बुरा न माने लेकिन यह सत्य है

 भरी जेठ माह की गर्मी 



में पर्यावरण दिवस 😊

हरेला 16 जुलाई और हरियाली तीज 11 अगस्त को पड़ रहा है।ये दोनों वर्षा ऋतु में पड़ते हैं 


पर प्रोग्रेसिव हिन्दू समाज अपना छोड़कर दूसरों का अपनाने की होड़ में हैं भरी गर्मी में वृक्षारोपण के फोटो देखकर माथा पीटने का ही मन कर रहा है ... 


हरा भरा पेड़ कटकर दिस-मस दैट-मस मनाने वाले सांस्कृतिक रुप से गरीब लोगों को अब पता चला कि अरे पर्यावरण भी कोई चीज है, इसे बचाना भी आवश्यक है, उनका पेड़ काटू त्यौहार फ्रॉड है 

इसलिए डे मनाना शुरू हुए जैसे मदर, फादर, ब्रदर डे और इसी तरह "एनवायरमेंट डे"


पर... 


वैचारिक रुप से शून्य हो चुके "धनपशु हिन्दू" को आज पर्यावरण दिवस मनाकर अपने को फेसबुक पर पर्यावरण प्रेमी दिखाना है  


अरे भाई तुम्हारी संस्कृति में पेड़ पौधे ही नहीं अपितु साँप बिच्छू जैसे जहरीले प्राणियों से लेकर उल्लू तक  का महत्व दर्शाया गया है 


आज 5 जून को "विश्व पर्यावरण दिवस" मना रहा हैं,

नये पौधे लग रहे हैं। आधुनिक और ज्ञानी समझने वाले भारतीय अपनी परम्परा से कटकर सिर्फ "दिवस" मनाने में बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं।


ग्रीष्म काल का ज्येष्ठ माह जो इस ऋतु का यौवनकाल अर्थात भीषण गर्मी का मौसम होता है, इस मौसम में ना मिट्टी में नमी होती है, ना बारिश होती है,धरती प्यास से आकुल-व्याकुल रहती है,प्यासे पेड़-पौधे,जीव-जंतु त्राहिमाम करते रहते हैं ,ऐसी प्राकृतिक विपरीत काल में लोग नये पौधे लगाने की होड़ लगाए हुए हैं जिन पौधे का जीवित रहना असम्भव है।क्योंकि जबतक धरती से नमी न मिलेगी ,पौधे जीवित रह पल्लवित न होंगे।


इसलिए भारतीय परम्परा में बर्षा ऋतु में वृक्षारोपण की जाती है।वर्षा ऋतु का प्रथम माह आषाढ़ के पन्द्रह दिन व्यतीत हो जाने के बाद (जिससे धरती पूरी तरह मुलायम हो जाती है) वृक्षारोपण का काम किया जाता है।धरती की नमी वृक्षों को प्रसन्नचित्त हो पल्लवित करती है।पौधे खूब तेजी से बढ़ते हैं।सावन-भादों की हरियाली से कौन अनभिज्ञ है।


क्रिस्तानी "दिवस,डे " का अंधानुकरण न कर अपनी वैज्ञानिक परम्परा से जुड़ना बुद्धिमानी है।

अपने को दरिद्र समझ क्रिस्तानी के सिर्फ एक दिवस को महिमामण्डित न कर अपने तीन माह के वर्षाऋतु में वृक्षारोपण करें।


उन सांस्कृतिक गरीबों को मनाने दो भरी गर्मी में पर्यावरण दिवस तुम तो अपनी लीक से मत हटो 🙏


वर्षा ऋतु आने वाली है तैयारी कर लो 

हमारे त्यौहार ही हमारे पर्यावरण_दिवस हैं 

ओ३म्

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