श्री राम कथा का छठा दिवस


  1.  मैय्या री तूने क्या ठानी मन में राम सिया भेज दियो वन में 


हरिद्वार 10 दिसंबर श्री रामचरित मानस कथा के छठे दिवस भगवान राम के राज्यभिषेक का पावन प्रसंग श्रवण कराते हुए कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि शुभ संकल्प को मन में आते ही पूर्ण कर देना चाहिए, मन और ग्रहो की दशा कब बदल जाऐ ये किसी को भी नहीं पाता उन्हों ने कहा कि जब भी मन में दान, तीर्थयात्रा, अनुष्ठान करने का भाव जागे उसके लिए मुहर्त की प्रतिक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि अच्छे काम मे क्या मुहर्त देखना हाँ बूरा काम करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए।
कुबुद्धि ही मंथरा है, जो दुखो का कारण बनता है। कुबुद्धि रूपी मंथारा हमारे आसपास रहती हैं और वह मन में भेदभाव के रूप में हमेशा हमारे साथ रहती हैं जो परिवरो में कलह, और विघटन का कारण बनती है। भगवान राम को वनवास का कारण मंथारा की कुटिलता बनी, कथा व्यास ने कहा घर के विदवेश के समय बडे बडे ज्ञानी, तपस्वी विवेक खो बैठते है और यही स्थिति राजा दशरथ की कैकयी के समक्ष हुई जब कैकयी ने राम को वनवास देने का वरदान माँगा। कथा के छठे दिवस कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने भगवान राम के वन गमन का बडा ही मार्मिक प्रसंग श्रवण कराया।
 मध्य हरिद्वार के खूबसूरत कम्पाउण्ड में विगत पांच दिनों से विश्व कल्याण और जन कल्याण के लिए अयोजित श्री रामचरित मानस कथा मे प्रति दिन राजनेताओ, संत महंतजनो और विशिष्टजनो का आगमन हो रहा है।
कथा के मध्य उत्तराखंड सरकार में मंत्री रेखा आर्य का आगमन हुआ जिनका स्वागत कथा के संयोजक मुकेश कौशिक, जगदीश लाल पाहवा, आनिल कुमार, अन्नू कक्कड, बबीता शर्मा प्रमोद पाँधी, आलोक शर्मा, नरेश शर्मा, रमेश गौड, प्रमोद शर्मा, विश्वास सक्सेना ,आर के शर्मा आदि ने किया।


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