राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जानना है तो इसमें शामिल होना पड़ेगा (अभिषेक जमदग्नि)




आज ही के दिन सन् 1925 में हमारे संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भी हुई। स्थापना शब्द बड़ा  है और संघ की आज की स्थित देखकर बाहरी व्यक्ति के मन में विचार आ सकता है की इतने विशाल संगठन की स्थापना में तो हजारों लोग एकत्रित हुये होंगे, बैंड बाजा रहा होगा, समाज के चिंतक विचारक आये होंगे। पर एैसा कुछ नहीं हुआ। स्थापना में थे कुछ खेल खेलते बच्चे और हमारे पूजनीय डॉ हेडगेवार जी। खेल खेलते उन बच्चों को शायद ही तब आभास रहा होगा की आज संघ इतना बड़ा हो जायेगा पर पूजनीय डॉ हेगडेवार जी को तो था और उन्होंने स्वयं के जीवन को बीज रूपी बनाकर मिट्टी में मिलाया तब एैसा संगठन रूपी वृक्ष तैयार हुआ। 


क्या अद्भुत संगठन है साहब ! कहीं कोई रजिस्ट्रेशन नहीं, कोई भर्ती नहीं, कोई फार्म नहीं, कोई प्रकिया नामक चीज नहीं, कोई नेता नहीं, कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं, कोई अमीर नहीं, कोई गरीब नहीं, कोई जातपात नहीं, कोई भाषण नहीं, कोई नारा नहीं, कोई ब्रैंड नहीं, कोई लोगो नहीं मतलब आज के समय में एैसा कोई संगठन हो सकता है एैसी कल्पना करना भी मुश्किल है। पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय हिंदु परंपरा की विशेषताओं का एक चित्र है, leadership training, Human resource management और human behaviour analysis जैसे Management के modern topics का यह भारतीय मॉडल है। 


समुद्र के अंदर क्या छुपा है यह समुद्र के बाहर बैठकर पता नहीं लगाया जा सकता। संघ को टीवी के, अखबार के, सोशल मिडीया के माध्यम से पढ़ा या देखा तो जा सकता है पर समझा नहीं जा सकता। आजकल तो  राजनीतिक दलों के एैसे नेता जो शीर्ष पर पहुँचे हैं उन्हें देखकर ही संघ को समझने का कुछ लोग प्रयास करने लगे हैं। 


जीवन में कुछ नई अनुभूती करनी है तो संघ में आईये , कुछ नया सीखने की चेष्टा है तो संघ में आईये, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझने व उनको निभाने लायक बनने की चेष्टा है तो संघ में आईये, किसी हिंदु भाई बहन को प्रताड़ित होता देख सीने में आग जलती है तो संघ में आईये, शारीरिक और मानसिक रूप से दक्ष बनने की हिम्मत रखते हैं तो संघ में आईये, Minimum input Maximum output सीखना है तो संघ में आईये, समाज के शोषित, वंचित वर्ग की सेवा करने का मन रखते हैं तो संघ में आइये और भारत माता की अराधना करनी है तो संघ में आईये। कहते हैं की संघ कुछ देता नहीं केवल लेता है परंतु संघ में काम करते करते करते आपको जो प्राप्त होता है उसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते, वह अनमोल है, वह अद्भुत है।  



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