यह रावण दहन बलूचिस्तान (1920) का फोटो है। सिर्फ 100 साल में वहां के सारे हिन्दू खत्म हो गए और कुछ मुर्ख हिन्दू सोचते हैं कि 'कभी मिटेगी नही हस्ती हमारी'। ऋषि केश 28 अक्टूबर (गोरधन दास बलूच हिन्दू शरणार्थी ) तो याद रखो...... कभी ईरान और अफगानिस्तान तक फैली थी बस्ती हमारी.! इसीलिए हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये लडो, लड़ नही सकते तो बोलो, बोल नही सकते तो लिखो, अगर लिख भी नही सकते तो जो लड़ रहे हैं उसका साथ दो..! नहीं तो तुम्हारा भी वही हाल होगा जो पाकिस्तानी सिंधीयो का हुआ, अफगानिस्तान के सिक्खो का हुआ और हम बलूचिस्तान से शरणार्थी बन कर भारत आऐ हिन्दुओ का हो रहा ,वँहा जान माल सुरक्षित नहीं है और यंहा ऋषि केश में हम 60 लोगों का परिवार बलूचिस्तान से आ कर दर दर भटक रहा है मेहनत मजदूरी कर रहा है, भारत सरकार हमे हिन्दू तो मानती है लेकिन हिन्दुस्तान की नागरिकता नहीं दे रही हैं। भारत के आठ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है। #जय_श्री_राम🌺🚩🙏


No comments:

Post a Comment

Featured Post

हिंदी प्रोत्साहन समिति ने डॉक्टर विशाल गर्ग को किया सम्मानित

आम आदमी की भाषा है हिंदी-डा.विशाल गर्ग हरिद्वार, 8 मई। हिंदी प्रोत्साहन समिति के पदाधिकारियों डा.पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा और हेमंत सिंह नेग...