हरिद्वार 30 जुलाई विश्व आयुर्वेद परिषद परिषद उत्तराखंड हरिद्वार इकाई के द्वारा महर्षि चरक जयंती उत्सव का आयोजन दिनांक 29 जुलाई 2025 मंगलवार, श्रावण शुक्ल पंचमी (नाग पंचमी) को हरेराम आश्रम हरिद्वार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में चरक संहिता में मानसिक रोग एवं मानसिक स्वास्थ्य विषय पर प्रोफेसर अनूप कुमार गख्खड़ ने व्याख्यान प्रस्तुत किया. सर्वप्रथम भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मौलिक सिद्धांत विभाग के प्रोफेसर एवं चरक संहिता के मूर्धन्य विद्वान डा अनूप कुमार गख्खड़ ने बताया कि सभी रोगों में मानसिक स्थिति का आकलन आवश्यक है एवं उन्होंने चरक संहिता के अनेक संदर्भ बताए जहां शारीरिक रोगों में भी मानसिक रोगों के लक्षण पाए जाते हैं. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है. मन के अस्वस्थ होने से अनेक शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं. उन्माद एवं अपस्मार रोग उनको नहीं होते जिनके सत्व अर्थात मानसिक शक्ति अच्छी होती है. चरक संहिता चिकित्सा का पूर्ण ग्रन्थ है इसमें चिकित्सा के सभी नवीन एवं प्राचीन सिद्धांत समाविष्ट हैं.
इस अवसर पर स्नातक विद्यार्थियों के लिए संभाषण एवं क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. संभाषण का विषय तत्काल दिया गया. मित्रता, परिवार या धन में से किसी भी विषय पर 3 मिनट में विषय रखना था. इसमें कुल 15 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया. क्विज में आयुर्वेद, सामान्य ज्ञान एवं संस्कृति पर प्रश्न रखे गये. इसमें कुल 26 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया. संभाषण में प्रथम स्थान रिशु कुमारी, द्वितीय स्थान ऋषिमिता एवं तृतीय स्थान अनुरिद्धि ने प्राप्त किया.
क्विज में प्रथम चारु, द्वितीय अनुरिद्धि एवं तृतीय चंद्रशेखर रहे. सभी विजेताओं को मोमेंटो एवं प्रमाण पत्र द्वारा सम्मानित किया गया. क्विज एवं संभाषण मे निर्णायक की भूमिका डा माधवी गोस्वामी एवं डा राजीव कुरेले ने निभायी. प्रतियोगिता के संचालन एवं व्यवस्था में डा रोशनी, डा मीनाक्षी, डा विपुल, डा विपिन का विशेष सहयोग रहा.
कार्यक्रम का संचालन प्रान्त अध्यक्ष डा उत्तम कुमार शर्मा ने किया. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद परिषद के द्वारा चरक की तपस्थली ग्राम चरेख डांडा कोटद्वार में महर्षि चरक की प्रतिमा स्थापित की गयी है एवं प्रतिवर्ष जून माह में वहां परिषद के द्वारा यज्ञ एवं भंडारा का आयोजन किया जाता है.विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक प्रोफेसर प्रेमचंद शास्त्री जी ने आयुर्वेद परिषद के उद्देश्य एवं गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने आगामी कार्यक्रम प्रकृति परीक्षण, नाड़ी परीक्षण कार्यशाला एवं चरक संहिता कार्यशाला में प्रतिभाग के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया.
इस अवसर पर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के रसशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर एवं औषधि निर्माता प्रकोष्ठ के प्रभारी डा राजीव कुरेले ने चरक संहिता के चिकित्सा से सम्बंधित व्यावहारिक पक्ष को प्रस्तुत किया एवं विभिन्न रोगों की चिकित्सा में चरक के सिद्धांतों की विवेचना की. विश्वविद्यालय के शरीर रचना विभाग की प्रोफेसर डा माधवी गोस्वामी ने शरीर रचना एवं गर्भ शारीर विषय पर चरक के महत्व पर विचार रखे.
चरक जयंती कार्यक्रम में प्रोफेसर विपिन कुमार पाण्डेय प्रभारी शिक्षक प्रकोष्ठ, डा आशीष मिश्रा, प्रभारी, चिकित्सक प्रकोष्ठ, डा अभिषेक सक्सेना, उपाध्यक्ष, हरिद्वार, डा माहेश्वर, हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज, डा भानुप्रिया कौशिक, एम ओ, हरियाणा सरकार, डा आशा थपलियाल, हरिद्वार आयुर्वेद कॉलेज, गुरुकुल के पी. जी. स्कॉलर डा ललित तिवारी, डा प्रतिभा,डा नीलम, डा कोमल, डा अर्चना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारी श्री अनुपम जी, गीता विज्ञान आश्रम के श्री ज्ञानेंद्र जी का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.
कार्यक्रम में हरिद्वार के विभिन्न आयुर्वेद कॉलजों एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल, गुरुकुल के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों एवं सामान्य जन ने उत्साहपूर्वक सभागिता की.
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