गजल दर्द गढवाली

 ग़ज़ल 


हमीं पीछे पड़े थे बावली के।

दिवाने हो गए थे सादगी के।।


नदी के पास भी प्यासे खड़े हैं।

कई किस्से सुने थे बेबसी के।।


वही फिर याद हमको आ रहे हैं।

जिन्हें हम भूल बैठे थे कभी के।।


दिया जुगनू सितारे चांद सूरज।

कई हैं नाम यारो रोशनी के।।


किसी को फिक्र कब है अब किसी की।

बुरे दिन आ गए लो जिंदगी के।।


हवेली के मुकाबिल आ खड़ी है।

चलो फिरने लगे दिन झोपड़ी के।।


हमारे हौसले की दाद दीजै।

हमीं ने जाल काटे मुफ्लिसी के।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 

09455485094


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