ग़ज़ल
कोई सूरत नहीं निभाने की।
बात करते हो दिल दुखाने की।।
पास उनको वफा कहां कोई।
लग गई है हवा जमाने की।।
वस्ल की बात आज रहने दें।
रात है हिज्र को सजाने की।।
चैट करके तुम्हें फंसा देंगी।
लड़कियां हैं नये जमाने की।।
साफ कह दो अगर नहीं आना।
क्या जरूरत किसी बहाने की।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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