बिना मतलब की बहस
जो लोग पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए मुसलमानों को भारत में शरणार्थी की हैसियत देने की वकालत कर रहे हैं ,उन्हें यह तो बताना ही चाहिए कि उन्होंने पाकिस्तान में, बांग्लादेश में और अन्य मुस्लिम देशों में हिंदुओं को समान नागरिक अधिकार दिए जाने के पक्ष में आज तक कौन से कदम उठाए? आंदोलन किया है? मांग की है ?या चिट्ठी लिखी है ?या देश में इसके पक्ष में कोई लिखित वक्तव्य दिया है?
15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में 20 करोड़ हिंदू थे आज वह एक करोड़ भी नहीं बचे। इनकी हत्या का जिम्मेदार कौन है ?उनको हिंदू क्यों नहीं रहने दिया ?क्या जिन लोगों ने वहां उन्हें हिंदू नहीं रहने दिया, वहीं अब यहां शरणार्थी बनने वाले हिंदू तथा अन्य गैर मुसलमानों को षड्यंत्र पूर्वक समाप्त करने की योजना से तो नहीं आ रहे ?क्यों आना चाहते हैं भारत जबकि उन्होंने अपने देश में गैर मुसलमानों के लिए कभी कोई मांग नहीं उठाई? कभी कोई प्रदर्शन नहीं किया? कोई कानून नहीं बनाया? अपितु कत्लेआम के द्वारा जन संहार किया।
किसी मुस्लिम देश में हिंदुओं को अपनी उपासना का समान अधिकार है क्या?कहाँ है?
हिंदुओं को तो छोड़िए, जब इजराइल के द्वारा भगाए गए मुसलमानों को कोई मुस्लिम देश पचा नहीं सका, फिलिस्तीनी शरणार्थियों को आज तक मुस्लिम देशों ने अपने यहां सम्मान पूर्वक नहीं बसाया ,तब वे गैर मुसलमानों को तो क्या बसाएंगे ?
केवल भारत में ऐसे लोगों को बसाने की मांग की जा रही है ।
आश्चर्य है।
पाकिस्तान बांग्लादेश और मुस्लिम देशों से उत्पीड़ित हिंदू कहां जाएं ?भारत में मुसलमानों को जिस प्रकार के अधिकार प्राप्त है वैसे तो किसी मुस्लिम देश में हिंदू को अधिकार मिलना असंभव है। उनके द्वारा उत्पीड़ित हिंदुओं को भारत में भी स्थान न मिले, ऐसी क्रूरता नृशंसता, और मानव द्रोही क्रूर विचार रखने वाले अपने इतने भयंकर इरादे को ऊंची ऊंची बातों से छुपा रहे और ऊपर से संविधान की दुहाई देने की ढिठाई कर रहे हैं। बहुत आश्चर्य होता है तथा बहुत अधिक दुख होता है।
इस देश में ऐसे लोग किस प्रकार रह रहे हैं ?उन्हें क्यों रहने दिया जा रहा है ?
उनको दंडित क्यों नहीं किया जा रहा? क्या हो गया है भारत के राजदण्ड को?
इतने ढीठ ढंग से मुस्लिम देशों में उत्पीड़ित होने देने की क्रूर दृष्टि ही नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।(संजय चतुर्वेदी)
Kusumlata Kedia ji ki wall se
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