अश्क यूँ न बहा

गजल


अश्क यूं ही मत बहा।
फर्ज अपने कुछ निभा।।


सोचता हूं ये जहां।
ठोकरों से है भरा।।


बात बनती प्यार से।
प्यार गमले में उगा।।


मोतबर माना नहीं।
पर मिले हैं सर झुका।


दर्द बढता जा रहा।
अब दुआ ही है दवा।।


'दर्द' गम मत दे उसे।
आंख के आंसू चुरा।।


dard garhwali, dehradun


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