उदासीन परम्परा को समृद्ध कर रहे है स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश
हरिद्वार 31 मार्च तीर्थ नगरी हरिद्वार आध्यात्मिक राजधानी होने के साथ साथ सेवा की नगरी भी है जँहा पर भूखे को भोजन, तीर्थयात्रीयो को आश्रय और बिमार को निःशुल्क दवाई मिलती है। इसी श्रृंखला में उदासीन परम्परा की धार्मिक संस्था प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश जी महाराज के नेतृत्व में उदासीन परम्परा की सेवा और सुमिरन के पक्ष को निरंतर आगे बढा रही हैं। अपने छोटे से सेवा काल में जिस प्रकार स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश ने विवादो में पड़ी संस्था को विपत्तियो के भँवर से निकाल कर तीर्थ नगरी में प्रतिष्ठित किया है वह प्रशंसनीय है। उदासीन परम्परा में जिस प्रकार ब्रह्मलीन जगद् गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य शून्य से शिखर तक पहुँचे थे उसी प्रकार स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश अपनी कार्यशैली और पुरुषार्थ के चलते नित नये आयाम स्थापित कर रहे हैं। स्वामी राम प्रकाश धर्मार्थ चिकित्सालय इस का एक उद्धाहरण है और प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत बनने से लेकर उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने का सफर एक के बाद उनकी योग्यता और भविष्य में आध्यात्मिक क्षेत्र में प्राप्त होने वाली उपलब्धियो की शुरुआत है। स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज आगामी 6 अप्रैल को उदासीन पंचायती अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने जा रहे हैं। जिससे संत समाज में एक प्रसन्नता का माहौल बना हुआ है।
No comments:
Post a Comment