वक्त की नजाकत को समझो यार

जरा फांसले से मिला करो


किसे पता था कि शायर बशीर बद्र की लिखी ये पंक्तियां एक दिन सारी दुनिया की सच्चाई बन  जाएंगी ....


 


यूँ ही बे-सबब न फिरा करो
कोई शाम घर भी रहा करो


कोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से
ये नये मिज़ाज का शहर है
ज़रा फ़ासले से मिला करो👌
#StayHomeसाभार डा0 एस के बत्रा 


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