हमारी धरोहर

#मैं_अंग्रेजो_की_डाट_पुलिया_हूँ  !!


मैं बद्रीनाथ मार्ग का डाट पुलिया हूँ, कई लोग मुझे गुलामी का प्रतीक मानते हैं, क्योंकि मैं अंग्रेजों के बनाया हुआ हूँ, मैं भले ही 76 बसंत देख चुका हूँ, पर मुझे बूढा मत समझियेगा, मैं आज भी आजाद भारत के बाद तुम्हारे बनाये गए पुलों से जवान हूँ, आज भी तुम्हारे बनाये गए करोड़ो की लागत के पुल श्रीनगर चौरास की तरह बनते ही टूट जाते हों लेकिन 76 सालों से कई बड़ी आपदाओं को झेलते हुए मैं आज भी चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा हूँ, आज तुम चाहकर भी मुझे नही तोड़ पा रहे हो, तुम्हारी स्ट्रोन कटर व जेसीबी मशीन मुझे तोड़ने की हिम्मत नही रखती, वैसे भी मैं तोड़ने में इतना आसान कैसे हो सकता हु, क्योकि मैंने 76 सालो से दो जिलों ओर दो धामो की यात्रा पर आने वाले करोड़ो लोगों को जोड़ा हैं, मैं जोड़ने वाला रहा हु, इसलिए आसानी से टूट नही सकता, मैं तुम्हारे तीन दिनों के तोड़ने के प्रयास के बाद भी हिमालय की तरह हिमालय में खड़ा हूँ, इसलिए मैं हिमालय का सच्चा पुल हूँ। 


आज तुम्हारे पास कंकरिट है, सरिया है, सीमेंट है, आधुनिक इंजीनियरों के यूनिवर्सल दिमाग है पैसा है मेरे पास ये कुछ नही था, मेरे पास चूना, उड़द दाल, पत्थर व इंटरलॉक तकनीकी थी, पर इस सबके बावजूद तुम कमजोर हो मैं आज भी मजबूत हूँ, मेरी कोई एक्सपायरी डेट नही मैं आजीवन था, लेकिन फिर भी आज तुम्हारी महत्वकांशा की भेंट चढने को भी तैयार हूं। 
मैंने अंग्रेजों की गुलामी का दौर देखा, हिमालय पुत्र हमेवंती नंदन बहुगुणा का ऐतिहासिक लोकसभा चुनाव में इंदिरा की नेताओं की फौज देखी, मैंने 1991 व 1999 के बड़े भूकंप देखे, 2013 की जलप्रलय देखी, मैंने बाबा केदार व भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का 76 सालों से बोझ उठाया, चमोली, केदारनाथ, बद्रीनाथ को जाने वाली पहली गाड़ी देखी, इस सबके बावजूद मैं आज भी चट्टान की तरह खड़ा हु, अंग्रेज भले मुझे बनवाकर चले गए हों, लेकिन मैं हमेशा तुम्हें अपनी सेवाएं मजबूती से देता रहा हूं। 


मेरी इच्छा है मेरा बलिदान बेकार न जाए, मेरी जगह मुझसे मजबूत पुल बने, लेकिन क्या आप बना पाओगे, ऐसा पुल जो मेरी तरह साढ़े सात दशकों तक मेरी तरह मजबूती से खड़ा रहे, ओर मेरी तरह केवल इसलिए टूटे जैसे मैं 6 मीटर चौड़ा था और 12 मीटर पुल बनने के लिए मैं कुर्बान हो रहा हूं, अपने कमी के कारण नही, आशा है कि मेरी तरह 76 सालों तक ही नही बल्कि 100 सालों तक नया पुल आपको मेरी तरह मजबूती से सेवा देगा। लेकिन अब अलविदा कहने का वक्त आ गया है, लेकिन मैं आपकी यादों से सदा जोड़ने वाली शक्ति के रूप में बना रहूंगा... 
अलविदा चमोली! अलविदा रुद्रप्रयाग....


साभार -  #शैलेन्द्र_सिंह_रावत_न्यूज18


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