कविता


  • गजल

  •  

  • चाक जिगर को सीकर देखो
    दर्दों को अपनाकर देखो।।
    जीवन क्या है समझाती है।
    उस पगली से मिलकर देखो।।
    घाव तुम्हारे भर जाएंगे।
    दर्द पराये गाकर देखो।।
    जाहिद-वाहिद सब झूठे हैं।
    मैखाने में आकर देखो।।
    दुख-सुख सिक्के के दो पहलू।
    दिल को ये समझाकर देखो।।
    खूब रकीबों से मिलते हो।
    मेरे घर भी आकर देखो।।
    दुनिया तुमको अपनाएगी।
    दुनिया को ठुकराकर देखो।।
    उड़ते-उड़ते उड़ जाओगे।
    पर अपने फैलाकर देखो।।
    दर्द हवा सब हो जाएंगे।
    हमको पास बिठाकर देखो।।
    लक्ष्मी प्रसाद बडोनी 
    दर्द गढ़वाली 
    बडोनी भवन, देवपुरम कालोनी
    लोअर तुनवाला, देहरादून 
    09455485094


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