कांग्रेस से मित्रता निभा रही है धामी सरकार


 मृत्युंजय मिश्रा पर क्यों मेहरबान है धामी सरकार ?

उत्तराखंड प्रदेश शासन  ने  उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से जुड़े  घपलो और अनियमितताओं की जांच विजिलेंस को सौंपी है जबकि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर ही यह विश्वविद्यालय घपलों का गढ बना हुआ है लेकिन सरकार ने कांग्रेस सरकार से अपनी मित्रता निभाते हुए केवल 2017 से ही आयुर्वेद विश्वविद्यालय से जुड़े मामलों की जांच विजिलेंस को सौंप कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। सचिव शैलेश बगोली के इस आदेश में जहां पूर्व में जेल रहे कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा का बचाव किया है वही हरीश रावत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए सुरेंद्र नेगी के समय के हुए घपलों की जांच ना कर केवल दो हजार सत्रह अट्ठारह के बीच हुए घपलो अनियमितताओं को जांच का दायरा बनाकर एक ओर जहां मृत्युंजय मिश्रा का बचाव किया है वही डॉक्टर सुनील जोशी जो कुलपति भी है उनकी नियुक्ति को लेकर भी जांच करवाने का निर्णय लिया है जबकि मृत्युंजय मिश्रा ने करोड़ों रुपए के घोटाले हरक सिंह रावत के संरक्षण में किए विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि मृत्युंजय मिश्रा को लेकर जहां सरकार हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कह रही है कि मृत्युंजय मिश्रा का उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से कोई संबंध नहीं है वही विश्वविद्यालय प्रशासन पर उनका वेतन जारी करने का भी दबाव बनाया जा रहा है ।कुल मिलाकर धामी सरकार भ्रष्ट सजायाफ्ता मृत्युंजय मिश्रा के बचाव में दिखाई दे रही है। क्या यही है जीरो टॉलरेंस की नीति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मामले को तो देख कर लगता है कि ईमानदार लोगों पर सितम और बेईमानो पर करम की नीति पर चल रही है धामी सरकार ।

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