गजल
हम दरबदर ठीक है (दर्द गढ़वाली)
अजनबी है सफर ठीक है।
यार है हमसफर ठीक है।।
पत्थरों का नगर आपका।
जिंदगी कांचघर ठीक है।।
राह पुरखार है प्यार की।
है कठिन ये डगर ठीक है।।
मिल गया है ठिकाना उन्हें।
और हम दरबदर ठीक है।।
चल रहा है मुसलसल सफर।
कल इधर कल उधर ठीक है।।
फुरसतें कब मिली, है बदन।
धूप में तरबतर ठीक है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
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