स्पेशल बच्चों में होती है विलक्षण प्रतिभा, तराशने की जरूरत : विभास मिश्रा
हरिद्वार 17 अक्टूबर (वीरेंद्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार )
व्योम फाउंडेशन: भोज-भंडारा, मठ- मंदिर, साधु-संत, अखाड़े-आश्रम, पूजा-पाठ गंगा के लिए प्रसिद्ध
तीर्थ नगरी हरिद्वार में एक ऐसा भी संस्थान है जहां विलक्षण प्रतिभा वाले
स्पेशल बच्चों को सामानांतर धारा में लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है। यह ऐसे बच्चे हैं जिनके जन्म लेते ही माता पिता कुंठित हो जाते हैं। उचित प्रशिक्षण के अभाव में बच्चों के साथ उनके माता- पिता घुट-घुट कर जीते हैं। ऐसे बच्चों एवं उनके अभिभावकों में आशा की किरण जगाई है व्योम फाउंडेशन के संस्थापक विभास मिश्रा ने। उन्होंने संस्था के तहत बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देकर बच्चों और उनके अभिभावकों को जीने का नया आयाम दिया है। विभाष मिश्रा का संकल्प है कि ऐसे सभी बच्चों को जिनके क्ष मानसिक एवं शारीरिक विकास में समस्या है। उन्हें प्रशिक्षण देकर दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को सही समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाए तो वह भी भविष्य में अपने आप को होनहार के रूप में स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने सामान्य तौर पर महसूस किया कि ऐसे बच्चों में विलक्षण प्रतिभा होती है। जरूरत है उन्हें समय पर निखारने की और व्योम फाउंडेशन इसी लक्ष्य पर कार्य कर रहा है। जिसमें सभी लोगों के सहयोग की आवश्यकता है।
विभाष मिश्रा ने कहा स्पेशल बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह हंसते खेलते देखना चाहते हैं। लेकिन कई लोग जो आर्थिक अभाव के चलते मजबूरी में बच्चों का इलाज कराने के लिए सक्षम नहीं है। उनके पास सामर्थ्य नहीं है और बच्चे के भविष्य को अंधकार में देखकर घुट घुट कर जीने के लिए मजबूर हैं। व्योम फाउंडेशन ने सकारात्मक सोच के साथ शुरुआत की थी लेकिन करोना महामारी के चलते अभियान में विराम लग गया था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पूर्व नियमित स्तर पर प्रशिक्षण शिविर चला रहे थे।लेकिन लॉकडाउन के दौरान बंद कर दिया गया था। अब स्थिति सामान्य होने पर पुनः प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किते जाने पर विचार कर रहे है। विभास मिश्रा ने कहा अभी तक उन्होंने स्वयं के खर्चे से संस्था चलाने का प्रयास किया है लेकिन वह वृहद स्तर पर चलाने के लिए अन्य लोगों के सहयोग की भी आवश्यकता है। ऐसे में समाज के संभ्रांत लोगों से अपील करते हैं कि वह भी स्पेशल बच्चों की मदद के लिए आगे आए।
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