तुझे देखकर सांवरा चांद




 करवा चौथ पर आपके लिए


मेरी गली से गुजरा चांद।

आज जमीं पे उतरा चांद।।


चारों ओर चांदनी बिखरी।

दूर गगन पे उभरा चांद।।


चांदी जैसा हो गया पानी।

दरिया में जब उतरा चांद।।


मेरा अजब ही हाल हुआ।

बाहों में जब ठहरा चांद।।


पहले था बिखरा-बिखरा।

तुझे देखकर संवरा चांद।।


जैसे-जैसे "दर्द" शाम ढली।

और भी देखो निखरा चांद।।


दर्द गढ़वाली, देहरादून 

09455485094

1 comment:

Unknown said...

वाह खूबसूरत गगल

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