कुम्भ महिमा संतश्री के मुख से :-श्रीमहंत देवानंद सरस्वती जी महाराज


 श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं शंकराचार्य स्मारक समिति के महामंत्री श्रीमहंत देवानंद सरस्वती जी महाराज के श्रीमुख से कुंभ महिमा :- धर्म ,संस्कृति और आध्यातम का संगम है कुम्भ मेला  जिसमें एक ही स्थान पर सारे विश्व से बिना किसी निमंत्रण के  सनातन हिन्दू धर्मावलम्बी मोक्ष की कामना कर गंगा स्नान करने आता है। प्रयागराज के संगम, उज्जैन की शिप्रा, नासिक के त्रम्बकेशकर और हरिद्वार की गंगा  मे एक ऐसी शक्ति समाहित है। जो  युगो-युगो से हिन्दुओ को आध्यातम और से जोड़ने के लिए सेतु का कार्य करते है। कुम्भ मेला एक ईश्वरीय निमंत्रण है जिसमे श्रद्धालु भक्तजन शामिल हो कर स्वयं को भाग्यशाली  समझता है। कुम्भ मेले में संयासी, बैरागी अखाडो के नागा संयासियो,महामंडलेश्वरो,संतजनो  की पेशवाई ,शाही स्नान इस आयोजन को भव्यता प्रदान करते हैं और नागा संयासियो की दीक्षा, मंहतो, महामंडलेश्वरो का पट्टाभिषेक कुम्भ पर्व को संयास परम्परा को आगे बढ़ाने का अवसर बनता हैं। इस प्रकार कुम्भ मेला सनातन हिन्दू धर्म का महान, विशाल, पर्व है जो सनातन हिन्दू धर्म की आस्था, मन्यताओ का प्रतिबिम्ब है।

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