गजल

गजल


फर्ज अदा कीजिए 


दुश्मनों से वफा कीजिए।
फर्ज अपना अदा कीजिए।।
मर गई है कहां इन दिनों।
जिंदगी का पता कीजिए।।
फिर भंवर में फंसी नाव है।
फिर खुदा से दुआ कीजिए।।
घाव मेरे भरें ना भरें।
आप तो बस हवा कीजिए।।
ऐश से फिर कटे जिंदगी।
दर्द इतने जमा कीजिए।।
हम मरें या जिएं क्या करें।
आप ही फैसला कीजिए।।
'दर्द' जी फिर सजें महफिलें।
शेर कोई अता कीजिए।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून 


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