शायरी (बलवींदर खोसा) जी की कलम से
याद जब भी मेरी आई, तो बहुत रोओगे तुम,
चीज़ अपनी जो हुई पराई, तो बहुत रोओगे तुम ।
लिख लिख के मेरा नाम, ज़मीं पर मिटाओगे,
कोई तस्वीर बन ना पाई, तो बहुत रोओगे तुम ।
दीवानों की तरह हर तरफ़, पुकारोगे मेरा नाम,
कोई सदा लौट के ना आई, तो बहुत रोओगे तुम । हर वक़्त ये निगाहें, किसी चेहरे को ढूँढेगी,
कोई सूरत नज़र ना आई, तो बहुत रोओगे तुम ।
दिल की हर धड़कन में, तुम मुझ को तलाशोगे,
धड़कन ही ना दी सुनाई, तो बहुत रोओगे तुम ।
है वक़्त अभी रोक सको, तो "खोसा" को रोक लो, रूह बिछड़ी ना लौट के आई, तो बहुत रोओगे तुम ।
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