भारतीय संस्कृति का आधार है मातृशक्ति :- साध्वी भगवती सरस्वती
ऋषिकेश 3 मार्च ( संजय वर्मा )
बंधु परिषद राष्ट्रीय महिला समितिकी साधारण सभा की बैठक में स्वामी चिदानंद मुनि की शिष्या साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि विश्व में भारतीय संस्कृति महान है। जिसके मूल में शक्ति समाहित है। जिसका स्वरूप मातृ शक्ति के रूप में प्रकट होता है ।वन बंधु परिषद राष्ट्रीय महिला समिति भारत में मातृशक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए वनवासियों का उत्थान कर रही है जो एक प्रशंसनीय औरअनुकरणीय कार्य है ।सेवा, शिक्षा और संस्कार को आधार बनाकर वन बंधु परिषद राष्ट्रीय महिला समिति वनवासियों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है । जो एक राष्ट्र सेवा का अनुपम उदाहरण है। इससे पूर्वआमंत्रित अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।जिसमें राष्ट्रीय महिला समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष लता मालपानीने अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें महिला समिति की योजनाओं जैसे सैनिक सम्मान, योजना शबरी योजना ,एकल विद्यालय योजना आदि के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि कि वन बंधुओं ने आदिकाल से ही समाज से दूर रहते हुए भी राष्ट्र के उत्थान में अपना योगदान दिया है। भगवान राम से लेकर महाराणा प्रताप तक का इतिहास आदिवासियों वनवासियों के समाज के प्रति समर्पण, देश प्रेम से ओतप्रोत रहा है ।भगवान राम ने शबरी के बेर खाकर समाज में समरसता का संदेश दिया था वही भील भालू आदि के साथ मिलकर असत्य रूपी रावण का संहार कर धर्म की स्थापना की थी । वन बंधु परिषद नेशनल के वर्किंग प्रेसिडेंट रमेश महेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा कि सेवा कार्य में लोगों को प्रेरित करना बड़ा काम है ।जिसमें हर सदस्य के प्रति समान भाव रखना आवश्यक है ।उन्होंने देश की वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की प्रगति का मापदंड भौतिक समृद्धि ना होकर नैतिकता, राष्ट्रभक्ति होना चाहिए समारोह का संचालन राष्ट्रीय महिला समिति की सेक्रेटरी विनीता जाजू ने किय। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों को शॉल पुष्प कुछ देकर उनका सम्मान किया गया समारोह में रत्नीदेवी काबरा, पुष्पा मुद्रा, गीता ,नीमा जैन ,विमल दमानी, उमा ,शशि काबरा, शांता शारडा, उमा सहित समिति के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे ।इस कार्यशाला में 33 समितियों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने मिलकर संस्था की प्रगति लेखा-जोखा और भविष्य की योजनाओं के विषय में विचार विमर्श किया इसके पश्चात साध्वी भगवती सरस्वती के सानिध्य में सांयकाल सभी आगंतुकों ने परमार्थ घाट पर गंगा आरती में भाग लिया।
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