श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्र को महाविद्यालय को फर्जी तरीके से कब्जाये
जाने के आरोप में भले ही कोर्ट से जमानत मिल गई हो लेकिन उनकी मुसीबतें कम नहीं हो रही है केंद्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया है उधर पूरे मामले की जांच कर रही पुलिस ने भी इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है और प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्र जेल से बाहर तो आ गए हैं लेकिन वह निलंबित कर दिए गए हैं और इसके साथ ही मामले के अन्य अन्य आरोपी पूर्व प्रचार्य भोला झा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति महावीर अग्रवाल जिन्होंने कोर्ट से अरेस्टिंग स्टटे लिया हुआ है अब चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद उनकी मुसीबतें बढ़ना तय माना जा रहा है प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी रुपेन्द्र प्रकाश ने बताया कि निरंजन मिश्र के निलंबन का समाचार पत्रकारों से प्राप्त हुआ है लेकिन कोई आदेश मीडिया को नहीं दिया गया है क्योंकि इस मामले में अपराधिक मुकदमे में पूर्व कार्यवाहक प्रधानाचार्य जेल गए थे सरकारी कर्मचारी की नियमानुसार जेल जाने पर कुछ समय बाद बर्खास्त की आवश्यक है इसी क्रम में हुई है माननीय उच्च न्यायालय से जमानत पर रिहा है और आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल हो चुका है उन्होंने कहा कि मेरी भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मांग है कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति को आदेशित करें कि निरंजन मिश्र
को बर्खास्त किया जाए और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई जाए जो निष्पक्ष होकर इस मामले की जांच करें
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