बहुत दिन पहले की बात है, किसी एक शहर में एकही स्कूल के एकही क्लास में,तीन दोस्त पढ़ता था। एकही साथ क्लास में बैठना ,एक साथ ही खाना,और एक साथ ही घूमना तीनों में गहरी दोस्ती मानो तीन शरीर और एक जान हो। पहला दोस्त ब्रिलिएंट था जीवन में कभी द्वितीय श्रेणी नहीं हुआ हमेशा प्रथम ही रहा।सभी परीक्षा में टॉपर ही रहा। दूसरा दोस्त पढ़ने में ठीक ठाक था कभी फैल नहीं हुआ और तीसरा दोस्त पढ़ने में बिल्कुल बेकार था कभी फैल और कभी किसी तरह पास होता था।किन्तु हाथ सफाई में तेज था ।स्कूल से ही गलत लडको का साथ और गलत कम करना अच्छा लगता था।तीनों दोस्त पढाई शेष करके अलग अलग रास्ते चले गए।पहला दोस्त पढाई में तेज था अतः इंजिनियर बनके सरकरी नौकरी ज्वाइन किया और बादमें भारतीय रेल की चीफ इंजीनियर बा नगया।दूसरा दोस्त सिविल परक्षा पास करके सरकारी अधिकारी बंगाया । तीसरा दोस्त दीर्घ दिनों तक बे खबर रहा। ओ जानता था कि पढ़ना लिखना उसके बस का नहीं है। इसलिए वह राजनीति में चला गया और उसे टिकट भी मिलगाया और मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बनकर मंत्री भी बन गया । घटना क्रम से तीनों दोस्त आज एकही दफ़्तर में दोनो दोस्त तीसरे के आधीन होकर काम करने लगे।यह कोई कहानी नहीं है बल्कि एक सच्ची घटना है।पहला दोस्त ई श्रीधरन जो मेट्रो मैन के नाम से विख्यात हुआ ।जिनके देख रेख में दिल्ली की मेट्रो रेल दौर रहा है।
दूसरा दोस्त टी एन,सेसन भारत के रिटायर निर्वाचन अधिकारी।
तीसरा दोस्त के ,पी, उन्नीकृष्णन पांच बार लोक सभा के सदस्य और केंद्रीय मंत्री रह चुका है।है नाअद्भुत।
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