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भारत मैं अंतरिक्ष अनुसंधान के संस्थापक थे डॉ विक्रम साराभाई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की स्थापना विक्रम साराभाई ने की थी यह इतना आसान नहीं थाइसके लिए पहले विक्रम साराभाईकोसरकार कोमनानापड़ासाथ ही समझाना पड़ा कि भारत के लिए इसरो की स्थापना कितनी जरूरी हैडॉक्टर साराभाई ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुएसरकार को समझाया थाजिसके बाद 15 अगस्त1969में इसरो की स्थापना हुईविक्रम अंबालाल साराभाईका जन्म अहमदाबाद में12 अगस्त 1919 को हुआ थाउनके पिता अंबालाल साराभाईएक उद्योगपति थे तथा गुजरात में कई मिलो के स्वामी थे कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की कोई भी व्यक्ति बिना किसी डर याहीन भावना के डॉक्टर साराभाई से मिल सकता था फिर चाहे संगठन में उसका कोई भी पद क्यों ना रहा होसाराभाई उसे प्रदा बैठने के लिए कहतेवह बराबरी के स्तर पर उनसे बातचीत कर सकता था व्यक्ति विशेष को सम्मान देने में विश्वास रखते थे अनेक विशेषताएं उनके व्यक्तित्व में समाहित थी उनकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे ऐसे उच्च कोटी के इंसान थे जिसके मन में दूसरों के प्रति असाधारण सहानुभूति थी वह एक ऐसे व्यक्ति थेकि जो भी उनके संपर्क में आता उनसे प्रभावित हुए बिना ना रहता वह जिनके साथ भी बातचीत करते उनके साथ फौरी तौर पर व्यक्तिगत सौहार्द स्थापित कर लेते थे ऐसा इसलिए संभव हो पाता था क्योंकि वे लोगों केहृदय में अपने लिए आदर और विश्वास की जगह बना लेते थे और उन पर अपनी इमानदारी की छाप छोड़ जाते थे विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे हीरो ने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं 40 संस्थान खोलें इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था डॉ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकतायह जग प्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ठीक है जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया लेकिन के साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र भी सचआणविक ऊर्जाइलेक्ट्रॉनिक और अन्य क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया विज्ञान जगत में देश का परचम लहराने वाले इस महान वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई का निधन 30 दिसंबर 1971 को कोवलम तिरुअनंतपुरम केरल में हुआ था।
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