ग़ज़ल
न आने का ये तो बहाना नहीं है।
तो कह दो कि मौसम सुहाना नहीं है।।
उदासी है क्यों, ये खबर है तुम्हें भी।
अगर कोई पूछे बताना नहीं है।
तेरे ग़म के मारे कहां जा के बैठें।
सिवा मैकदे के ठिकाना नहीं है।।
समंदर की लहरों जरा सब्र रखना।
लिखा नाम जो है मिटाना नहीं है।।
नजर से भी लोगों की बच के गुजरना।
भले आदमी का जमाना नहीं है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
No comments:
Post a Comment