- धन्य है के के मोहम्मद
- देश को ऐसे ही अल्लाह के बंदो की जरूरत है
- अनीता वर्मा
अयोध्या में राममंदिर के अवशेष 1976-77=एएस आई के निदेशक के के मुहम्मद
जब पहली बार रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि का पुरातात्त्विक सर्वेक्षण किया गया था तब उस टीम में के के मुहम्मद भी शामिल थे ये बात 1976 और 1977 की है वे इस सर्वेक्षण में बतौर छात्र शामिल हुए थे। कुछ सालों बाद के के मुहम्मद ने सबको तब चौंका दिया, जब उन्होंने विवादित स्थल पर हुए सर्वेक्षण पुरातात्त्विक सर्वेक्षण का खुलासा करते हुए कहा था वहां से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे। उनसे पहले बी बी लाल ने भी अपनी रिपोर्ट में भी ये बातें कही थी।
मगर के के मुहम्मद के ब्यान ने इस विवाद में एक नया मोड़ ला दिया था। क्योंकि एक तो वो मुसलमान थे उस पर उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास पढ़ा था। सत्तर के आखिरी दशक में किये गये इस सर्वेक्षण पर के के मुहम्मद आज भी अडिग हैं। उन्होंने दावा किया कि कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने लोगों को बरगलाया, वे मानते हैं कि जिस तरह से मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना का महत्व हैं उसी तरह से आम हिन्दुओं के लिए राम व कृष्ण जन्मभूमि महत्वपूर्ण हैं। अवशेष बताते हैं कभी भव्य राममंदिर था। कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने बरगला कर इतिहास को तोड़ मरोड कर पेश किया।
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