श्रद्धा पूर्वक मनाई गई चरक जयंती

 गुरुकुल परिसर में चरक जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया 

  हरिद्वार 2 अगस्त (संजय वर्मा)    चरक जयंती के अवसर पर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के गुरुकुल परिसर में चरक जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया |  कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ धनवंतरी वंदना एवं दीप प्रज्वलन से किया गया।विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम चंद शर्मा ने  अथितियो का स्वागत करते हुए आयुर्वेद में चरक संहिता की उपयोगिता पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम में सहायक प्रोफेसर डा. विपिन कुमार अरोड़ा के द्वारा आचार्य चरक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की आचार्य चरक ने अग्निवेश तंत्र का प्रतिसंस्कार किया, इसमें युगानुरूप अनेक विषयों को जोड़ा, अनेक विषयों को विश्लेषित किया। आचार्य चरक ने अनेक औषधीय द्रव्यों का अनुसंधानपरक विवेचन अपने लिखित ग्रंथ में किया। इनके लिखे सूत्र आज भी स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने एवं रोगी व्यक्ति के रोग को दूर करने में आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने की प्राचीन समय में रहे।  शास्त्रों में श्रावण पक्ष की शुक्ल पंचमी नाग पंचमी को आचार्य चरक की जयंती के रूप में भी मनाने का उल्लेख है। कार्यक्रम में अतिथि वक्ता देहरादून से पधारे आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डा सुरेश जोशी ने हृदय व्याधि की आत्यायिक चिकित्सा पर अपने अनुभव साझा किए।  कार्यक्रम में परिसर के निदेशक प्रो. पंकज कुमार शर्मा ने सभी छात्र छात्राओं को चरक जयंती की शुभकामनाए प्रेषित की। तथा आचार्य चरक के सिद्धांतो को युगानुरुप संदर्भ में अनुसंधान हेतु प्रेरित किया तथा चरक के सिद्धांतो को अपने जीवन में धारण करने का संकल्प दिलाते हुए छात्रों को आचार्य चरक के चिकित्सा सिद्धांतो के प्रति अत्यंत श्रद्धा रखने हेतु प्रेरित किया गया। पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. उत्तम कुमार शर्मा ने चिकित्सा में सिद्धि प्राप्ति हेतु चरक के बताए मार्ग का अनुसरण करने हेतु प्रोत्साहित किया । कार्यक्रम के अंत में डा शीतल वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित



किया। इस कार्यक्रम में प्रो. अवधेश मिश्रा, प्रो. दिनेश गोयल, प्रो. मिनारानी आहूजा, प्रो. उदय नारायण पांडेय, प्रो. बालकृष्ण पंवार, प्रो. विपिन पांडेय, डा. शिखा पांडेय, डा. अदिति, डा ज्ञानेंद्र शुक्ला, डा मयंक भटकोटी   आदि उपस्थित रहे।

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