परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानंद मुनि के सानिध्य में श्रद्धा भाव के साथ मनाया जा रहा है श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व

💥 *जन्माष्टमी जीवन महोत्सव का पर्व-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज*

*ऋषिकेश, 30 अगस्त ( अमरे


श दुबे संवाददाता गोविंद कृपा ऋषिकेश)* परमार्थ निकेतन में आज पूजन, ध्यान और भजन-कीर्तन के साथ सात्विकता से श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म समाज में व्याप्त बुराईयों को नष्ट करने के लिए हुआ था। आज का शुभअवसर हमें शत्रुता की भावना, सामाजिक बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त कर धार्मिक मार्ग पर अग्रसर होने का संदेश देता है।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मन के सौंदर्य और आनंद को निखारने के साथ ही जीवन को सत्य की ओर बढा़ने का संदेश देता है। भगवान श्री कृष्ण, गीता के माध्यम से अर्जुन से कहते हैं, “मैं सुंदरता में सौंदर्य, बलवान में शक्ति, बुद्धिमान में ज्ञान हूँ।“ भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं ने मानव जाति पर एक स्थायी छाप छोड़ी है। वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उनकी शिक्षायें एक मार्गदर्शक का कार्य करती रहेगी। भगवान कृष्ण और उनकी दिव्य शिक्षाओं का शाश्वत संदेश हमें सादगी, खुशी, विश्वास और आशीर्वाद के साथ सकारात्मकता से जीवन जीने का संदेश देता है। 

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि जन्माष्टमी का पर्व जीवन को महोत्सव बनाने का संदेश देता है। जीवन में आने वाली हर चुनौतियों से उबरने और बदलावों को स्वीकार करने की शिक्षा हमें “भगवान श्री कृष्ण के जीवन से मिलता है। जीवन के किसी भी मोड़ पर बाहरी परिस्थितियों के कारण अपने आप को खोना मत, कभी भी अपनी मुस्कुराहट को मत खोना, अपना जीवन गीत हमेशा बनाये रखना यह संदेश भगवान श्री कृष्ण ने अपनी जीवन लीलाओं से हमें दिया है।


श्री कृष्ण भगवान का पूरा जीवन ही परीक्षाओं से भरा रहा। उनका जन्म जेल की एक बंद कोठरी में कारागार में हुआ और जीवन भर उन्होंने अनेक संघर्ष किये उनके सामने असंख्य चुनौतियां आयी परन्तु उन्होंने हमेशा अपनी दिव्य मुस्कान को बनाये रखा और प्रसन्नता के साथ  आने वाली सभी समस्याओं का सामना किया, उन्होंने हमेशा अपनी बांसुरी के मधुर संगीत को जीवंत बनाये रखा। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी का गीत हमेशा बजता रहा वे जहां भी गये उनका गीत उनके साथ ही था। उन्होंने कभी नहीं कहा, “मैं आज मेरा मूड ठीक नहीं है इसलिए मैं अपनी बांसुरी नहीं बजाऊंगा।“ यह हम सभी के लिये एक दिव्य संदेश है कि परिस्थितियां कैसी भी हों परन्तु हम अपने जीवन का संगीत हमेशा जिन्दा रखेंगे। अपने जीवन को महोत्सव बनाये रखने का प्रयास करेंगे।  हमारे भीतर करुणा का संचार होता रहे, अज्ञानता रूपी अंधेरा दूर हो और भगवान श्री कृष्ण की दिव्य कृपा का आशीर्वाद सभी पर सदैव बना रहे, आईये इसी कामना के साथ पुनः जन्माष्टमी की आप सभी को शुभकामनायें!



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