समर्पण भाव के साथ करे राष्ट्र सेवा

 !!आजादी का अमृत महोत्सव 

             भारत के सृजन का अमृत काल!!


कर्म किए बिना स्वतंत्रता आदर्श नहीं बन सकती। केवल भाषण से कुछ नहीं होने वाला। आज यह बहुत जरूरी हो गया है कि जो जहां भी है,जिस भी पद पर आसीन है,वह अपने दायित्व में सौ फीसदी प्रमाणिक ईमानदारी बरते और देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे।.....

 

75वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री का संबोधन गौरवशाली इतिहास और वर्तमान की चुनौतियों देश के उज्ज्वल भविष्य की ओर देखने की एक प्रेरक कोशिश है। लाल किले से अपने आठवें संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 25 वर्ष बाद जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे तो वह नए भारत के सृजन का अमृत काल होगा। उस अमृत काल में हमारे संकल्पों की सिद्धि हमें आजादी को अपने गौरवपूर्ण रूप से 100 वर्ष तक ले जाएगी।

वाकई अगर भारत सरकार ने आगामी 25 वर्षों में देश के विकास के लिए जी-जान लगा दिया,तो इसमें कोई शक नहीं कि भारत दुनिया में सबसे आदर्श लोकतांत्रिक महाशक्ति के रूप में चमक उठेगा। भारत की आबादी का गणित बताता है कि वर्ष 2035 तक भारत युवाओं का देश रहेगा,इसका सीधा सा मतलब है कि देश के लिए आगामी पंद्रह से बीस वर्ष बहुत महत्व रखते वाले हैं। इन वर्षों में अगर हम पूरी मेहनत,ईमानदारी और कौशल से आगे बढ़े,तो देश में सचमुच कमाल होने वाला है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बिल्कुल सही इशारा किया कि सरकारी नियमों व प्रक्रियाओं को लोगों के लिए बहुत आसान बनाना होगा। विगत सत्तर वर्षों से जो जकड़ रही है,उसे ढीला करने में वक्त लगेगा,लेकिन सरकारी विभागों,कर्मचारियों को समय के अनुसार ढलना पड़ेगा।आज किसी भी तरह का उद्यम करना या कोई नया काम करना पहले की तुलना में थोड़ा आसान हुआ है,लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। 

जब आगे बढ़ने की बात हो रही है,तो जाहिर है,प्रधानमंत्री ने हाल ही में संसद में ओबीसी समुदाय के आरक्षण से जुड़े विधेयक के पास होने का जिक्र किया। एक और खास बात कि प्रधानमंत्री ने देश को बदलने के लिए एक नया मंत्र दिया है। उन्होंने सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास को भी जोड़ा है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 

से लेकर सुभाषचंद्र बोस तक सभी वीर शहीदों को नमन किया और कहा कि देश इन सभी महापुरुषों का ऋणी है और हमेशा रहेगा। वाकई,स्वतंत्रता सेनानियों का जो हम पर ऋण है,उसे हमें हमेशा याद रखना चाहिए। हमें आजादी बैठे-बिठाए नहीं मिली थी। अत: हमें भी अपने देश को सशक्त करने में अपना पूरा योगदान देना चाहिए,जो हमारी शान और पहचान है।अपनी आजादी के इस मोड़ पर आज सभी को आत्मसमीक्षा करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने युवाओं का आह्वान करने के साथ ही कर्म के फल पर विश्वास जताया है। बिना कर्म स्वतंत्रता आदर्श नहीं बन सकती। केवल भाषण से कुछ नहीं होने वाला। आज यह बहुत जरूरी है कि जो भी जहां है,वहां वह अपने काम में सौ फीसदी ईमानदारी बरते और देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल और बदलते देश में बीस से ज्यादा उपलब्धियों का बखूबी बयान किया है,तो कोई आश्चर्य नहीं। इन उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर सभी को आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने चेताया है कि हमारे पास गंवाने के लिए एक पल भी नहीं है।यही समय है, सही समय है। नि:संदेह, शासन-प्रशासन चला रहे लोगों को भी नारों-आह्वान की रोशनी में चलते हुए आम लोगों के सामने आदर्श रखना होगा।

               (कमल किशोर डुकलान शिक्षाविद रूडकी) 


No comments:

Post a Comment

Featured Post

उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन अप्रैल में करेगा विशाल सम्मेलन ललित पंत बने संयोजक

* स्वतंत्रता सेनानी एवम् उत्तराधिकारी संगठन की प्रांतीय कार्यकारिणी बैठक हल्द्वानी में सम्पन्न*       सक्षम के उत्तराखंड प्रांत अध्यक्ष ललित...