देश बचेगा तो हम बचेगे

``खून की बूंदे इतिहास के पन्नों पर``             
         वर्षों बाद जब कभी इतिहास के पन्ने पलटे जाएंगे तो एक खून का दाग इतिहास के पन्नों पर और जुड़ा  नजर आएगा जब हमारे आने वाली पीढ़ी यह महसूस करेगी कि कब पूरे संसार में मनुष्य के अपने कूकर्मों  के कारण  ही एक महामारी ने जन्म लिया था  और मनुष्य को अपना  अस्तित्व बचाने के लिए सांस फूल गई थी         ऐसी विकट घड़ी में समाज में  कुछ विभिन्न विचारधारा धारा वाली पार्टीया , कुछ असामाजिक तत्व , कुछ समुदाय के  लोग मानवता कि ना सोच कर  केवल इस मानवता को नष्ट करने पर लगे थे। ऐसी विकट घड़ी में सभी को एकजुट होकर इससे शीघ्र निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए थी ।  तब संसार में सबसे पहले भारत की इस समस्या का हल हो जाता और हम  संसार के दूसरे देशों के सामने सम्मान पूर्वक देखे जाते 
       कभी तो जीवन में ऐसे मौके आते हैं, जो हम आप आपसी  विचारधाराओं और  मतभेदों को भुला  कर राष्ट्रहित में मुख्यधारा में  आ सकते हैं                                     
       जिस धरती  मैं हम पैदा हुए हैं जिस प्रकृति ने हमें यह सुंदर वातावरण दिया, कल कल  बहते पानी के झरने दिए ,और सलोनी सी मिट्टी दी, हम उसका धन्यवाद भी अदा नहीं करते,                                     
      सोचो ,फिर सोचो ,हम क्या कर रहे हैं कभी तो सोचो, जीव जंतुओं की सोचो ,पशु जगत की सोचो, मनुष्य जगत की सोचो, वनस्पति जगत की सोचो,इस संसार के बारे में सोचो, अपने स्तर से ऊपर उठकर सोचो, अपने सभी जीवन के जो मानसिक स्तर है, पड़ाव है ,उनसे भी और ऊपर सोचो ,...                            
     याद रखना इतिहास कभी माफ नहीं करेगा !                             पिछले दागों को कुछ तो कम करो ....
 सोचता हू यही वह भारतीय संस्कृति और सभ्यता है जिसने विश्व का मार्गदर्शन किया है ....
रवि राणा  .की  कलम से (चेयरमैन रवि राणा , ढंडेरा, रुड़की)


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