बिरला घाट पर शुरू हुआ टाट वाले बाबा की स्मृति में कार्यक्रम



 हरिद्वार 4 दिसम्बर  दुर्लभ संत श्री श्री श्री टाट वाले बाबा जी की पुण्य स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय  34 वाँ वार्षिक  वेदान्त सम्मेलन का आयोजन टाट वाले बाबा जी की समाधि स्थल बिरला धाट पर आयोजित किया गया ।  वेदांत सम्मेलन का  सफल संचालन    प्रोफेसर डॉ एस के बत्रा  एवं संजय बत्रा  ने  किया

डॉ स्वामी हरिहरानंद  गरीबदासीय परम्परा ने टाट वाले बाबा को नमन करते हुए कहा कि धन की पवित्रता दान करने से ही है दशांश अर्थात दसवां भाग दान करना चाहिए। मन की पवित्रता के लिए हरि भजन तथा कथा श्रवण करना पड़ेगा

शरीर की पवित्रता के लिए गंगा स्नान से शीतलता प्राप्त होगी तन की पवित्रता के लिए शरीर का शुद्धिकरण करना होगा 

पवित्र मन से परमात्मा से मिलन में आसानी होती हैं। कुन्ठा को मन से हटाने से  मनोविकारों में  कमी आती है तथा मन पवित्र एवं आरोग्यता की प्राप्ति होती हैं। 

 डॉ हरिहरानंद ने आगे कहा कि टाट वाले बाबा परमात्मा का साकार स्वरूप है ।अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु ही है ।अज्ञान ही अंधकार है ,वेद कहते है ज्ञान की ओर बढ़ो ।भय,क्रोध,चिन्ता,आवेश आदि ऊर्जा है लेकिन इसे स्थान्तरण कर प्रेम में परिर्वर्तित कर प्रभु चरणों में अर्पित करना है

वेदान्त की इस कड़ी में स्वामी दिनेश दास ने कहा कि गुरू के चरणों से ही शक्ति मिलती है और गुरु चरणों से ही ज्ञान का बोध होने लगता है ।उन्होने अपने सम्बोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की ध्वजा को फहराने का कार्य करना है ।गुरु परम्परा को आगे ब़ढाने का कार्य भी युवा पीढ़ी के कंधे पर ही है ।गुरू की महिमा का वर्णन करते हुये कहा कि " हरि रुठे तो ठौर है,गुरु रुठे तो ठौर नहीं " ।  

इसी श्रृंखला में संत हरिहरानंद भक्त ऋषिकेश  ने कहा कि जिस मनुष्य ने दुःख नहीं देखा वह अभागा है ।दुःख से ही वैराग्य का भाव आता है ।शरीर सब पापों का पाप है ।बाहर के गुरू का कार्य अन्दर के गुरु का ज्ञान कराना है ।

 वेदांत सम्मेलन में बाबा हठयोगी ने वेदों के रहस्य उजागर करते हुये कहा कि शब्द ही ब्रह्म है ।आदिगुरू शंकराचार्य ने अद्वैतवाद की स्थापना की और कहा कि हम सभी परमपिता परमेश्वर का ही अंग है । उन्होनें कहा कि हमें दैहिक अंहकार को छोड़कर मायाजाल से मुक्त होना होगा ।कथनी और करनी के अन्तर को मिटाना होगा ।इस तरह के वेदान्त सम्मेलनों के माध्यम से यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति संभव है ।ज्ञान प्राप्ति के बाद संसारिक कर्म हमें बाँधते नहीं है ।हठयोगी जी न बताया कि सनातन धर्म की सभी क्रियाओं जैसे कीर्तन ,हवन,करतल ध्वनि,आरती ,तिलक ,आदि सभी का वैज्ञानिक तथ्य समाहित है ।

गुरु चरणानुरागी समिति के नेतृत्व में अध्यक्षा रचना मिश्रा, संजय बत्रा, सविजय शर्मा, सुरेन्द्र वोहरा, दीपक भारती, श्री मती मधु गौर, महेशी बहन, कृष्ण मयी माता, स्वामी हरिहरानंद भक्त जी के द्वारा  कार्यक्रम को    संयोजन किया गया

कार्यक्रम का आरम्भ गुरु वंदना के साथ हुआ ।  गुरु भक्त  महेशी बहन ,मधु बहन ,माता सन्तोष जी एवं बहन रैना जी ने भजन के माध्यम से टाट वाले बाबा जी के श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किये । इस अवसर पर बहन भावना, एवं प्रेम ने भाव भक्ति से परिपूर्ण अंत में आरती एवं भोग प्रसाद के बाद वेदान्त सम्मेलन के प्रथम दिवस का समापन हुआ ।

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