एस एम जैएन पी जी कॉलेज में लागू होगी नई शिक्षा नीति



*नयी शिक्षा नीति*

*संचार व्यवहार कौशल से सुधरेगा छात्रों का कम्युनिकेशन स्किल*

*वैदिक गणित, रामचरित्र मानस, गीता में प्रबन्धन, समय प्रबन्धन आदि वोकेशनल एवं कौशल विकास के विषयों का होगा समावेश*

हरिद्वार 28 जुलाई (आकांक्षा वर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) एस.एम.जे.एन. पी.जी. काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने आज नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान सत्र  से कालेज में नई शिक्षा नीति लागू कर दी जायेगी, जिसमें छात्र-छात्रा को अपने  संकाय से 06-06 क्रेडिट के दो मुख्य विषय तथा 06 क्रेडिट का तीसरा मुख्य विषय अन्य किसी संकाय से अथवा अपने संकाय से चयनित करना होगा। साथ ही 04 क्रेडिट का एक लघु इलेक्टिव विषय दूसरे  संकाय से लेना होगा, सभी पाठयक्रम में इलेक्टिव लघु विषय हेतु पाठयक्रमों का निर्माण किया गया है। उसी में से प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को उसका चयन करना होगा।

प्राचार्य डाॅ. बत्रा ने बताया कि तीसरा लघु विषय वोकेशनल/ स्किल डवलपमेंट कोर्स जो 03 क्रेडिट का है इस कोर्स को विद्यार्थी द्वारा आनलाईन मोड जैसे एनईपीटील , मूक,ई पाठशाला आदि से पाठ्यक्रम पूर्ण कर उसका प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसमें प्रत्येक सेमेस्टर के लिए प्रथम सेम में संचार कौशल, द्वितीय सैमेस्टर हेतु पर्यावरण अध्ययन और मूल्य शिक्षा, तृतीय सैमेस्टर हेतु भगवत गीता से प्रबन्धन प्रतिमान, चतुर्थ सैमेस्टर के लिए वैदिक ज्ञान/वैदिक गणित, पांचवे सैमेस्टर के लिए ध्यान मेडिटेशन /रामचरित्र मानस के अनुप्रयुक्त दर्शन के माध्यम से व्यक्तित्व विकास तथा छठे सेमेस्टर के लिए भारतीय ज्ञान का सार अथवा स्वामी विवेकानन्द का अध्ययन शामिल हैं। 

प्राचार्य डॉ बत्रा  ने बताया कि वोकेशनल/ स्किल डवलेमपमंट कोर्स, कौशल विषयों में ड्राईंग एण्ड स्केचिंग आफ ह्यूमन बोडी (टेटू), डिजास्टर मैनेजमेंट,आपदा प्रबंधन, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, आफिस आटोमेशन टूल्स, मशरूम कल्टीवेशन, टाईम मैनेजमेंट, वैदिक गणित, फूड टेस्टिंग एण्ड क्वालिटी कंट्रोल आदि विभिन्न रूचिवर्धक विषय शामिल किये गये हैं। डाॅ. बत्रा ने सत्र 2022-23 में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने वाले प्रवेशार्थियों से अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक प्रवेशित छात्र अपने रूचि के अनुसार ही अपनी संकाय तथा विषय का चुनाव निश्चित करेंगे। 

प्रो. बत्रा ने बताया कि नई शिक्षा नीति प्रत्येक विद्यार्थी के लिए सर्वांगीण विकास के लिए उपयोगी साबित होगी, अगर कोई छात्र-छात्रा स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश लेकर आगे की पढ़ाई नहीं करता है तो भी उसे पहले वर्ष में सर्टिफिकेट तथा इसी प्रकार दूसरे वर्ष में डिप्लोमा, तीसरे वर्ष में स्नातक डिग्री तथा चतुर्थ वर्ष में स्नातक डिग्री शोध सहित प्राप्त होगी, लेकिन इसके लिए विद्यार्थी को एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स के लिए 46 क्रेडिट, दो वर्षीय डिप्लोमा में 46 क्रेडिट, तीन वर्षीय स्नातक डिग्री हेतु 48 क्रेडिट, चार वर्षीय स्नातक डिग्री शोध सहित 184 क्रेडिट, स्नातकोत्तर डिग्री हेतु 232 क्रेडिट तथा पीजीडीआर हेतु 248 क्रेडिट प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।

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