डॉ नरेश चौधरी को सामाजिक सेवाओं के लिए मिला एक और सम्मान

हरिद्वार 01 जून  प्राकृतिक, मानवजनित एवं जैविक आपदाओं के समय समर्पित भाव से किये गये उत्कृष्ठ कार्यों के लिए प्रोफेसर डॉ. नरेश चौधरी को उत्तराखण्ड सरकार की ओर से आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने सम्मानित किया। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय के शरीर रचना विभागाध्यक्ष/ उत्तराखण्ड रेडक्रास चेयरमेन डॉ. नरेश चौधरी को प्राकृतिक, मानव जनित एवं जैविक आपदाओं में चुनौती पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए किये गये समर्पित उत्कृष्ठ कार्यों के लिए उत्तराखण्ड सरकार की ओर से आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
बताते चलें कि डॉ. नरेश चौधरी ने अपने मूल दायित्वों के साथ-साथ जन समाज में भी समर्पित समाज सेवा में अपनी उल्लेखनीय पहचान बनायी है जिसका जीता जागता उदाहरण सितम्बर 2010 में आयी बाढ़ एवं जून 2013 के केदारनाथ दैवीय आपदाओं में डॉ. नरेश चौधरी द्वारा जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी का अतिरिक्त दायित्व अवैतनिक स्वैच्छिक रूप से निर्वहन करते हुए आपदा प्रभावितों की समर्पित सराहनीय सेवा की जिसके लिए डॉ. नरेश चौधरी को उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा भी विशेष रूप से सम्मानित किया। मानव जनित आपदाओं में 1986 कुंभ मेला में भगदड में घायलों को जिला चिकित्सालय में शीघ्र पहुंचवाना एवं समुचित उपचार में सराहनीय सहयोग भी ऋषिकुल के छात्र रहते हुए रहा। अर्द्धकुंभ मेला 1992 में बहादराबाद के नजदीक आतंकवादियों द्वारा बस में 13 यात्रियों को मौत के घाट उतारना रहा जिसमें डॉ. नरेश चौधरी द्वारा जिला चिकित्सालय पहुंचकर घायलों के घरों में सूचना देते हुए उनको घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गयी। 1996 में सोमवती आमावशय में गऊघाट पुल के पास हुई भगदड़ के दौरान घटना में सबसे पहले मौके पर पहुंचकर प्रभावितों को जिला चिकित्सालय पहुंचाना एवं समुचित उपचार के बाद मृतकों एवं घायलों को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने में सहयोग। 2004 अद्धकुंभ मेले में हुई घटना के दौरान कर्प्यू क्षेत्र का मजिस्ट्रेट का दायित्व का निवर्हन करते हुए प्रभावित क्षेत्र में शांति बहाल करने में अहम भूमिका का निर्वहन किया। 2010 की कुंभ में हुई बिरलाघाट पर घटित घटना में भी सबसे पहले मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाने तथा समुचित उपचार की व्यवस्था में सहयोग उल्लेखनीय है। 2021 में कोविड-19 जैसी भयानक जैविक आपदा के प्रथम लहर से कोविड-19 समाप्ति तक वैक्सीनेशन में लगभग 20 लाख पात्र लाभार्थियों को वैक्सीन लगाने का विश्व रिकार्ड भी डॉ. नरेश चौधरी का अतुलनीय समाज सेवा का उदाहरण है। जिसके लिए डॉ. नरेश चौधरी को प्रधानमंत्री, उत्तराखण्ड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नीति आयोग, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य मंत्री, अन्य वरिष्ठ मंत्रियों, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी सामाजिक संस्थाओं, उच्च अधिकारियों द्वारा भी सम्मानित किया गया। डॉ. नरेश चौधरी ने आपदा विभाग उत्तराखण्ड द्वारा सम्मानित होने पर कहा कि इस प्रकार से समय-समय पर सम्मानित होने से मुझे और अधिक कर्मठता एवं समर्पित होकर चुनौती पूर्ण कार्य करने की प्रेरणास्रोत ऊर्जा प्राप्त होती है जो मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि एवं पूंजी है जिसको मैं प्राप्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहता हूं और मेरे शुभचिंतक मुझे बधाईयां देकर मेरा हौसला और ऊर्जा बढ़ाते रहते हैं।

स्वामी अजरानंद महिला आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में प्रारंभ हुआ अजर निर्वाण महोत्सव

अजर धाम में शुरू हुआ गुरु जन स्मृति समारोह 
अजर धाम महिला आश्रम ट्रस्ट के तत्वाधान में प्रारंभ हुआ 56 वां अजर निर्वाण  महोत्सव

हरिद्वार 1 जून उत्तरी हरिद्वार के सप्त सरोवर मार्ग स्थित प्राचीन धार्मिक सामाजिक संस्था स्वामी अजरानंद अंध विद्यालय हाई स्कूल के प्रांगण में 56 वां अजर निर्वाण महोत्सव समाधि पूजन, संत प्रवचन एवं धार्मिक अनुष्ठान के साथ प्रारंभ हुआ । इस अवसर पर स्वामी अजरानंद विद्यालय हाई स्कूल एवं स्वामी अजरानंद महिला आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत स्वयंमानंद महाराज ने कहा कि स्वामी अजरानंद महाराज ने नेत्रहीन दिव्यांगों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए जो कार्य किया उसके लिए वे सदैव याद किए जाते रहेंगे उनके कार्य को आगे बढ़ते हुए माता शांतानंद ,देवी स्वरूपानंद और हमारे सद्गुरु महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद महाराज ने जो पुरुषार्थ किया उसी का परिणाम है कि स्वामी अजरानंद  विद्यालय हाई स्कूल उत्तराखंड ही नहीं अपितु संपूर्ण देश में नेत्रहीन दिव्यांगों को शिक्षित करने का प्रमुख केंद्र बना हुआ है । संस्था के उपाध्यक्ष स्वामी विचित्रानंद महाराज ने कहा कि स्वामी अजरानंद महाराज और हमारे सदगुरु देव महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद   परमहंस जी महाराज स्वयं प्रज्ञा चक्षु थे इस कारण उन्हें नेत्रहीन दिव्यांगों के जीवन में आने वाली बांधाओ और कष्टों का ज्ञान था उन्होंने जीवन पर्यंत नेत्रहीन दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए कार्य किया आज भी स्वामी अजरानंद  महिला आश्रम ट्रस्ट अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां का निर्वहन करते हुए जहां नेत्रहीन दिव्यांगों को पढ़ने के लिए संसाधन उपलब्ध कराता है वही उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकारी नौकरियां प्राप्त करने में भी मार्गदर्शन प्रदान करता है साथ ही क्षेत्र के सामान्य विद्यार्थी भी स्कूल में निशुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर विद्यालय में पढ़े नेत्रहीन  दिव्यांग छात्रों ने भजनकीर्तन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

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