शायरो की महफिल

 ग़ज़ल 


वो हमें क्या याद आने लग गए।

जख्म दिल के मुस्कुराने लग गए।।


बेयकींनी आज इतनी बढ़ गई।


यार हमको आजमाने लग गए।।


देखकर अहबाब सब हैरान हैं।

हम कमाने और खाने लग गए।।


भीड़ में हम और तन्हा हो गए।

वो हमें जब याद आने लग गए।।


याद जो उनकी दिलाते थे हमें।

अब के वो मौसम ठिकाने लग गए।।


हिचकियां ही हिचकियां आने लगी।

वो हमें जब भी भुलाने लग गए।।


खैर हो अब जिंदगी की खैर हो।

अब तो वो मिलने मिलाने लग गए।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 

09455485094

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