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भागवत कथा में हुआ कृष्ण-रुकमणी विवाह, झूमे श्रद्धालु -श्राद्ध पक्ष में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन हरिद्वार। 16 सितम्बर (विरेन्द्र शर्मा संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार) उत्तरी हरिद्वार के रामगढ मोहल्ले स्थित श्रीगरीबदास परमानन्द आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथाव्यास महंत केशवानंद महाराज ने रूकमणी विवाह की कथा का वर्णन किया। विवाह के दौरान फूल वर्षा के साथ ही भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे मंगलवार को श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ की पूजा अर्चना मुख्य यजमान मोनी गिरि, सपत्नी शीतल देवी ने की। इस दौरान कथा सुनाते हुए कथाव्यास महंत केशवानंद महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रूकमणी ने मन ही मन निश्चित किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति रूप में वरण नहीं करेगी। उधर, भगवान श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था कि विदर्भ नरेश भीष्म की पुत्री रूकमणी परम रूपवती तो है ही, परम सुलक्षणा भी है। भीष्म का बड़ा पुत्र रुक्मणी भगवान श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था। वह बहन रूकमणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था, क्योंकि शिशुपाल भी कृष्ण से द्वेष रखता था। भीष्म ने अपने बड़े पुत्र की इच्छानुसार रुकमणी का विवाह शीशुपाल के साथ ही करने का निश्चित किया। उसने शिशुपाल के पास संदेश भेजकर विवाह की तिथि भी निश्चित कर दी। रुकमणी को जब इस बात का पता लगा, तो वह बड़ी दुखी हुई। उसने अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राह्मण को द्वारिका श्रीकृष्ण के पास भेजा और संदेश दिया कि हे नंद-नंदन आपको ही पति रूप में वरण किया हैं। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं। विवाह की तिथि भी निश्चित हो गई हैं। मेरे कुल की रीति है कि विवाह के पूर्व होने वाली वधु को नगर के बाहर गिरिजा का दर्शन करने के लिए जाना पड़ता हैं। मैं भी विवाह के वस्त्रों में सज-धजकर दर्शन करने के लिए गिरजा के मंदिर में जाऊंगी। मैं चाहती हूं, आप गिरिजा मंदिर में पहुंचकर मुझे पत्नी रूप में स्वीकार करे। यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं अपने प्राणो का परित्याग कर दूंगी। रुकमणी का संदेश पाकर भगवान श्री कृष्ण रथ पर सवार होकर शीघ्र ही कुण्डिनपुर की ओर चल दिए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने रुकमणी के साथ विवाह किया। इस दौरान कथाव्यास ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओ को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद प्रसाद वितरित किया गया।
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