हरिद्वार 22 नवंबर उत्तराखंड संस्कृत अकादमी (उत्तराखंड सरकार) द्वारा 16वें संस्कृत महोत्सव के अन्तर्गत राज्य स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिता का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया कार्यक्रम का उद्घाटन हरिद्वार नगर के माननीय विधायक मदन कौशिक, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चन्द्र शास्त्री, उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेमचन्द शास्त्री, रामानुज श्री वैष्णव संस्कृत महाविद्यालय खड़खड़ी हरिद्वार के पूर्व प्राचार्य एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर ओमप्रकाश भट्ट, उपनिदेशक संस्कृत शिक्षा डॉक्टर पद्माकर मिश्र तथा उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉक्टर वाजश्रवा आर्य के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का संचालन उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डॉक्टर हरीश चन्द्र गुरुरानी द्वारा किया गया । उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ वाजश्रवा आर्य ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण एवं स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर हरिद्वार नगर के विधायक एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय मदन कौशिक ने आगन्तुक महानुभावों एवं उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए हुए प्रतिभागियों का स्वागत किया। माननीय विधायक महोदय ने संस्कृत के संवर्धन हेतु आगामी वर्षों में संस्कृत की समस्याओं का शासन के स्तर पर निदान करने का आश्वासन दिया तथा संस्कृत प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। विधायक महोदय ने कहा कि संस्कृत अकादमी और संस्कृत विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों द्वारा आयोजित विभिन्न क्रियाकलापों से ही संस्कृत का प्रचार प्रसार तथा संवर्धन सम्भव हो सकता है।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर दिनेश चन्द्र शास्त्री ने राज्य स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिता में प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों से आए हुए सभी प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि प्रत्येक छात्र के मन में प्रतियोगिता की प्रतिस्पर्धा का भाव सदैव रहना चाहिए। प्रतिस्पर्धा की भावना ही मानव का सर्वांगीण विकास कर सकती है। रामानुज श्री वैष्णव संस्कृत महाविद्यालय खडखड़ी हरिद्वार के पूर्व प्राचार्य एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर ओमप्रकाश भट्ट ने संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत के संवर्धन हेतु प्रत्येक संस्कृत मनीषियों एवं उत्तराखण्ड सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। डॉक्टर भट्ट ने कहा की वास्तव में प्रतियोगिता की भावना हमें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेमचन्द शास्त्री ने संस्कृत क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु हरिद्वार नगर के विधायक माननीय मदन कौशिक का आभार व्यक्त किया।शास्त्री जी ने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृतभारती तथा संस्कृत शिक्षा परिषद आदि संस्कृत को समर्पित संस्थाएं अनवरत रूप से संस्कृत हित में कार्य कर रही है। प्रोफेसर शास्त्री ने कहा ऐसी विशिष्ट संस्कृत प्रतियोगिताएं संस्कृत के प्रचार प्रसार के साथ ही छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास करने में सहायक है।
उद्घाटन सत्र के बाद कनिष्ठ वर्ग में संस्कृत आशुभाषण प्रतियोगिता, संस्कृत समूहनृत्य प्रतियोगिता, संस्कृत समूहगान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसी प्रकार वरिष्ठ वर्ग में संस्कृत आशुभाषण प्रतियोगिता, संस्कृत नाटक प्रतियोगिता, संस्कृत समूहनृत्य प्रतियोगिता, संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजन किया गया ।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में निर्णायक मंडल हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय तथा प्रतिष्ठित संस्थाओं से पधारे हुए विद्वतगण आचार्य, सह आचार्य, सहायक आचार्य निर्णायक के रूप में उपस्थित रहे। डॉक्टर हरीश चन्द्र गुरुरानी द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीआरटी) दिल्ली की 14 सदस्य टीम द्वारा समस्त प्रतियोगिताओं की रिकॉर्डिंग की जा रही है जिसका प्रचार प्रसार अखिल भारतीय स्तर पर किया जाएगा।
इस अवसर पर देहरादून के सहायक निदेशक डॉक्टर चण्डी प्रसाद घिल्डियाल, नैनीताल से यशोदा प्रसाद सेमल्टी, डॉक्टर दामोदर परगांई डॉक्टर नवीन पन्त, डॉक्टर प्रकाश चंद्र पन्त, डॉक्टर वाणी भूषण भट्ट, डॉक्टर नरेन्द्र पांडेय, रोशनलाल गौड, डॉ श्यामलाल गौड, डॉक्टर सुशील कुमार त्यागी, डॉक्टर राधेश्याम बहुखंडी, प्रकाश तिवारी, मनोज शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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