देश के लिए हंसते हंसते जल गई नाना साहब की पुत्री मैना कुमारी

 3 सितम्बर 1857

बिठूर में एक पेड़ से बंधी 13 वर्ष की लड़की को, ब्रिटिश सेना ने जिंदा ही आग के हवाले किया, धूँ धूँ  कर जलती वो लड़की, उफ़ तक न बोली और जिंदा लाश की तरह जलती हुई, राख में तब्दील हो गई।


ये लड़की थी नाना साहब पेशवा की दत्तक पुत्री मैना कुमारी।

जिसे 160 वर्ष पूर्व, आज ही के दिन, आउटरम नामक ब्रिटिश अधिकारी ने जिंदा जला दिया था।


जिसने 1857 क्रांति के दोरान, अपने पिता के साथ  जाने से इसलिए मना कर दिया, की कही उसकी सुरक्षा के चलते, उस के पिता को देश सेवा में कोई समस्या न आये।

और बिठूर के महल में रहना उचित समझा।

नाना साहब पर ब्रिटिश सरकार इनाम घोषित कर चुकी थी।

और जैसे ही उन्हें पता चला नाना साहब महल से बाहर है, ब्रिटिश सरकार ने महल घेर लिया, जहाँ उन्हें कुछ सैनिको के साथ बस मैना कुमारी ही मिली।


मैना कुमारी, ब्रिटिश सैनिको को देख कर महल के  गुप्त स्थानों में जा छुपी, ये देख ब्रिटिश अफसर आउटरम ने महल को तोप से उड़ने का आदेश दिया।

और ऐसा कर वो वहां से चला गया पर अपने कुछ सिपाहियों को वही छोड़ गया।

रात को मैना को जब लगा की सब लोग जा चुके है, और वो बहार निकली तो 2 सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और फिर आउटरम के सामने पेश किया।


आउटरम ने पहले मैना को एक पेड़ से बंधा, फिर मैना से नाना के बारे में और क्रांति की गुप्त जानकारी जाननी चाही।

पर उस से मुह नही खोला।


यहाँ तक की आउटरम ने मैना कुमारी को जिंदा जलने की धमकी भी दी, पर उसने कहा की वो एक क्रांतिकारी की बेटी है, मौत से नही डरती।

ये देख आउटरम तिलमिला गया और उसने मैना कुमारी को जिंदा जलाने का आदेश दे दिया।

इस पर भी मैना कुमारी, बिना कुछ बोले चुपचाप इसलिए आग में जल गई, ताकि क्रांति की मसाल कभी न बुझे।


ये वही वृक्ष है जिससे बांध कर जलाया गया था जिसे स्मृति के रूप में संरक्षित किया गया है 


।।नमन है इस महान वीरांगना को।।🙏🚩



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