नगरनिगम क्षेत्र से लगा हुआ जमालपुर कलां सबसे बड़ा गाँव है इस गांव को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने का प्रयास ग्राम पंचायत कर रही हैं इसी क्रम में आज दयाल इन्कलेव, रमाविहार, हरिजन बस्ती, मस्जिद के आसपास दवाई का छिडकाव कराया गया जिसमें मुख्य रूप से भाजपा महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष अनीता वर्मा, वार्ड सदस्य जावेद, समाज सेवी संजय वर्मा, ओमपाल सैनी आदि ने सहयोग प्रदान किया,।


हर जरूरतमंद तक पहुँचेंगी मदद :-सुबोध राकेश


  • भगवान पुर मे सुबोध राकेश ने बढाऐ मदद के हाथ 


*प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने भगवानपुर नगर पंचायत मे  कोरोना वायरस जैसी महामारी  के चलते हुए प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने गरीब झोपड़पट्टी के आदमी महिलाओं और बच्चों  को बांटे आटा,तेल,नमक, दाल,चावल,  चीनी,साबुन,चाय पत्ती,  सैनिटाइजर और सावधान रहने की अपील उन्होंने कहा कि लॉक डाउन का समर्थन करें वह पालन करें*


*भगवानपुर* ( कमल नामदेव संवाददाता गोविंद कृपा भगवान पुर ) कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान भगवानपुर में गरीब आदि के लिए मददगार बने प्रदेश महामंत्री सुबोध राकेश ने राहगीरों को पेट भर खाना और पानी पिलाकर तथा मास्क सैनिटाइजर आदि भेंट कर जो पूर्ण का कार्य किया है,उसकी भगवानपुर में चारों और प्रशंसा हो रही है,वहीं उन्होंने नगर पंचायत से संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को भी निर्देशित किया है कि पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में तेजी के साथ स्वच्छता का कार्य जारी रखें तथा नगर को पूरी तरह साफ सुथरा भी रखें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा है,किंतु इससे डरने की आवश्यकता नहीं है,बल्कि इससे बचाव के लिए साफ-सफाई एवं सैनिटाइजर का कार्य किया जाना आवश्यक है तथा जनता को स्वयं भी साफ सफाई का विशेष ख्याल भी रखना चाहिए। इस मौके पर नीटू  मांगेराम सभासद प्रतिनिधि,भूरा  पंडित सभासद प्रतिनिधि,अयूब ठेकेदार सभासद, अरविंद चेयरमैन,टाेरी, रोहित कुमार,छोटा सिंह, बबलू मास्टर उर्फ़ ब्रह्मपाल इत्यादि लोग उपस्थित रहे


ट्रांस् पोटरस को दी सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने राहत


  • सुप्रीम कोर्ट ने दी BS 4वाहन बेचने की इजाजत 

  •  


आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस  की माँगो पर सरकार ने की सकारात्मक पहल 


आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस के कार्यकारिणी सदस्य सरदार डी एस मान, हरिद्वार टैक्सी यूनियन, विक्रम, आँटो महासंघ ने सरकार का किया आभार प्रकट 
हरिद्वार 28 मार्च  (गगन नामदेव संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) 
देश में करोना वायरस से पैदा हुई आपातकालीन स्थिति के बीच सुप्रीम कोर्ट ने ट्रास्पोर्ट्स को राहत देते हुए बीएस 4 वाहनों की बिक्री की अंतिम तिथि बढाने का निर्णय दिया है जिसका आल इंडिया मोटर ट्रांस्पोर्ट काँग्रेस के कार्यकारिणी सदस्य सरदार डी एस मान ने स्वागत करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट का मानवीय कदम बताया साथ उन्हों ने सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हुए इस विषम परिस्थिति में ट्रास्पोर्ट्स को ईएम आई, टैक्स, जीएसटी आदि में छूट आदि देने के लिए आभार प्रकट किया, हरिद्वार टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह, उत्तराखंड ट्रास्पोर्ट्स एसोशिएसन, विक्रम आटो महासंघ के पदाधिकारीयो ने केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया।


हर कली सहमी हुई

गजल


किस कदर मैला हुआ है।
जो बदन पहना हुआ है।।


गूंजती इसमें अजानें।
दिल मेरा मक्का हुआ है।।


क्या कहें किससे कहें हम।
घाव इक गहरा हुआ है।।


चांद है उतरा गली में।
आपका चर्चा हुआ है।।


अय खुदा हमको बचा ले।
नाखुदा भटका हुआ है।।


कर रहा हक बात यारों।
आदमी बहका हुआ है।।


चारसू होता है मातम।
क्या कहर बरपा हुआ है।।


हर कली सहमी हुई है।
फूल इक मसला हुआ है।।


आइना तो आइना है।
झूठ बस चहरा हुआ है।।


लफ्ज जूठे हैं सभी तो।
लफ्ज हर बरता हुआ है।।


आ सुनाएं शेर तुझको।
शेर इक अच्छा हुआ है।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 
09455485094


बैनी प्रसाद वर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि

*सपा के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा का निधन।
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*केन्द्र व प्रदेश में कई वर्षों तक रहे मन्त्री
*06 बार विधायक 05 बार निर्वाचित हुवे सांसद
*वर्तमान में सपा कोटे से थे राज्यसभा सांसद


मुलायम सिंह के विश्वास पात्र, अपनी कार्य शैली से समाज़ के हर वर्ग के दिलों पर हुक्मरानी करने वाले सपा के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा का आज लम्बी बीमारी के चलते लखनऊ स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में उपचार के दौरान शाम 7:30 बजे निधन हो गया । उनकी आयू लगभग 82 वर्ष थी बेनी प्रसाद वर्मा जिन्हें प्यार से लोग बाबू जी कहकर सम्बोधित करते थे उनके निधन का समाचार फैलते ही बाराबंकी बहराइच और गोण्डा समेत पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।
1911 में बहराइच जनपद के थाना खेरी घाट क्षेत्र के ग्राम मटेरा कलां में अपनी मां के ननिहाल में पैदा हुवे बेनी प्रसाद वर्मा पेशे से शिक्षक थे बाद में उन्होंने एल एल बी कर कुछ दिनों तक वकालत भी की वह सपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव के घनिष्ठ साथियों में थे वह केन्द्र में संचार, इस्पात व खान मंत्रालय में मन्त्री रहने के साथ ही उत्तर प्रदेश में जेल , गन्ना, आबकारी ,पी डब्लू डी और संसदीय कार्य मन्त्री के रूप में कई वर्षों तक कार्य करते रहे।
बेनी बाबू ने अपनी राजनीति का आगाज़ गन्ना किसानो की समस्याओं को लेकर किया वह बुढ़वल केन सोसायटी के उपाध्यक्ष चुने गये सोशलिस्ट लीडर स्व0 राम सेवक यादव ने उन्हें सबसे पहले 1974 में बाराबंकी की दरियाबाद विधान सभा से चुनाव लड़ने का अवसर दिया और भारी मतों से विजयी हुवे।जनता पार्टी के गठन पर पूर्व प्रधानमन्त्री स्व0 चौधरी चरण सिंह ने उन्हें दोबारा 1977 में मसौली विधान सभा से कांग्रेस लीडर मोहिसना किदवाई के मुकाबले चुनाव लड़ने का अवसर दिया और वह वहां से भी विजयी रहे 1980 के चुनाव में प्राजित होने के बाद 1985 से लेकर 1993 तक लगातार मसौली विधान सभा से विधायक निर्वाचित होते रहे।और प्रदेशकी सपा सरकार में विभिन्न विभागों के मन्त्री के रूप में कार्य करते हुवे बाराबंकी व प्रदेश में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को अंजाम दिया जिस कारण लोगों ने उन्हें विकास पुरुष कहना शुरू कर दिया बाबू जी अपने बोल बचन के कारण प्रदेश की राजनीति में हमेशा सुर्ख़ियों में रहे 1996 में प्रदेश की राजनीति से निकलकर वह कैसर गंज लोक सभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी के रूप में पार्लियामेन्ट चुनाव लड़े और भारी मतों से विजयी हुवे बेनी बाबू लगातार 98,99,2004 तक चार बार लोकसभा में कैसर गंज का प्रतिनिधित्व करते रहे ।सपा नेता मुलायम सिंह से कुछ मन मिटाव होने के कारण वह 2009 में गोण्डा लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और शानदार कामयाबी हासिल की बाबू जी ने एस के डी नाम से एक नई पार्टी भी बनाई मगर उन्हें जनता का ज्यादा समर्थन नही मिला और वह पुनः समाज वादी पार्टी में शामिल हो गये और उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य निर्वाचित हुवे।
बाराबंकी जनपद के ग्राम सिरोली गौस पुर निवासी बेनी बाबू की पिछड़े समाज और मुस्लिम समाज में गहरी पैठ थी वह कुर्मी समाज के निर्विवाद लीडर थे लोग उनका बड़ा आदर करते थे वह अपने समर्थकों का विशेष ध्यान रखते थे और बराबर उनके सम्पर्क में बने रहते थे। उनके बारे में एक बात मशहूर थी कि क्षेत्र से कोई व्यति  काम कराने के लिये उनसे मिलने पहुंचा प्यार से अगर उन्होंने उसे डांट दिया तो उसका काम जरूर हो जाता था।वह जिस गांव की पगडंडियों से चलकर राजनीति के शिखर पर पहुंचे उन्होंने अपने उस गांव सिरोली गौसपुर को ब्लाक तहसील अस्पताल सड़कें स्कूल सब कुछ देने का काम किया। वह एक जमीनी नेता थे शायद यही कारण है कि वह अपनी अंतिम सांसों तक लोगों के दिलों पर हुक्मरानी करते रहे वह सपा के एक मजबूत स्तम्भ थे उनके निधन से सपा नेताओं कार्यकर्ताओं को गहरा धचका पहुंचा है।जन नायक को श्रद्धांजलि। 


शांति कुंज की मानवीय पहल

शांति कुंज ने मुख्य मंत्री राहत कोष में दिये एक करोड़ 


 हरिद्वार  27मार्च (गगन नामदेव संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)    पूरा विश्व जब आज कोरोना वायरस से ग्रसित हैं, तब पीड़ित मानवता के लिए सहयोग में सदैव तत्पर रहने वाली संस्था शांति कुंज के  द्वारा वेदमाता गायत्री ट्रस्ट की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड रुपये का बड़ा योगदान दिया गया है। शुक्रवार को गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को कोरोना वायरस से निपटने हुए यह राशि भेंट की। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने कहा है कि पीड़ित मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है। इस वाक्य को आदर्श वाक्य मानते हुए पूर्व की भांति सरकार के इस विषम परिस्थिति में गायत्री परिवार शांति कुंज। देश के  साथ खड़ा है। जब-जब राज्य में दैवीय या प्राकृतिक आपदा आई, तब तक गायत्री परिवार सदैव विश्व एवं मानवता की सेवा  के लिए तत्पर रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने गायत्री परिवार का आभार प्रकट किया। इस दौरान केबीनेट मंत्री ने कहा कि विगत कई वर्षों में आई विपत्ति के समय में भी गायत्री परिवार ने दिल खोल कर सहयोग किया है। शांतिकुंज आपदा प्रबंधन दल द्वारा प्रशासन को गरीब व असहाय लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था बनाई जा रही है,जो एक सकारात्मक पहल है।


अपने भी छोड देते हैं साथ

#करोना से बचाव ही एक मात्र उपाय हैं 


तिरस्कार_या_मजबूरी
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गोपाल किशन जी  एक सेवानिवृत अध्यापक हैं । सुबह  दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे । शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं । 


परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते *मार्शल* का बसेरा है । गोपाल किशन जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया *मार्शल* ।


 इस कमरे में अब गोपाल किशन जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं ।दोनों बेटों -बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये । 


सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए,  हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और गोपाल किशन जी की पत्नी से बोली -"अरे कोई इसके पास दूर से खाना भी सरका दो , वे अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे उठा के" । 


अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें  के लिये कौन जाए  । बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया अब गोपाल किशन जी की पत्नी के हाथ , थाली पकड़ते ही काँपने लगे , पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों । 


इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली "अरी तेरा तो  पति है तू भी ........।  मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा" । सारा वार्तालाप गोपाल किशन जी चुपचाप सुन रहे थे , उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से  उन्होंने कहा कि "कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है , मुझे भूख भी नहीं है" । 


इसी बीच एम्बुलेंस आ जाती है और गोपाल किशन जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला जाता है । गोपाल किशन जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती -पोते First floor की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ दिखाई पड़ती हैं । Ground floor पर, दोनों बेटे काफी दूर,  अपनी माँ के साथ खड़े थे । 


विचारों का तूफान गोपाल किशन जी के अंदर उमड़ रहा था ।   उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए Bye कहा । एक क्षण को उन्हें लगा कि 'जिंदगी ने  अलविदा कह दिया' 


गोपाल किशन जी की आँखें लबलबा उठी । उन्होंने बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस में जाकर बैठ गये । 


 उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से  भरी बाल्टी घर की उस  देहरी पर उलेड दी जिसको गोपाल किशन चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे । 


 इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी , लेकिन ये दृश्य देखकर कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे - पीछे हो लिया जो गोपाल किशन जी को अस्पताल लेकर जा रही थी । 


गोपाल किशन जी अस्पताल में 14 दिनों के  अब्ज़र्वेशन पीरियड में  रहे । उनकी सभी जाँच सामान्य थी । उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी । जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया । दोनों एक दूसरे से लिपट गये । एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी । 


जब तक उनके बेटों की लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे । 


उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये । आज उनके फोटो के साथ उनकी  गुमशुदगी की खबर  छपी है अखबार में लिखा है कि   सूचना देने वाले को 40 हजार का ईनाम दिया जायेगा । 


40 हजार - हाँ पढ़कर  ध्यान आया कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते गाते उड़ा दिया करते थे ।
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कुछ दिनों की बात है

अनायास ही आज सुबह घर की चौखट से अंदर बाहर जाने से उसकी उदासी सी लगी...आकर व्यक्त कर दी उसकी मार्मिक अभिव्यक्ति
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उदास है....आज मेरी चोखट* 


अरी चौखट आज तू उदास क्यों है किसी ने तो मिलना नहीं 
फिर इंतजार क्यों है ....
खट खट होती थी न रोज
 तू भी परेशान हो जाती थी  कभी-कभी तो एक आया एक गया सारा दिन खटखट
आज तू उदास है चौखट...
 गली शहर दुनिया की चौखट पर अब कोई खटखट नहीं होती है री चौखट.. आज तू परेशान क्यों है
 हाले दिल किससे बताएगी तू 
याद है वो दिन जब किसी ने
आखिरी बार तूझे खटखटाया था
 भूलती जा रही हो ना 
परेशान हो...
 पर हां आज नीला आसमां 
बेहद खुश है  री
और खुश है वो पेड़ पौधे 
खुश है उनका आंगन
 जानती हो क्यों..... आज पंछी आजाद हैं...चिड़िया चहकने लगी उदास मन उड़ने लगा 
 शायद वो जानवर भी खुश हैं री खुशियां मना रहे हैं कि चलो 
कुछ दिन हम भी सांस ले लेंगे जानती हो क्यों....
 इस पागल मन के पगला जाने से
इस आपस कि आपाधापी मारामारी इस विस्तारीकरण.... के बाज़ार का
खामियाजा  शायद भुगत रही है तू 
खैर तू उदास ना हो 
समय से समय को समझ गया कोई
 तो फिर खटखट होगी
 तेरी इंतजार खत्म होगी 
मेरी ....मेरी गली की शहर की देश की दुनिया की चौखट शायद दोबारा से खटखट होने लगेगी...
पर आज  तो तू उदास है री
मेरी चोखट....


 *विजयेन्द्र पालीवाल*


कुछ दिनों की बात है

अनायास ही आज सुबह घर की चौखट से अंदर बाहर जाने से उसकी उदासी सी लगी...आकर व्यक्त कर दी उसकी मार्मिक अभिव्यक्ति
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उदास है....आज मेरी चोखट* 


अरी चौखट आज तू उदास क्यों है किसी ने तो मिलना नहीं 
फिर इंतजार क्यों है ....
खट खट होती थी न रोज
 तू भी परेशान हो जाती थी  कभी-कभी तो एक आया एक गया सारा दिन खटखट
आज तू उदास है चौखट...
 गली शहर दुनिया की चौखट पर अब कोई खटखट नहीं होती है री चौखट.. आज तू परेशान क्यों है
 हाले दिल किससे बताएगी तू 
याद है वो दिन जब किसी ने
आखिरी बार तूझे खटखटाया था
 भूलती जा रही हो ना 
परेशान हो...
 पर हां आज नीला आसमां 
बेहद खुश है  री
और खुश है वो पेड़ पौधे 
खुश है उनका आंगन
 जानती हो क्यों..... आज पंछी आजाद हैं...चिड़िया चहकने लगी उदास मन उड़ने लगा 
 शायद वो जानवर भी खुश हैं री खुशियां मना रहे हैं कि चलो 
कुछ दिन हम भी सांस ले लेंगे जानती हो क्यों....
 इस पागल मन के पगला जाने से
इस आपस कि आपाधापी मारामारी इस विस्तारीकरण.... के बाज़ार का
खामियाजा  शायद भुगत रही है तू 
खैर तू उदास ना हो 
समय से समय को समझ गया कोई
 तो फिर खटखट होगी
 तेरी इंतजार खत्म होगी 
मेरी ....मेरी गली की शहर की देश की दुनिया की चौखट शायद दोबारा से खटखट होने लगेगी...
पर आज  तो तू उदास है री
मेरी चोखट....


 *विजयेन्द्र पालीवाल*


वक्त की नजाकत को समझो

बचाव ही सुरक्षा


एक गाँव में एक व्यक्ति था जो भगवान की बहुत पूजा करता था।  गाँव में घोषणाएँ हुई कि बाढ़ का ख़तरा है गाँव को खाली कर देना चाहिए।  पूरा गाँव ऊँचे स्थान पर जाता है लेकिन व्यक्ति अपने घर में रहता है।  गाँव के सरपंच, कभी लम्बरदार, तो कभी सदस्य पंचायत, कुल पाँच व्यक्ति उसके पास  आते हैं।  वह आदमी कहता है कि मुझे अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है, वह मुझे विपत्ति का सामना करने से बचाएगा।  सभी अनुरोध करके चले जाते हैं वह नहीं मानता।  अंत में वही हुआ।  जब गाँव में बाढ़ आती है, तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।  जब वह भगवान के पास जाता है, तो वह भगवान से शिकायत करता है कि मैंने आपकी कितनी पूजा  की, परंतु आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए।  भगवान जवाब देता है कि मैं तुझे पांच बार बचाने आया, कभी सरपंच के रूप में, कभी सदस्य के रूप में, कभी रक्षक के रूप में।  लेकिन तुम्हारा खुद का इरादा मरने का था।
 इसलिए, प्यारे देश के नागरिकों, सरकारों एवं प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभा दी है।  ऐसा ना हो कि हमारी अपनी ही नियत मरने की हो।  तो आइए अपने-अपने घरों में रहकर अपना और अपने देश का बचाव करें।


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