इनसे अपने जमाने मे बड़े से बड़ा मंत्री थर थर कांपता था कि कहीं ठाकुर यशपाल सिंह अगला चुनाव निर्दलीय उसके खिलाफ न लड़ जाएं,
इन्हें मंत्रीमार कहा जाता था, और ये निर्दलीय ही हर बार सीट बदलकर अलग अलग मंत्रियों को चित कर देते थे!!
इनके जैसा लोकप्रिय और दबंग छवि का जननेता आज तक पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश/हरिद्वार क्षेत्र के राजपूतो में पैदा नही हुआ।
हरिद्वार जिले (उस समय आज के उत्तराखण्ड का हरिद्वार जिला सहारनपुर का ही हिस्सा था) के तहसील रुड़की के पनियाला ग्राम में जन्मे पूर्व सांसद ठाकुर यशपाल सिंह चौहान का राजनैतिक सफर---
सन 1957 में -----
1957 में सहारनपुर की देवबन्द विधानसभा सीट से निर्दलीय लड़ते हुए यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री ठाकुर फूल सिंह (कांग्रेस) को हरा दिया!!!
सन 1962 मे ----
1962 में इन्होंने मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और केन्द्रीय मंत्री अजित प्रसाद जैन (कांग्रेस) को हरा दिया!!
सन 1967 में ----
1967 में इन्होंने पहले ही केन्द्रीय मंत्री श्री महावीर सिंह त्यागी को हराने की चुनोती दे रखी थी, और इस बार इन्होंने देहरादून-सहारनपुर संयुक्त लोकसभा सीट से निर्दलीय ताल ठोक दी और यहां से तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्री महावीर सिंह त्यागी को हराकर सनसनी फैला दी !!!!
तीनों बार इन्होंने मंत्रियों को हराया वो भी निर्दलीय, और वो भी अलग अलग जिलो (हरिद्वार-सहारनपुर-मुजफ्फरनगर-देहरादून) में जाकर!!!!
क्या आज कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी या कोई भी राजपूत/ या कोई भी किसी भी जाति या दल का नेता इतना सामर्थ्य रखता है????
बताया जाता है कि हरिद्वार में गर्मी में पसीने से लथपथ ही एक बार इन्होंने गंगा जी मे डुबकी लगा ली, तो ये बीमार पड़ गए और 1972 में ही कम आयु में स्वर्ग सिधार गए!!
इनके देहांत पर तत्कालीन राष्ट्रपति श्री वीवी गिरी जी ग्राम पनियाला रुड़की पहुँचे थे!!
संक्षित जीवन परिचय--
आप श्री का जन्म एक धनाढ्य जमीदार परिवार में 1919 में रुड़की के निकट पनियाला गांव में हुआ था, आप श्री के पिता जी का नाम ठाकुर समयसिंह जी व माता जी का नाम चमेली देवी था , उन्हें सब काली कमली वाले के नाम से जानते थे क्यूंकि उन्होंने प्रतिज्ञा ली हुई थी की जब तक देश आजाद नहीं होगा, वे सिर्फ शरीर पर काला कम्बल लपेट कर ही रहेंगे!
ठाकुर साहब 13 साल की उम्र में पहली बार सत्यग्रह में जेल गए थे ,
आप श्री एमए की शिक्षा प्राप्त किये थे, आप हिंदी संस्कृत अंग्रेजी में पारंगत थे ,
आप श्री का 4 अक्टूबर 1972 को स्वर्गवास हो गया!!
स्वर्गीय ठाकुर यशपाल सिंह चौहान जी को शत शत नमन।।
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