उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कानूनों के खिलाफ है वित्तीय अधिकार सीज करने की कार्रवाई

 उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संविधान और नियम कानूनों को ताक पर रखकर किए गए हैं विश्व विद्यालय प्रशासन के वित्तीय अधिकार सीज

➡️ *कुलपति सुनील जोशी के खिलाफ षड्यंत्र रचने का मुख्य सूत्रधार है पूर्व कुलसचिव डॉ  मृत्युंजय मिश्रा*

➡️ *भ्रष्ट अधिकारियों का गठजोड़  जबरन फसा रहा है कुलपति को*

➡️ *मुख्यमंत्री और सरकार की करा रहे हैं किरकिरी* 


*हरिद्वार14 जुलाई (संजय वर्मा)  उत्तराखंड सरकार की किरकिरी कराने में लगे लगे हुए हैं अधिकारी ,उत्तराखंड उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कानूनों और नियमों को ताक पर रखकर बिना राज्यपाल की अनुमति के ही वित्तीय अधिकार सीज कर दिए गए हैं जो चर्चाओं का विषय बन गया है। वही दूसरी ओर एन एच उधमसिंहनगर घोटाले के मुख्य आरोपी ने इन दिनों उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को खुर्दबुर्द करने की नीयत से शासन स्तर पर काम शुरू कर दिया है,यह  व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि मंत्रालय का ही सचिव है।

     बताते चलें कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय इन दिनों चर्चाओं में है,आयुर्वेद के विश्वविख्यात डॉ सुनील कुमार जोशी  जो आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति हैं ,को गलत तरीके से फंसाने के लिए पूर्वांचल के भ्र्ष्ट अफसरों का गठजोड़ सचिवालय में रहकर दिन रात काम कर रहा है,मजे की बात यह है कि यह बड़ा खेल  जेल की सजा काटकर आये आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ मृत्युंजय मिश्रा को पुनः आयुर्वेद विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार बनाने के लिए खेला जा रहा है। 

    मृत्युंजय मिश्रा उत्तराखंड के सबसे  भ्रष्टतम अधिकारियों में से एक है। जो भ्रष्टाचार में लिप्त उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत के खास सिपहसलार रहे हैं इसके खिलाफ आयुर्वेद विश्वविद्यालय में दर्जनों मामलों पर कार्यवाही हो चुकी है,जिसके चलते एसआईटी जांच के बाद यह व्यक्ति  वर्षों सलाखों के पीछे रहक़र भी आ चुका है। बात यहीं खत्म नहीं होती,मृत्युंजय मिश्रा ने सरकारी तंत्र में धनबल के चलते अपनी मजबूत पैठ बनाई हुई है। उत्तराखंड सचिवालय में आयुष मंत्रालय  से सम्बंधित सभी अफसरों को उपर्युक्त व्यक्ति द्वारा हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। पूर्व मुख्य सचिव ओम प्रकाश  सिंह के वरद हस्त के चलते इस व्यक्ति ने सचिवालय में अपनी अच्छी खासी घुसपैठ बनाई हुई है,जिस कारण हर एक अधिकारी इसकी उंगलियों के इशारे पर काम करता है।  यह  जानकारी प्रकाश आयी है कि कुलपति डॉ सुनील जोशी को फसाने का मुख्य षडयंत्रकारी  मृत्युंजय मिश्रा ही है। सूत्र यहां तक बताते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय को  भी मैनेज करने के लिए  मृत्युंजय मिश्रा ने अफसरों की पूरी पलटन लगा दी है। मुख्यमंत्री को आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति के सम्बंध में गलत जानकारियां रोज फीड कराई जा रही हैं। मीडिया जगत के बड़े अखबारों को भी कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी के बारे में गलत तथ्य परोसे जा रहे हैं। 

     उत्तराखंड सचिवालय में कार्यरत सम्बंधित विभाग के सचिव  पंकज कुमार पांडे राष्ट्रीय राजमार्ग घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं, इससे पूर्व इसी घोटाले से जुड़े हुए चंद्रेश यादव भी आयुष मंत्रालय के सचिव रह चुके हैं,जिन्होंने मृत्युंजय  मिश्रा को कुलसचिव के पद पर जॉइन कराने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, पिछले दिनों ही जेल से रिहा होने के बाद इन दोनों की सचिवालय में बहाली हुई है। भ्रष्टाचार के कुएं गिरे इन अधिकारियों का नया निशाना हाल के दिनों में आयुर्वेद विश्वविद्यालय बना है।

डॉक्टर सुनील जोशी उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति हैं अगर इस बात को एक बार नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो वह अपने आप में इतनी बड़ी शख्सियत हैं कि उनके विषय में उंगली उठाना सूरज को दीपक दिखाने के समान है जिस मर्म चिकित्सा को आयुर्वेद भूल चुका था उसे पुनर्जीवित करने का काम पूरे विश्व में अगर किसी व्यक्ति ने किया है तो वह डॉक्टर सुनील जोशी है ऐसे विद्वान और आयुर्वेद को समर्पित व्यक्ति का उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का कुलपति बना रहना नितांत आवश्यक है लेकिन यह आयुर्वेद का दुर्भाग्य है कि ऐसे व्यक्ति को षड्यंत्र में फंसाने का काम भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी कर रहे हैं वह भी भ्रष्टाचार जीरो टॉलरेंस सरकार के होते हुए।


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