नानाजी देशमुख को उनके पावन जन्मोत्सव पर शत शत नमन

 राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख सिद्धांतवादीराजनीति के प्रणेता थे 



नानाजी देशमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सच्चे स्वयंसेवक थे ।जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र समर्पित कर दिया।इतना ही नहीं नव जाते-जाते अपनी देह भी राष्ट्र को समर्पित कर दी।ऐसे महापुरुष सदीयो  में कभी-कभी अवतरित   होते हैं।" तन समर्पित मन समर्पित और समर्पित प्राण है,मातृभूमि मन चाहता है मैं तुझे कुछ और भी दूूँ "  इन पंक्तियों को अपने जीवन से साकार करने वाले नानाजी देशमुख का जन्मआज ही के दिन हुआ था वेे जनसंघ के संस्थापक थे,1977 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल में नानाजी देशमुख ही थे जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता के साथ इस आंदोलन को सफल बनाया और भामाशाह बनकरअपना सर्वस्व राष्ट्र को सौंप दियाआज उनके पावन जन्मदिवस पर राष्ट्र ऋषि भारत रत्न नानाजी देशमुख जो समर्पित कार्यकर्ता बनकर रहे।उनके सिद्धांतों पर चलने की आवश्यकता है 60 वर्ष की उम्र में मंत्री बनने पर उन्होंने यह कह कर पद य़़व ठुकरा दिया था कि इस उम्र में समाज सेवा करनी चाहिए। यह उन लोगों के लिए एक सबक है जो अंतिम समय तक कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं। नानाजी देशमुख का समूचा जीवन अपने सिद्धांतों पर चलते हुए समाजसेवी व्यक्ति  के रूप में सदैव प्रेरणा देता रहेगा। उनके पावन जन्मदिन पर उन्हें शत शत नमन

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