दुनिया लाख बुरा चाहे तो क्या होता है,,,,,,,,

*जिंदगी की सच्चाई 


मांगी हुई खुशियों से,*
         *किसका भला होता है,*


*किस्मत में जो लिखा है,*
         *उतना ही अदा होता है,*


*न डर रे मन दुनिया से,*
       *यहाँ किसी के चाहने से,*


*किसी का बुरा नहीँ होता है,*
                
 *मिलता वही, है*
*जो हमने बोया होता है,*
            
  


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