सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य

 


सिकंदर नहीं सम्राट चन्द्रगुप्त महान थे 


आइये  जाने सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के बारे मे 


चन्द्रगुप्त मौर्य शाक्य वंश की शाखा मोरिय कुल से थे । 
चन्द्रगुप्त मौर्य मगध सेना में एक सैनिक थे किन्तु अपनी कार्य कुशलता के कारण उन्होने जल्द ही सेनापति के पद को सुशोभित किया| किन्तु घनानन्द के दुर्व्यवहार के खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई जिसके कारण इन्हें मृत्यु दण्ड मिला पर चन्द्रगुप्त मगध से भागने में सफल रहे ।
चन्द्रगुप्त अपने साथियों के साथ विध्यांचल के जंगलों में चले गये । विध्यांचल के जंगलो और पहाड़ों पर रहने वालो युवकों को साथ लेकर एक सेना का गठन किया| ये सेना जानवरों की खाल पहनते थे और चेहरे पर गोरिल्ला का मुखौटा पहनते थे जिसके कारण इस सेना का नाम गोरिल्ला सेना पड़ा जो छापामार युद्ध की रणनीति में माहिर थे । 
विश्वविजय का सपना लिये सिकन्दर पोरस को हराने के बाद उससे सन्धि कर पंजाब तक आ पहुचां था| पंजाब में चन्द्रगुप्त मौर्य  सिकन्दर से मिले | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य के स्वतन्त्र विचार सिकन्दर को पसन्द न आये | सिकन्दर ने चन्द्रगुप्त मौर्य का वध करने का आदेश दे दिया | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य अपनी कुटिनीति से बच निकले और सिकन्दर से बदला लेने की ठान ली | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य जनते थे की उनकी छोटी सेना, सिकन्दर की विशाल सेना का सामना नही कर सकती | किन्तु उन्हें अपनी सेना कि काबिलियत पर पूरा भरोसा था | पहाड़ो और जंगलो में रहने के कारण उनकी सेना पहाड़ो और जंगलो में युद्ध करने में माहिर थी और जंगलों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ भी जबकि सिकन्दर की सेना जंगल के रास्तों से अनभिज्ञय थी | 
चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसी का फायदा उठाया जब सिकन्दर अपनी सेना के साथ पंजाब के जंगलो से होकर उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा था | चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसकी सेना पर आक्रमण कर दिया और सिकन्दर पर अपना निशाना साधा | चन्द्रगुप्त मौर्य ने सिकन्दर को एक विषैला बाण मारा जो सिकन्दर के शीने में जा लगा और सिकन्दर घायल हो वही गिर पड़ा | उसकी सेना सिकन्दर को ले वही से लौट गई |
जहर धीरे-धीरे सिकन्दर के शरीर में फैलता गया | यूनान वापस जाते वक्त बगदाद के पास बेबीलोन में फैलते विष के कारण 323 ई पु उसकी मृत्यु हो गई । 
" इसका उल्लेख इंग्लिश फ़िल्म अलेक्जेंडर में भी दिखाया गया है ।"
सिकन्दर को हराने के बाद सम्पूर्ण पंजाब पर सम्राट  चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिपत्य हो गया | पंजाब विजय के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना और शक्तिशाली हो गई थी | घनानन्द के अत्याचार से परेशान अन्य राजा भी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ आ गये | जिसमे कुलूत का राजा चित्रवर्मा, मलय का राजा सिंहनन्द, कुण्डलवन (कश्मीर) का राजा पुष्कराक्ष, सिन्धु का राजा सिन्धुषण और पारसी का राजा मेघाक्ष प्रमुख थे | 
चन्द्रगुप्त मौर्य  मगध को कूटनीतिक रूप से घेर लिये थे। भीषण युद्ध के बाद अत्याचारी  घनानन्द को बंदी बनाया गया | तभी राजा प्रवर्धक इस मगध का आधा भाग हड़पने की कोशिश किया , किन्तु  सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य  की कुटनीति द्वारा प्रवर्धक और उसके पुत्र मलयकेतु को भी बंदी बना लिया गया | इस तरह सम्पूर्ण मगध पर चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिपत्य हो गया | 321 ई. पू.  चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्याभिषेक हुआ


No comments:

Post a Comment

Featured Post

अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पारित करने पर मुख्यमंत्री का आभार

      अल्पसंख्यकों के हित में है अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक :- गुरदीप सिंह सोहता         देहरादून 22 अगस्त   राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग , भारत ...