मनमोहन के मन की


  • मनमोहन सरकार क्या चाहती थी, ये मत भूलना


जब मनमोहन सिंह ने 2012 में जो कानून 
बनाया था “सांप्रदायिक हिंसा निवारण बिल 
2012″ वह किसके खिलाफ था और किस 
हद तक खिलाफ था 


जरा एक बार गूगल पर सांप्रदायिक हिंसा 
निवारण बिल 2012 सर्च करिए और इस 
बिल के प्रावधान पढ़िए
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अगर वह बिल भारत में लागू हो जाता तो 
आज भारत में हिंदू एक दोयम दर्जे का 
नागरिक बनकर रह जाता क्योंकि इस 
कानून की पहली लाइन थी कि 


हिंदू आदतन दंगाई होते हैं और किसी भी 
दंगे में चाहे पीड़ित कोई भी हो मुकदमा 
सिर्फ हिंदुओं पर दर्ज किया जाएगा और 
यदि हिंदू मुस्लिम दंगे के दौरान किसी 
हिंदू लड़की का बलात्कार होता है तो 
किसी भी मुस्लिम पर बलात्कार का केस 
दर्ज नहीं किया जाएगा 
लेकिन 
यदि किसी मुस्लिम का बलात्कार होता है 
तब हिंदुओं पर बलात्कार का केस दर्ज किया 
जाएगा क्योंकि हिंदू आदतन बलात्कारी होते 
हैं यह मैं नहीं कह रहा हूं इस बिल में लिखा है


गूगल पर आज भी इस बिल की प्रतियां 
मौजूद हैं। आप खुद पढ़ लीजिए


और सबसे महत्वपूर्ण बात सांप्रदायिक दंगों 
में किसी भी हिंदू को कोई मुआवजा नहीं दिया 
जाएगा मुआवजा पाने का हकदार सिर्फ 
मुस्लिम होगा।


और यह कानून सोनिया गांधी और अहमद 
पटेल के दिमाग की उपज थी और इस कानून 
का पूरा ड्राफ्ट सोनिया गांधी की अपनी निजी 
कमेटी एनएसी यानी नेशनल एडवाइजरी 
काउंसिल ने बनाया था 


इस कमेटी में तीस्ता जावेद से लेकर हर्ष मंदर 
शबनम हाशमी जैसे छठेलें हिंदू विरोधी थे ।


इस समिति के सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा 
मिला था और उन्हें सरकारी खजाने से 15 
लाख हर महीने वेतन और भत्ते दिए जाते थे
साभार...


आरडी. अमरुते


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