भगवान शिव, कृष्ण और राम


  • भगवान शिव और कृष्ण प्रकृति के पंच रूपो के संरक्षक 

  •  

  • आदिवासी  स्वरूप के  प्रतीक 
    ग़रीब मजदूर दलित वनवासी के प्रतीक 
    सर्जन के प्रतीक 
    उपमहाद्वीप के प्राचीनतम देव , 
    यद्यपि सनातन या हिंदू धर्म में बहुत बाद में सम्मिलन हुआ ,


किंतु अपने अल्लोकिक अनुपम अद्वित्या व्यक्तितत्व के बल श्रेष्ठ ।


 भगवान राम, शिव तथा हनुमान 
नगर या वैष्णव या सुसंस्कृत या ओपचारिक संस्कृति से परे  आदिवासी सभ्यता संस्कृति के वाहक और संरक्षक,भीलो,आदिवासियो के संगठक उन्हें अन्याय के विरूद्ध संघर्ष करना सीखाने वाले भगवान राम 


 


  
एक पर्वतवासी एक वनवासी 
एक भस्म धारी एक रंग धारी 
सिंगार कुछ नहीं वरण कुछ आँचलिक ग्रामीण आदिवासी वस्तुओं के धारक .दोनो के बिना हिंदू धर्म का कल्याण नहीं . दोनो के बिना हिंदूधर्म अधूरा .
दोनो ब्रह्मचर्य योग त्याग अपरिग्रह के सर्वोत्तम प्रतीक 
और इनसे पहले हिंदू धर्म नितांत भोतिकवादी .
देव केवल अपने हितार्थ कर्मशील .
वेदिक मंत्रो यज्ञ ज्ञान से पूर्ण एक वर्ण से शिव ख़ुश नहीं होते 
वे तप भक्ति के अनुरागी हैं 


चिता की सफ़ेद भस्म अंगराग 
कपाल सर का आभूषण 
चंद्रमॉ की कला मस्तक पर विद्यमान 
साँप से लिपटे शिव विवाह को जाते हैं 
ये ही उनका रूप है 
प्राकृतिक आदिवासी 
ऋग्वेद या अन्य वेद या अन्य शास्त्रों की देव माला की भाँति भोतिकवादी नहीं शिव . राम और 
कृष्ण भी उनकी भाँति प्राकृतिक व आँचलिक हैं .लेकिन 
शिव शिव हैं .वे महादेव है। 


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