आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज अध्यक्ष भारत माता मंदिर की प्रेरणा से श्रीमहंत स्वामी ललितानंद महाराज द्वारा नवरात्रो में अनुष्ठान का आयोजन किया गया है जिसमें चतुर्थ नवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रतिदिन की तरह विधि_विधान से गंगास्नान, गंगापूजन,दुर्गामाता के चतुर्थ रूप माँ कूष्माण्डा देवी की पूजा कर साधु-संत, ब्राह्मणों को भोजन_ भंडारा दक्षिणा का वितरण किया गया। श्री महंत ललितानंद गिरि ने बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा मां के कूष्माण्डा देवी की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने से व्यक्ति पर मां की कृपा-दृष्टि बनी रहती है। मान्यता है कि जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब इन्हीं ने ब्रह्मांड की रचना की थी। यह सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। मां कुष्माण्डा के शरीर में कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान है। इनके प्रकाश से ही दसों दिशाएं उज्जवलित हैं। इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा मौजूद हैं। वहीं, आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों की जपमाला सुसज्जित है। मां कूष्माण्डा का वाहन सिंह है। अवसर पर बजरंग द्विवेदी,हेमलता नेगी, ओंकार नेगी,आलोक यादव,राहुल शुक्ला,कृष्ण कुमार आदि उपस्थित रहे।*


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